चीनी वर्चस्व को चुनौती देगा रिलायंस का मेगा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट

भारत के सोलर एनर्जी मार्केट पर चीनी कंपनियों का कब्जा है। सोलर सेल, सोलर पैनल और सोलर माड्यूल्स की कुल मांग का करीब 80 फीसदी चीन से आयात होता है।
चीनी वर्चस्व को चुनौती देगा रिलायंस का मेगा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट
चीनी वर्चस्व को चुनौती देगा रिलायंस का मेगा सोलर एनर्जी प्रोजेक्टSocial Media

राज एक्सप्रेस। पेट्रो केमिकल, टेलीकॉम और रिटेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम का रही देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के सोलर एनर्जी के क्षेत्र में अगले तीन वर्षों में 75 हजार करोड़ रुपए निवेश करने और इससे संबंधित उपकरण आदि का देश में निर्माण करने की घोषणा से इस क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद की जा रही है।

भारत के सोलर एनर्जी मार्केट पर चीनी कंपनियों का कब्जा है। सोलर सेल, सोलर पैनल और सोलर माड्यूल्स की कुल मांग का करीब 80 फीसदी चीन से आयात होता है। कोविड से पहले, वर्ष 2018-19 में देश में 2.16 अरब डॉलर का सोलर इक्विमेंट चीन से मंगवाया गया। ऐसा नहीं है कि भारत में सोलर उपकरण नहीं बनते पर चीनी माल के सामने वे टिक नहीं पाते क्योंकि चीनी उपकरण 30 से 40 प्रतिशत सस्ते बैठते हैं। इतना ही नही सोलर सेल बनने के काम में आने वाला पोलीसिलिकॉन मटेरियल के 64% हिस्से पर भी चीन कंपनियां काबिज हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की गुरूवार को हुई आम सालाना बैठक में उसके अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने अगले तीन वर्षों में एंड टू एंड रिन्यूएबल एनर्जी इकोसिस्टम पर 75 हजार करोड़ रू के निवेश की घोषणा की। चीन को टक्कर देने के लिए रिलायंस गुजरात के जामनगर में 5 हजार एकड़ में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्पलेक्स बनाएगा।

रिलायंस के मैदान में उतरने से स्थितियों बदलने की उम्मीद है। 2030 तक रिलायंस ने 100 गीगावॉट सोलर एनर्जी प्रोड्यूस करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए रिलायंस चार मेगा फैक्ट्री लगाएगा। जिनमें से एक सोलर मॉड्यूल फोटोवोल्टिक मॉड्यूल बनाएगी। दूसरी एनर्जी के स्टोरेज के लिए अत्याधुनिक एनर्जी स्टोरेज बैटरी बनाने का काम करेगी। तीसरी, ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन के लिए एक इलेक्ट्रोलाइजर बनाएगी। चौथी हाइड्रोजन को एनर्जी में बदलने के लिए फ्यूल सेल बनाएगी।

सोलर एनर्जी के लिए रिलायंस ने एंड टू एंड अप्रोच को अपनाया है। मेगा कारखानों के अलावा रिलायंस प्रोजेक्ट और वित्तीय प्रबंधन के लिए दो डिविजन भी बनाएगा जिनमें से एक डिविजन रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स को बनाने और प्रबंधन का काम देखेगा। जबकि दूसरा डिविजन रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के वित्तिय प्रबंधन पर नजर रखेगा। कच्चे माल से लेकर अक्षय ऊर्जा उपकरणों के प्रोडक्शन से लेकर बड़े प्रोजेक्ट्स के निर्माण और उनके वित्तिय प्रबंधन का पूरा काम एक ही छत के नीचे होगा। इससे लागत में कमी आएगी और रिलायंस चीनी कंपनियों को टक्कर दे पाएगी।

रिन्यूएबल एनर्जी पर श्री अंबानी ने कहा कि "हमारे सभी उत्पाद 'मेड इन इंडिया, बाय इंडिया, फॉर इंडिया एंड द वर्ल्ड' होंगे। रिलायंस, गुजरात और भारत को विश्व सोलर और हाइड्रोजन मानचित्र पर स्थापित करेगा। अगर हम सोलर एनर्जी का सही उपयोग कर पाए तो भारत फॉसिल फ्यूल के नेट इंपोर्टर के स्थान पर सोलर एनर्जी का नेट एक्पोर्टर बन सकता है। रिलायंस अपने न्यू एनर्जी बिजनेस को सही मायने में ग्लोबल बिजनेस बनाना चाहती है। हमने विश्व स्तर पर कुछ बेहतरीन टैलेन्ट के साथ रिलायंस न्यू एनर्जी काउंसिल की स्थापना की है।"

रिलायंस की सोलर एनर्जी का एक हिस्सा रूफ-टॉप सोलर और गांवों में सोलर एनर्जी के उत्पादन से आएगा। गांवों में सोलर एनर्जी के प्रोडक्शन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलने की उम्मीद है। रिलायंस का इरादा सोलर मॉड्यूल की कीमत दुनिया में सबसे कम रखने का है, ताकी सोलर एनर्जी को किफायती बनाया जा सके। उधर सरकार भी सोलर ऊर्जा को लेकर खासी गंभीर दिखाई देती है। सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने, प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा, रूफ टॉप सौर, सोलर पार्क जैसी अनेकों योजनाएं चलाई हुई हैं।

डिस्क्लेमर :

यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com