UFBU का बैंकों की दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान

बैंकों को कंपनियों के ऋण बकाया के चलते लगभग 2.85 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इसी के चलते बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने बैंकों की 2 दिन की हड़ताल का ऐलान किया है।
UFBU का बैंकों की दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान
UFBU का बैंकों की दो दिवसीय हड़ताल का ऐलानSyed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। इस साल में पिछले कुछ महीनों के दौरान सरकार द्वारा बैंकों के प्राइवटाइजेशन करने के विचार के चलते बैंकों के कर्मचारियों ने अपनी नाराजगी सरकार को बयां करने के लिए बैंक के हड़ताल का तरीका अपनाते हुए देश भर में 2 दिनों की बैंक हड़ताल का आह्वान किया था। वहीं, अब सरकारी क्षेत्र के बैंकों को 13 कंपनियों के ऋण बकाया के चलते लगभग 2.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। इसी के चलते बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने बैंकों की 2 दिन की हड़ताल का ऐलान किया है।

UFBU का बैंकों की हड़ताल का ऐलान :

बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) द्वारा किए गए ऐलान के मुताबिक, बैंकों की हड़ताल 16 और 17 दिसंबर को रहेगी। इसका मुख्य कारण यह है कि, 13 निजी कंपनियों का बकाया 4,86,800 करोड़ रुपये था और इसका निपटारा 1,61,820 करोड़ रुपये में हुआ। इसका सीधा असर सरकारी बैंकों पर पड़ा और बैंकों को 2,84,980 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, अब UFBU ने बैंकिंग कानून (Amendment) विधेयक 2021 के विरोध और सरकारी बैंकों के प्राइवटाइजेशन के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया। उधर Yes Bank और आईएल एंड एफएस (IL&FS) जैसे संस्थान नुकसान से निकलने कि कोशिश में जुटे है। बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने सोमवार को यह आरोप लगाया।

UFBU के संयोजक ने दी जानकारी :

UFBU के संयोजक बी रामबाबू ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा है कि, 'संगठन ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र के कथित कदम का विरोध करते हुए 16 और 17 दिसंबर को पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। बजट में सरकार ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की घोषणा की थी। यह भी एक सच्चाई है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इस्तेमाल निजी क्षेत्र के संकटग्रस्त बैंकों जैसे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक, यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक, बैंक ऑफ कराड, आदि को राहत देने के लिए किया गया है। हाल के दिनों में, यस बैंक को सरकारी बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने संकट से निकाला। इसी तरह निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्त कंपनी), आईएलएंडएफएस को सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई और एलआईसी ने संकट से निकाला।'

उन्होंने आगे कहा कि 'सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जन धन, बेरोजगार युवाओं के लिए मुद्रा, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए स्वधन, प्रधानमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना जैसे अधिकांश सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं में भाग लेते हैं। इसलिए यूएफबीयू का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से आम लोगों और देश के पिछड़े क्षेत्रों के हितों को खतरा होगा।'

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