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सेबी बोर्ड मीटिंग आज, कंपनी बोर्ड गठन, ईएसजी ढांचे, माइनोरिटी शेयर होल्डर्स की सुरक्षा पर हो सकता है निर्णय

शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक अहम बैठक बुधवार यानी आज 29 मार्च को होने वाली है। इस बैठक में सेबी कई अहम फैसले ले सकती है।

राज एक्सप्रेस। शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक अहम बैठक बुधवार यानी आज 29 मार्च को होने वाली है। इस बैठक में सेबी कई अहम फैसले ले सकती है। बैठक में किसी कंपनी के बोर्ड में स्थाई बोर्ड सदस्यता को खत्म करने, रेटिंग और डिस्क्लोजर के नियमों में बदलाव के साथ-साथ नए ईएसजी ढांचे को भी मंजूरी मिल सकती है। इसके अलावा रिटेल निवेशकों के लिए अधिक कुशल और प्रभावी ट्रेड सेटलमेंट सिस्टम बनाने पर भी निर्णय लिया जा सकता है। बोर्ड मीट चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के नेतृत्व में हो रही है। माधवी पुरी बुच ने जब से सेबी की कमान संभाली है, तब से कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। इन सुधारों के चलत केवल संस्थागत निवेशकों के लिए ही स्थियों में बदलाव नहीं हुआ है बल्कि ब्रोकरेज, ईएसजी रेटिंग प्रोवाइडर्स, एमआईआई जैसे बाजार के स्टेक होल्डरों की जवाबदेही भी बढ़ी है।

दिसंबर की बैठक में भी लिए गए थे अहम फैसले

इससे पहले दिसंबर की बोर्ड बैठक में सेबी ने कई अहम फैसले लिए थे। सेबी ने दिसंबर बैठक में बायबैक नियमों में बदलाव किया था। सेबी ने एक्सचेंज रूट के जरिए बायबैक नियम को हटाया दिया था। एक्सचेंज के जरिए अमाउंट यूटिलाइजेशन सीमा को भी बढ़ाया गया था। बायबैक के लिए अमाउंट यूटिलाइजेशन सीमा 75 फीसदी कर दी गई थी। माना जा रहा है कि आज की बैठक में डिस्क्लोजर नियमों में नए सिरे से मैटेरियल्टी की परिभाषा तय की जा सकती है। आज की बोर्ड मीटिंग में डिस्क्लोजर नियमों में नए सिरे से मैटेरियल्टी की परिभाषा तय की जाएगी। इसका मतलब यह है यह बात नए सिरे से तय की जाएगी कि निवेशकों को किन बातों की जानकारी दी जानी जरूरी है। पहले कंपनियां अपने हिसाब से तय कर लेती थीं कि निवेशकों के लिए यह जानकारी जरूरी है और यह जरूरी नहीं है। लेकिन अब इसके लिए नई परिभाषा तय की जाएगी। अगर कंपनी में कोई ऐसी घटना घटती है जो निवेशकों के लिए अहम है तो इस घटना के 12 घंटे के अंदर निवेशकों को इसकी जानकारी देनी होगी। अभी यह समय सीमा 24 घंटे है। कंपनियों को बोर्ड मीटिंग खत्म होने के 30 मिनट के अंदर मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में सूचित करने का निर्णय लिया जा सकता है।

म्यूचुअल फंड से जुड़ी शिकायतों का हो सकता है निवारण

माइनोरिटी शेयर होल्डरों की सुरक्षा के लिए भी कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। कंपनियों में माइनोरिटी शेयर होल्डरों की सुरक्षा के लिए भी कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। अगर कोई बाइंडिंग एग्रीमेंट प्रोमोटर या कंपनी के हितों को प्रभावित करने वाले हैं तो इन पर माइनोरिटी शेयर होल्डरों की मंजूरी लेना अनिवार्य करने का फैसला लिया जा सकता है। इसके अलावा कंपनियों के बोर्ड में स्थाई सदस्यता को भी खत्म करने का फैसला लिया जा सकता है। म्यूचुअल फंडों से जुड़े अहम फैसले भी आ सकते है। म्यूचुअल फंडों के ट्रस्टियों के अधिकार और जिम्मेदारी दोनों ही बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है। म्यूचुअल फंडों के लिए पीई को स्पांसर बनाने के नियम पर भी कोई फैसला आ सकता है। म्यूचुअल फंडों से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए एक कॉमन प्लेटफार्म बनाने का भी निर्णय लिया जा सकता है। इसके अलावा, सेबी ईएसजी रेटिंग और इसके मानकों में भी बदलाव ला सकता है और उन्हें घरेलू माहौल के अनुरूप बना सकता है, जिससे कि छोटे शहरों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिल सके। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि ईएसजी रेटिंग और इसके मानकों के घरेलू माहौल के मुताबिक बनाने से इसके वै​श्विक संदर्भ में बड़ा अंतर नहीं आएगा। उनका मानना है कि भारतीय कंपनियों को कुछ सख्त मानकों पर अमल करना होगा, जिसके लिए सही समय पर डेटा शेयरिंग की जरूरत होगी।

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