यस बैंक के जुर्माने पर रोक लगने से SEBI को लगा करारा झटका

भारत के प्राइवेट सेक्टर के "यस बैंक" पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है, लेकिन फिलहाल इस जुर्माने पर रोक लगा दी गई है। इस रोक से शेयर बाजार SEBI को करारा झटका लगा है।
यस बैंक के जुर्माने पर रोक लगने से SEBI को लगा करारा झटका
यस बैंक के जुर्माने पर रोक लगने से SEBI को लगा करारा झटकाSocial Media

राज एक्सप्रेस। जहां, अभी तक भारत में लॉकडाउन के चलते लगभग सभी संस्थान बंद हैं। वहीं, सभी सेक्टरों के बैंकों में रेगुलर कार्य चल रहा था। सभी बैंककर्मी योद्धाओं की तरह ही कोरोना की इस जंग का डट कर सामना कर रहे हैं। इसी बीच खबर आई थी कि, भारत के प्राइवेट सेक्टर के "यस बैंक" पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है, लेकिन फिलहाल इस जुर्माने पर रोक लगा दी गई है। इस रोक से शेयर बाजार रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को करारा झटका लगा है।

यस बैंक पर जुर्माना :

दरअसल, यस बैंक पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा पिछले महीने लगाया गया था, लेकिन अब SEBI के अपीलेट ट्रिब्यूनल सैट यस बैंक पर लगे इस जुर्माने पर रोक लगा दी है। बता दें, सैट ने SEBI को 4 हफ़्तों का समय दिया था और इन हफ़्तों में SEBI को जवाब देना था, लेकिन अब जब बैंक पर इस जुर्माने पर रोक लगा दी गई है।

क्यों लगा था आरोप :

यस बैंक के टियर 1 (एटी1) बांड में निवेशकों द्वारा आरोप लगाया गया था कि, यस बैंक ने उन्हें गुमराह कर रहा है। इस मामले में जांच SEBI द्वारा की जा रही थी। इस मामले की जाँच के तहत ही SEBI द्वारा पिछले महीने यस बैंक पर जुर्माना लगाया गया था। SEBI द्वारा मामले में बैंक के 3 कर्मचारियों पर भी जुर्माना लगाया था। हालांकि, इस मामले में अंतिम सुनवाई अब तक नहीं हुई है। सैट द्वारा इस मामले में 31 जुलाई को फाइनल सुनवाई की जाएगी।

यस बैंक को भी अपील करने का मौका :

बताते चलें, फिलहाल इस मामले में यस बैंक को अपील करने का मौका दिया गया है। सैट ने बताया है कि, 'बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के तहत मार्च 2020 में मोरेटोरियम लागू किया गया था। हमने यह देखा है कि इसमें रिलेशनशिप मैनेजर पर कोई मामला नहीं बुक किया गया है। शुरुआत में यह पता होना चाहिए कि क्या रिलेशनशिप मैनेजर ने निवेशकों को इस बांड के रिस्क फैक्टर के बारे में बताया था। यह जांच का विषय है। दूसरी ओर प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट टीम के सदस्य को इसमें आरोपी बनाया गया है जिस पर फाइन लगाया गया है।'

सैट का कहना :

सैट ने कहा कि यह भी देखा गया है कि, 'रिस्क फैक्टर पहले से ही बैंक की वेबसाइट पर था और यह सभी की जानकारी में था। जानकारी के मुताबिक, यस बैंक ने एटी-1 बांड जारी किया था। इसे एफडी की तर्ज पर सुपर एफडी बताया गया था। साथ ही इसमें ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया गया था। इसके बाद निवेशकों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेबी ने जांच में पाया कि इसमे बैंक की गलती है और निवेशकों को गुमराह किया गया। इसी आधार पर सेबी ने पिछले महीने फाइन लगाया और इसे 45 दिनों के अंदर भरने का आदेश यस बैंक को दिया।'

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