RBI ने भारतीय इकोनॉमी का भर सँभालने के लिए चुने यह तीन बैंक
RBI ने भारतीय इकोनॉमी का भर सँभालने के लिए चुने यह तीन बैंकKavita Singh Rathore -RE

RBI ने भारतीय इकोनॉमी का भार संभालने के लिए चुने यह तीन बैंक

बैंकों की निगरानी करने वाले केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारतीय इकोनॉमी के लिए भारत के इतने बैंकों में से मात्र तीन बैंकों का चुनाव किया है। चलिए जाने वह कौन से तीन बैंक हैं।

देश का फाइनेंस सिस्टम उस देश के बैंकों पर आधारित रहता है। अगर बैंकों के हालात मजबूत है तो फाइनेंस सिस्टम भी मजबूत होते हैं। बैंकों की अहम भूमिका के चलते ही आप कोई नया बिजनेस शुरु कर सकते हैं। वहीं, बैंकों की कमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हाथ में होती है। ऐसे में अब सभी बैंकों की निगरानी करने वाले केंद्रीय बैंक RBI ने भारतीय इकोनॉमी के लिए भारत के इतने बैंकों में से मात्र तीन बैंकों का चुनाव किया है। चलिए जाने वह कौन से तीन बैंक हैं, जिनके कंधो पर RBI ने भारतीय इकोनॉमी का भार सौंपा है।

RBI ने चुना इन बैंकों को :

दरअसल, भारत के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक महत्वपूर्ण जानकारी अपने नए सर्कुलर में दी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), ICICI Bank और HDFC Bank को "घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंक (D-SIB)" के रूप में चुना गया है। यानि की इन बैंको के बगैर फाइनेंस सिस्टम कमजोर हो सकता है और मार्केट में अस्थिरता आ जाएगी। RBI द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि, 'SBI, ICICI Bank और HDFC Bank को घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के रूप में उसी संरचना के तहत पहचाना जाना गया है, जैसा कि 2021 की डी-एसआईबी की सूची में किया गया था। यानि एक पहले भी इन बैंको को ये दर्जा दिया जा चुका है।'

D-SIB से निपटने के लिए पहली बार चुनाव :

जानकारी के लिए बता दें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सबसे पहले साल 2015 और 2016 में ICICI Bank और HDFC Bank को D-SIB के रूप में चुना था और यह चुनाव 31 मार्च 2017 को बैंकों से द्वारा जमा किए गए आंकड़ों के आधार पर किया गया था। सामने आई रिपोर्ट की मानें तो, मौजूदा अपडेट 31 मार्च, 2022 तक बैंकों से जुटाए गए डेटा पर आधारित है। बता दें, RBI द्वारा इस तरह के सर्कुलर जारी करने की शुरुआत देश में मोदी सरकार के आने के बाद हुई थी। D-SIB से निपटने के लिए पहली बार ढांचा जुलाई 2014 में जारी किया गया था। हालांकि, इसकी शुरुआत 2015 से की जा सकी थी।

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