राज एक्सप्रेस। कोविड-19 से रोकथाम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। इस दौरान सभी प्राइवेट स्कूल बंद थे। साथ ही सभी पालकों का काम काज बंद रहा, कई को तो इस दौरान सेलरी भी नहीं मिली, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा ऐसे लोगों को स्कूल फीस में कोई रियायत नहीं मिली। इसी के चलते सोशल ज्यूरिस्ट NGO ने अब 10वीं एवं 12वीं कक्षा के CBSE छात्रों के लिए परीक्षा शुल्क माफ करने हेतु अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने की याचिका खारिज :
दरअसल, स्कूल फीस में कोई रियायत न मिलने पर छात्रों ने 10वीं एवं 12वीं कक्षा के CBSE बोर्ड के परीक्षा शुल्क के माफ होने की उम्मीद की थी, लेकिन अब छात्रों की इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया है। क्योंकि, परीक्षा शुल्क माफ़ करने को दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, 'वह सरकार को ऐसे निर्देश कैसे दे सकती है?'
क्या था याचिका में ?
बताते चलें, दायर की गई इस याचिका में कोविड-19 को मद्देनजर रखते हुए वर्तमान के शैक्षणिक सत्र में 10वीं एवं 12वीं कक्षा के CBSE की परीक्षा के शुल्क को माफ करने का अनुरोध किया था, साथ ही यह भी कहा गया था कि, कोरोना वायरस महामारी के कारण कई छात्रों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए इस तरह की मांग की जा रही हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया है।
सोशल ज्यूरिस्ट NGO ने दायर की थी याचिका :
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने की। उन्होंने ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ NGO द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के 28 सितंबर के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। पीठ का कहना है कि, 'कोर्ट सरकार को ऐसा करने का निर्देश कैसे दे सकती है? आप सरकार के पास जाएं।’
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