जानिए हॉटलाइन क्या है? बड़े देशों के शीर्ष नेता फोन की बजाय हॉटलाइन का उपयोग क्यों करते हैं?
राज एक्सप्रेस। हम अक्सर मीडिया में यह सुनते हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से हॉटलाइन पर बात की है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह हॉटलाइन क्या है और कौन-कौन से देश इसका इस्तेमाल करते हैं। तो चलिए जानते हैं हॉटलाइन अन्य कम्युनिकेशन लाइन से कैसे और कितनी अलग होती है?
हॉटलाइन सेवा :
बता दें कि हॉटलाइन भी एक तरह की फोन लाइन जैसी ही होती है, लेकिन इसमें नंबर डायल करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यानि यह फोन पूरी तरह से डेडिकेटेड होते हैं और इसमें रोटरी डायल या फिर की-पैड की जरूरत नहीं पड़ती। इसको हम साधारण भाषा में समझे तो दो फोन एक दूसरे से कनेक्ट होता है और इससे कोई तीसरा व्यक्ति नहीं जुड़ सकता है। इसमें एक तरफ रिसीवर उठाते ही दूसरी तरफ अपने आप फोन लग जाता है।
क्यों किया जाता है इसका उपयोग?
दरअसल हॉटलाइन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को जोड़ने का सबसे सुरक्षित माध्यम है। यह संचार सेवा की सबसे सुरक्षित प्रणाली मानी जाती है। इसमें दो लोगों द्वारा की जा रही बातचीत को तीसरा व्यक्ति नहीं सुन सकता है। यही कारण है कि दो देशों के सर्वोच्च नेताओं जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या शीर्ष अधिकारी आपस में बातचीत के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। खासकर आपातकालीन स्थिति में इसका इस्तेमाल और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
कब शुरू हुई थी हॉटलाइन सेवा?
हॉटलाइन सेवा का सबसे पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया था। उस समय इंग्लैंड और अमेरिका के बीच बातचीत के लिए हॉटलाइन सेवा शुरू की गई थी। इसके बाद साल 1963 में सोवियत संघ और अमेरिका के बीच भी हॉटलाइन की शुरुआत की गई थी। इसके अलावा साल 1991 में भारत और पाकिस्तान के बीच भी हॉटलाइन सेवा शुरू की गई थी।
किन देशों के बीच है हॉटलाइन सेवा?
बता दें कि भारत-अमेरिका, भारत-रूस, भारत-पाकिस्तान, अमेरिका-रूस, रूस-चीन, अमेरिका-चीन, चीन-जापान, रूस-इंग्लैंड और उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया के बीच हॉटलाइन सेवा है।
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