राज एक्सप्रेस। आज भारत के साथ ही एशिया के कई देशों में गोरे रंग का क्रेज काफी ज्यादा ही है। कई जगह तो गोरे रंग को न केवल सुंदरता से जोड़ा जाता है बल्कि, गोरे रंग से इंसान का स्टेटस और पैसे को भी जोड़कर देखा जाने लगा है। हाल ही में अमेरिका सहित दुनिया भर में कई देशों में गोरे-कालों को लेकर नस्लीय आंदोलनों चल रहे थे। ऐसे में दुनियाभर में IT सेक्टर की प्रमुख मानी जाने वाली दिग्गज कंपनी Google के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुंदर पिचाई ने नस्लीय भेदभाव के मामले के चलते एक शोधकर्ता से माफ़ी मांगी।
पिचाई ने शोधकर्ता से मांगी माफी :
दरअसल, Google कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एक प्रमुख शोधकर्ता डॉ. टिमनीत गेबरू के फेयरवेल समारोह में कर्मचारियों से माफी मांगी। इतना ही नहीं पिचाई ने शोधकर्ता डॉ. गेबरू के नौकरी छोड़ने के कारण का पता लगाने के लिए इस मामले की जांच शुरू कर दी है। बता दें, डॉ. गेबरू एक ऐसे मामले की शोधकर्ता थीं, जिसमें अश्वेत और भूरे लोगों की तुलना में श्वेत लोगों के चेहरों की पहचान को लेकर एल्गोरिदम पर काम किया जा रहा था।
डॉ. गेबरू ने बताया था :
बताते चलें, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एक प्रमुख शोधकर्ता डॉ. टिमनीत गेबरू ने पिछले सप्ताह बताया था कि, कंपनी ने उन्हें एक ईमेल भेजा था इसके बाद कंपनी ने ही उन्हें निकाल दिया है। खबरों के अनुसार, डॉ. गेबरू के मामले में कंपनी की महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ उनकी एआई तकनीक पक्षपातीकरण को लेकर आलोचना की गई थी। गेबरू ने कहा कि, 'उसने इस बात के लिए स्पष्टीकरण की मांग की थी कि कंपनी ने उन्हें एक कागज को वापस लेने के लिए क्यों कहा था, जो एक नस्लीय मामलों में खामियों को इंगित करता है।'
पिचाई का कहना :
Google कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने कहा, 'मैंने गेबरू के जाने की प्रतिक्रिया ध्यान से सुनी है। इससे संदेह पैदा हुआ कि, हमारे समुदाय में कुछ लोगों ने गूगल पर सवाल उठाए हैं। मैं कहना चाहता हूं कि, मुझे इस घटना के लिए काफी खेद है और में आपके भरोसे को बहाल करने के लिए काम करने की जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं।'
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