धनबाद। भारत में कोयले की खदानों के लिए जाने जाने बाले धनबाद में कई बार काेयले की या अन्य खदानाें में मजदूराें के साथ घटित कई दुर्घटनाएं सामने आई हैं। कई बार मजदूर खदानों में फंस जाते हैं। जिससे उनकी परेशानियां काफी बढ़ जाती हैं, क्योंकि उन्हें सांस लेने में दिक्कत जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन खदानों के अंदर गहराई में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हाेती है। ऐसे हालातों का सामना करने वाले मजदूरों के लिए अब IIT ISM के स्टूडेंट्स की टीम ने उपाय खोज निकाला है। दरअसल ISM की टीम ऑक्सीजन कैप्सूल तैयार करने में लगी हुई है।
IIT ISM के स्टूडेंट्स तैयार कर रहे ऑक्सीजन कैप्सूल :
दरअसल, खदानों में फंसे इन मजदूरों को यदि तुरंत ही ऑक्सीजन पंहुचा दी जाये तो इन्हें तुरंत बचाना थोड़ा आसान हो जाएगा। क्योंकि, फंसे मजदूराें को बचाने के लिए रेस्क्यू टीम के लिए एक-एक मिनट काफी कीमती होता है। ऐसे हालातों में यदि मजदूरों के पास ऑक्सीजन कैप्सूल उपलब्ध होंगे तो वह उसे खा कर कुछ समय के लिए अपनी जान बचा सकेंगे। इस बात को मद्देनजर रखते हुए के लिए ही IIT ISM के स्टूडेंट्स की टीम ऑक्सीजन कैप्सूल तैयार करने में लगी है। जिसके लिए संस्थान द्वारा इस टीम को उनके प्राेजेक्ट ले लिए अनुमति मिल गई है। इसका चयन स्टार्टअप इंडिया कंपीटीशन के तहत किया गया था।
प्राेजेक्ट की शुरुआत :
बताते चलें स्टूडेंट्स की इस टीम ने इनाेवेशन इंक्यूवेशन के एसाेसिएट डीन सह CIIE के हेड प्राे पंकज मिश्रा की देखरेख में इस स्टार्टअप प्राेजेक्ट की शुरुआत की थी। प्राे मिश्रा ने बताया कि, कोरोना के चलते लगे लाॅकडाउन के चलते यह संस्थान इन दिनों बंद रहा। परंतु जैसे ही संस्थान खुलेगा दुबारा स्टूडेंट्स की टीम इसी प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर देगी। फिलहाल सभी स्टूडेंट्स अपने-अपने घराें पर ही शाेध में जुटे हैं।
ऑक्सीजन कैप्सूल का आकार :
IT ISM के स्टूडेंट्स की जो टीम ऑक्सीजन कैप्सूल तैयार करने का काम कर रही है उस टीम के लीडर कार्तिक सरीन हैं, वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्र हैं। इस टीम में इसी विभाग के दर्श माेदी और भावेश माधवानी नाम के स्टूडेंटन्स भी शामिल हैं। उनसे प्राप्त जानकारी के अनुसार, खदानों में ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना किसी भी प्रकार से संभव नहीं है, इसलिए उनकी टीम हो ऑक्सीजन कैप्सूल तैयार कर रही है वह एक सिगार के आकार के बराबर होगा। जिसे आसानी से जेब में भी रखा जा सके। यह कैप्सूल न केवल खदानों में फंसे मजदूरों के लिए उपयोगी साबित होगा बल्कि पर्वतारोही को भी ऊपर जाने में ऑक्सीजन की कमी महसूस होने पर जान बचाने के काम आएगा।
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