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फाइनेंसिंग शब्द ने बचाए यस बैंक के 75 लाख डॉलर, लंदन हाईकोर्ट ने खारिज की कैंटर फिट्जगेराल्ड की याचिका

अंग्रेजी के फाइनेंसिंग शब्द की वजह से, पिछले काफी समय से संकट से घिरे भारत के निजी क्षेत्र के बैंक यस बैंक के लाखों डॉलर बच गए हैं। इस मामले में लंदन हाई कोर्ट ने यस बैंक को बड़ी राहत दी है।

राज एक्सप्रेस। अंग्रेजी के फाइनेंसिंग शब्द की वजह से, पिछले काफी समय से संकट से घिरे भारत के निजी क्षेत्र के बैंक यस बैंक के लाखों डॉलर बच गए हैं। इस मामले में लंदन हाई कोर्ट ने यस बैंक को बड़ी राहत दी है। दरअसल, अमेरिका की ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म कैंटर फिट्जगेराल्ड ने लंदन हाई कोर्ट में यस बैंक के खिलाफ 75 लाख डॉलर का मुकदमा दायर किया था। यह मामला अंग्रेजी के एक शब्द फाइनेंसिंग के मतलब पर टिका था। इस मामले में सुनवाई करते हुए लंदन हाई कोर्ट ने अमेरिका की ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म कैंटर फिट्जगेराल्ड की याचिका को खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि यस बैंक और कैंटर फिट्जगेराल्ड के बीच दिसंबर 2019 में एक एग्रीमेंट किया गया था। इस एग्रीमेंट में फाइनेंसिंग शब्द का जिक्र किया गया था।

एफपीओ के जरिए जुटाए गए थे 2 अरब डॉलर

कैंटर फिट्जगेराल्ड ने अपने मुकदमे में दावा किया है कि यहां फाइनेंसिंग शब्द का मतलब केवल प्राइवेट प्लेसमेंट, प्राइवेट ऑफरिंग ही नहीं है, बल्कि इसमें फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) भी शामिल है। कैंटर फिट्जगेराल्ड ने दावा किया था कि यस बैंक के जुलाई 2020 के सफल एफपीओ में उनका भी हिस्सा है। इस एफपीओ के तहत कुल मिलाकर 2 अरब डॉलर जुटाए गए थे। तीन एंटिटी टिल्डेन पार्क (30 करोड़ अमेरिकी डॉलर), हिंदुजा ग्रुप (2.27 करोड़ अमेरिकी डॉलर) और अमांसा (5 करोड़ अमेरिकी डॉलर) द्वारा एफपीओ में निवेश के आधार पर कैंटर फिट्जगेराल्ड ने 2 फीसदी हिस्सेदारी का दावा किया था, जो कि 75 लाख अमेरिकी डॉलर के बराबर बैठता है। कैंटर फिट्जगेराल्ड ने यह दावा इस आधार पर किया था कि इन तीनों को यस बैंक के साथ अपने एग्रीमेंट में संभावित निवेशकों के रूप में क्लासिफाइड किया गया था।

लंदन हाईकोर्ट ने कहा एस बैंक का दावा सही

लंदन हाईकोर्ट के जस्टिस रॉबर्ट ब्राइट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यस बैंक के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में यस बैंक सही है। लंदन हाईकोर्ट ने कहा कि फाइनेंसिंग शब्द में एफपीओ शामिल नहीं हो सकता, यहां इसका मतलब सिर्फ प्राइवेट ऑफरिंग तक ही सीमित था। उल्लेखनीय है कि यस बैंक और कैंटर फिट्जगेराल्ड के बीच संबंध पूर्व सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रवनीत गिल और बाद के प्रेसिडेंट अंशु जैन के व्यक्तिगत संबंधों के कारण बने थे। दोनों कंपनियों के बीच शुरुआती चर्चा गिल और जैन द्वारा की गई थी और यह एक निजी बैठक थी। गिल और जैन पहले डचे बैंक में साथ काम कर चुके हैं। रवनीत गिल यस बैंक में सीईओ-एमडी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं तो अंशु जैन डचे बैंक के सीईओ और कैंटर फिट्जगेराल्ड के प्रेसिडेंट रह चुके हैं। साफ है कि यस बैंक ने कैंटर फिट्जगेराल्ड के साथ डील की, ताकि अमेरिका के संभावित निवेशकों को लुभाया जा सके। जैन के व्यक्तिगत हित और प्रतिबद्धता के कारण कैंटर ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए काफी प्रयास किए। हिंदुजा ग्रुप, टिल्डेन पार्क और अमांसा सहित लगभग 60 एंटिटी ने निवेशक के रूप में आगे आए थे।

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