युवा गेमर्स को अपना शिकार बना रहे साइबर अपराधी
युवा गेमर्स को अपना शिकार बना रहे साइबर अपराधीSyed Dabeer Hussain - RE

युवा गेमर्स को अपना शिकार बना रहे साइबर अपराधी, बच्चों पर साइबर अटैक में 57 फीसदी इजाफा

साल 2022 में साइबर अपराधियों ने लोकप्रिय गेम की आड़ में बच्चों पर 70 लाख से भी अधिक बार साइबर अटैक किया है। यह संख्या साल 2021 में बच्चों पर हुए साइबर अटैक की तुलना में करीब 57 फीसदी ज्यादा है।

राज एक्सप्रेस। वर्तमान में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। खासकर युवा और बच्चे तेजी से गेमिंग इंडस्ट्री की तरह आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि जितनी तेजी से अलग-अलग गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर यूजर्स की संख्या में इजाफा हो रहा है, उतनी ही तेजी से साइबर अटैक का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। हर साल साइबर अटैक के चलते बड़ी संख्या में लोग अपनी मेहनत की कमाई गवां रहे हैं। हाल ही में रूस की साइबर सुरक्षा और एंटी-वायरस बनाने वाली कंपनी Kaspersky ने इसी संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कंपनी ने बताया है कि वर्तमान में साइबर अपराधी युवा गेमर्स को अपना निशाना बना रहे हैं।

57 फीसदी अधिक हमले :

Kaspersky की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में साइबर अपराधियों ने लोकप्रिय गेम की आड़ में बच्चों पर 70 लाख से भी अधिक बार साइबर अटैक किया है। बता दें कि यह संख्या साल 2021 में बच्चों पर हुए साइबर अटैक की तुलना में करीब 57 फीसदी ज्यादा है।

नकली वेबसाइट बनाकर करते हैं शिकार :

दरअसल साइबर अपराधी बच्चों को अपना शिकार बनाने के लिए लोकप्रिय गेम की नकली वेबसाइट बनाते हैं। इसके बाद साइबर अपराधी बच्चों में उन गेम को डाउनलोड करने की रूचि जगाते हैं। जब एक बार बच्चे वह गेम डाउनलोड कर लेते हैं तो उनके मोबाइल या सिस्टम में मैलवेयर लॉन्च करके उनका निजी डाटा चुरा लेते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में 40,000 यूजर ने बच्चों के लोकप्रिय गेमिंग प्लैटफ़ॉर्म Roblox की नकली वेबसाइट से गेम डाउनलोड करने का प्रयास किया। Kaspersky के अनुसार साइबर अपराधी बच्चों पर साइबर अटैक करने के लिए Roblox, Minecraft, Fortnite, और Apex Legends जैसे पॉपुलर गेम्स की नकल करते हैं।

बच्चे आसान शिकार :

Kaspersky की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि साइबर अपराधियों ने 3 से 8 साल के बच्चों को ध्यान में रखते हुए खास गेम तैयार किया है। दरअसल साइबर अपराधियों के लिए बच्चे सबसे आसान शिकार होते हैं। इसका कारण यह है कि इस उम्र में उनमें साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता का अभाव होता है। इसके अलावा इस उम्र के बच्चों के पास खुद का कंप्यूटर या मोबाइल नहीं होता है। ऐसे में वह ज्यादातर अपने माता-पिता के मोबाइल से गेम खेलते हैं। इसके चलते साइबर अपराधी आसानी से बच्चों के माता-पिता के क्रेडिट कार्ड या उनकी निजी जानकारी चुरा लेते हैं।

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