
राज एक्सप्रेस। बड़े बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार रतन टाटा के टाटा ग्रुप (Tata Group) की एक भारत की घरेलू इस्पात कंपनी 'टाटा स्टील' (Tata Steel) के शेयर में हाल ही में काफी तेजी दर्ज होने कि खबर सामने आई थी। वहीं, अब Tata Steel का नाम एक और कार्य के चलते चर्चा में नज़र आ रहा है। दरअसल, Tata Steel ’वंदे भारत’ ट्रेन के लिए बेहद स्पेशल सीट का निर्माण करने जा रही है।
Tata Steel टायर करेगी ‘वंदे भारत’ ट्रेन कि सीट :
टाटा ग्रुप (Tata Group) की एक भारत की घरेलू इस्पात कंपनी 'टाटा स्टील' (Tata Steel) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है कि, केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में चलाई गई वंदे भारत ट्रेनों की सीट का निर्माण Tata Steel को सौंपा गया है। यह सीट्स न्यू मैटेरियल बिजनेस (NMB) द्वारा तैयार फाइबर रिंइफोर्स्ड पालिमर (FRP) कंपोजिट से बने जाएंगी। इन सीटों को चेन्नई में तैयार किया जाएगा। जिसके लिए न्यू बिजनेस मैटेरियल ने टाटा समूह की दो अन्य कंपनियां, टाटा मोटर्स आटोमोटिव सीटिंग सिस्टम व टाटा आटोकांप सिस्टम्स से हाथ मिलाया हैं। यह कंपनियां मिलकर कार्य करेंगी। इस मैटेरियल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि,
यह हल्का होने के साथ-साथ काफी मजबूत और टिकाऊ भी माना जाता है।
यह अग्निरोधी व जंगरोधी इन सीटों का मेंटेनेंस कास्ट भी काफी कम होता है।
आरामदायक बनने के लिए इन सीटों को ग्लास और फाइबर पालिमर मिलाकर नया उत्पाद एफआरपी कंपोजिट से तैयार किया जाएगा।
चलाई जाएंगी 400 वंदे भारत ट्रेन :
बताते चलें, केंद्र सरकार अगले तीन वर्षों में देश के विभिन्न राज्यों से मेक इन इंडिया के तहत बनी 400 वंदे भारत ट्रेन देश भर में चलाएगी। इसके लिए रेल मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 22 ट्रेनों में सीट निर्माण की जिम्मेदारी टाटा स्टील के न्यू मैटेरियल बिजनेस को दी है। वंदे भारत की हर ट्रेन में बैठने के लिए 16 कोच होंगे। बता दें, ‘वंदे भारत’ एक अत्याधुनिक ट्रेन ट्रेन है इसलिए इसमें लगने वाली सीट्स भी खास होगीं। इन सीटों की आपूर्ति सितंबर से शुरू होगी। यह देश में अपनी तरह की पहली सीट प्रणाली होगी।
Tata Steel के उपाध्यक्ष ने बताया :
Tata Steel के उपाध्यक्ष (प्रौद्योगिकी एवं नवीन सामग्री कारोबार) देवाशीष भट्टाचार्य ने जानकारी देते हुए बताया है कि, 'कंपनी के कंपोजिट प्रभाग को वंदे भारत एक्सप्रेस की 22 ट्रेनों के लिए सीटें मुहैया कराने का ऑर्डर मिला है। इस ऑर्डर का मूल्य करीब 145 करोड़ रुपये है। ये खास तौर पर डिजाइन की गई सीट हैं। ये 180 डिग्री तक घूम सकती हैं और इनमें विमानों की सीटों की तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। यह ट्रेन सीट की अपनी तरह की भारत में पहली आपूर्ति है। सितंबर से इन सीटों की आपूर्ति शुरू होगी और 12 महीनों में इसे पूरा किया जाएगा। टाटा स्टील की शोध एवं विकास गतिविधियों पर वर्ष 2025-26 तक 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है। यह वर्ष 2030 तक टाटा स्टील को वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच इस्पात कंपनियों में पहुंचाने के लक्ष्य का ही हिस्सा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कंपनी शोध एवं विकास पर काफी ध्यान दे रही है। टाटा स्टील सैंडविच पैनल बनाने के लिए महाराष्ट्र के खोपोली में एक नया संयंत्र लगा रही है जिसमें नीदरलैंड की एक कंपनी तकनीकी साझेदार है। इस संयंत्र में बनने वाले सैंडविच पैनलों का इस्तेमाल रेलवे एवं मेट्रो के कोच में इंटीरियर के लिए किया जाएगा।'
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