आज से लगभग 53 साल पहले कैसे और कहाँ हुआ 'इंटरनेट का जन्म'

आज इंटरनेट लोगों की जरूरत ही नहीं आदत बन चुका है, लेकिन कभी आपने यह सोचा कि, इंटरनेट का जन्म कब हुआ और कैसे? चलिए तो हम आपको इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
Internet Birthday
Internet Birthday Kavita Singh Rathore - RE

Internet Birthday : आप अगर आज दुनिया के किसी भी कोने में जाकर देखेंगे तो आपको वहाँ इंटरनेट का इस्तेमाल होता नजर आएगा, क्योंकि आज इंटरनेट लोगों की जरूरत ही नहीं आदत बन चुका है। अगर किसी घर में 4 लोग हैं तो, उनमें से 3 इंटरनेट का इस्तेमाल जरूर करते होंगे। इसका कारण यह है कि, आज इंटरनेट का इस्तेमाल करना बहुत आम बात हो चुका है, लेकिन कभी आपने यह सोचा कि, इंटरनेट का बर्थडे कब आता है या यह कहे कि कब इंटरनेट का जन्म कब हुआ और कैसे? चलिए तो हम आपको इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराते हैं।

इंटरनेट की शुरुआत :

इंटरनेट की शुरुआत 1969 (7 अप्रैल) में हुई थी। यह बात है करीब-करीब 53 साल पहले की, जब अमेरिकी रक्षा विभाग के एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी ने चार यूनिवर्सिटीज के कंप्यूटरों को नेटवर्किंग के जरिए जोड़कर 'इंटरनेट' के जन्म को संभव किया और इसे नाम दिया गया "अप्रानेट" (ARPANET - Advanced Research Projects Agency Network। अमेरिका में रिचर्स और एजुकेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से "अप्रानेट" को जन्म दिया गया था। उस समय इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ अमेरिकी मिलिट्री ही कर पाती थी।

कैसे मिला इंटरनेट नाम :

"अप्रानेट" के निर्माण या कहे जन्म के बाद इसे 1974 में कमर्शियल किया गया। "अप्रानेट" को पहली बार टेलनेट कंपनी ने इस्तेमाल किया। इस कंपनी के इस्तेमाल के बाद ही इसे 'इंटरनेट' नाम दिया गया।

इंटरनेट द्वारा सूचनाओं का आदान प्रदान :

जब इंटरनेट की शुरुआत हुई तब इंटरनेट के द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान में TCP (Transmission Control Protocol) का उपयोग किया जाता था। कुछ समय बाद टिम बर्न्स ली (कम्प्यूटर साइंटिस्ट) द्वारा इंटरनेट पर पहला सफल कम्युनिकेशन किया गया। उन्होंने 1991 में 'वर्ल्ड वाइट वेब' (WWW) का निर्माण किया। जिसके द्वारा इंटनेट का इस्तेमाल और भी आसान हो गया। टिम बर्न्स ली ने मार्च 1989 में इन्फोर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम का एक प्रपोजल तैयार किया था। जिससे पहली बार इंटरनेट पर HTTP (हाईपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल) क्लाइंट का निर्माण हुआ और इंटनेट के इस्तेमाल में और मदद मिली। टिम बर्न्स ली ने ही कंप्यूटर प्रोग्राम- HTML, URL और HTTP का भी निर्माण किया।

इंटरनेट को सरल बनाने की दिशा में :

धीरे-धीरे इंटरनेट को सरल बनाने की दिशा में अन्य लोगो ने ही अपना योगदान देना शुरू कर दिया। इसी सूची में एक नाम Google का भी है। टॉमलिंसन ने 1972 में e-mail (इलेक्ट्रॉनिक मेल) की शुरुआत की। इसके बाद अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) ने 1985 में "NSFNET" का निर्माण किया। "अप्रानेट" की तुलना में (National Science Foundation (NSF) NET कई गुना बड़ा नेटवर्क था। अगर Google का योगदान देखे तो 1998 में Google के लांच होने के बाद तो जैसे मानो इंटरनेट का कल्याण ही हो गय और आज आप खुद देख सकते हो हर घर में Google बाबा मौजूद है। इतना ही नहीं अब तो Google पर बोलने से ही सब होता है।

क्या है Google :

वैसे आज ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि, गूगल क्या है। क्योंकि आज बच्चे से लेकर बड़ों तक या कहे हर कोई जानता है कि, 'Google' एक सर्च इंजन है। इसने दुनिया भर के लोगों को बहुत ही तीव्रता से इंटरनेट से जोड़ा है, इसलिए हम कह सकते हैं कि इंटरनेट को सरल बनाने में Google का बहुत ही बड़ा योगदान है। Google के द्वारा आप दुनिया भर के किसी भी कोने की कोई भी जानकारी बस एक क्लिक में कुछ ही मिनटों में भी नहीं कुछ ही सेकंड में जान सकते हैं।

भारत में इंटरनेट की शुरुआत:

अब अगर हम भारत में इंटरनेट की शुरुआत पर बात करें तो, भारत में इंटरनेट की शुरुआत विदेश संचार निगम लिमिटेड (BSNL) (टाटा कम्युनिकेशंस का पुराना नाम) कंपनी द्वारा इंटरनेट के जन्म के 26 साल बाद 15 अगस्त 1995 में की गई। BSNL कंपनी ने अपनी टेलीफोन लाइन के द्वारा पूरी दुनिया भर के कंप्यूटरों को भारत के कंप्यूटरों से जोड़ा और इस तरह भारत में इंटरनेट की शुरुआत की। इसके अलावा अन्य प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भारत में इंटरनेट की शुरुआत के तीन साल बाद अर्थात 1998 से अपनी इंटरनेट सेवाएं प्रदान करना शुरू किया और आज भारत में अनेक कंपनियां हैं जो इंटरनेट सेवाएं प्रदान कर रही है। आज सिर्फ भारत में देखे तो इंटरनेट यूजर्स की संख्या 90 करोड़ से ज्यादा है।

इंटरनेट ने बनाया दुनिया को आसान :

आज यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि, हम बिना इंटरनेट के अपनी लाइफ इमेजिन भी नहीं कर सकते। यहां तक की आज हम हर छोटी से छोटी जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का ही इस्तेमाल करते हैं। ऑनलाइन पेमेंट, शोपिंग, मनी ट्रांसफर, बील भुगतान, टिकिट बुकिंग और रास्ते खोजने तक के लिए हम इंटरनेट का ही इस्तेमाल करते है। यदि आपको इंटरनेट की सही वैल्यू समझना है तो आप एक बार सोच कर देखें तो आप पाएंगे कि, कोरोना काल में इंटरेनट की सही मायने में कीमत समझ आई है। क्योंकि, इन कुछ सालों में पूरी दुनिया इंटरनेट पर ही निर्भर थी। वो चाहे स्टूडेंट्स की कॉल्स हो या ऑफिस वर्क, जानकारी प्राप्त करना हो या किसी को जानकारी देना हो। यहां तक की एक दूसरे को देखने के लिए भी लोग इंटरेनट (वीडियो कॉल) का ही इस्तेमाल कर रहे थे। आज पूरी दुनिया 99% इंटरनेट पर ही डिपेंड है।

इंटरनेट के नुकसान :

  • समय की बर्बादी

  • पैसे की बर्बादी

  • ऑनलाइन धोखाधड़ी (साइबर क्राइम)

  • अश्लीलता फैलना

  • अधिक मात्र में विद्युत ऊर्जा की बर्बादी

  • कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि

  • ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि

  • इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक तनाव व स्वास्थ्य से संबंधित समस्या उत्पन्न होना

  • जानकारी लीक होने का खतरा

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