क्या है IPO और कंपनियां क्यों लेती हैं IPO की मदद?

क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि, IPO क्या है, इनकी क्या आवश्यकता है, इससे जुड़ी जानकारी कैसे प्राप्त होती है? अगर आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो चलिए आज हम आपको IPO से जुड़ी जानकारी देते हैं।
क्या है IPO और कंपनियां क्यों लेती हैं IPO की मदद?
क्या है IPO और कंपनियां क्यों लेती हैं IPO की मदद?Kavita Singh Rathore - RE

Initial Public Offering : आपने बहुत बार खबरों में सुना होगा कि, कंपनियों ने अपने Initial Public Offering (IPO) लांच किए और कंपनी के IPO ज्यादातर 3 दिन के लिए खुलते हैं। पिछले कुछ समय में बहुत सी कंपनियों ने अपना-अपना IPO मार्केट में उतारा है। क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि, IPO क्या है, इनकी क्या आवश्यकता है, इससे जुड़ी जानकारी कैसे प्राप्त होती है? अगर आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो चलिए आज हम आपको IPO से जुड़ी जानकारी देते हैं।

क्या होते हैं IPO :

IPO का फुल फॉर्म Initial Public Offering होता है। अगर हम हिंदी में जाने तो इसे "प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव" कहेंगे। कोई भी कंपनी पहली बार जब अपने शेयर जनता के लिए पेश करती है, तब उसे "प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव" के रूप में जाना जाता है। जब-जब कंपनियों को कारोबार का विस्तार करने या किसी अन्य कारण के लिए पूंजी जुटाने की आवश्यकता होती है। तब-तब कंपनियां अपना IPO (Initial Public Offering) लेकर मार्केट में उतरती हैं। जिससे उन कंपनियों को पूंजी जुटाने में निवेशकों का साथ मिल जाता है। जब कंपनियां लिस्ट होती हैं तब निवेशकों के साथ ही कंपनियों को भी काफी मुनाफा होता है। हालांकि, कंपनियों को हमेशा मुनाफा नहीं होता है। हालांकि, किसी भी कंपनी को IPO लांच करने से पहले बाजार नियामक SEBI की अनुमति लेनी पड़ती है।

जोखिम से भरा निवेश :

हम IPO को एक तरह का निवेश भी कह सकते हैं, लेकिन यह एक जोखिम से भरा निवेश होगा। इसे जोखिम भरा निवेश इसलिए कहा गया है, क्योंकि व्यक्तिगत निवेशकों के लिए शुरुआती व्यापार से आगे तक के व्यापार के लिए अच्छे शेयर प्राप्त होने की भविष्यवाणी करना बहुत ही कठिन होता है। अगर हम और सरल शब्दों में समझे तो किसी भी कारोबार की सफलता के लिए, बाजार से जुड़ी संपूर्ण जानकारी का होना अनिवार्य है। जिसके द्वारा हम अपने कारोबार के लिए पर्याप्त पूँजी (Capital) इकट्ठा कर सकें। ज्यादातर लोग पूंजी जुटाने के लिए 2 तरीके अपनाते हैं।

  • पहला तरीका होता है 'लोन' (Loan)

  • दूसरा तरीका होता है 'शेयर' (Shares) इसे अंश पूँजी भी कहा जाता है।

कंपनियां क्यों लेती हैं IPO की मदद ?

ज्यादातर छोटी-बड़ी कंपनियां लोन की जगह शेयर द्वारा पूंजी जुटाने का तरीका सही समझती हैं, जिससे लोन की चिंता नहीं होती है। इसके लिए यह कंपनियां IPO की मदद लेती है। कोई भी कंपनी IPO की मदद तब ही ले सकती है जब उसे IPO से जुड़ी संपूर्ण जानकारी उपलब्ध हो। IPO के जरिये कोई भी कंपनी अपने शेयरों को सार्वजनिक तौर पर आम जनता को बेचती है जिसके बदले में वह जनता से पैसे लेती है। जो भी कंपनी से शेयर्स खरीदता है वो कंपनी का शेयर होल्डर बन जाता है। ज्यादातर लिमिटेड कंपनियां IPO की मदद खुद को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए लेती है। ऐसा करने से उस कंपनी के ज्यादा मात्रा में शेयरों की खरीद होती है। कोई भी IPO काम से काम 3 दिन और ज्यादा से जयादा 10 दिन के लिए खुल सकता है। IPO के द्वारा आपको अपनी पसंद के कारोबार में आसानी से हिस्सेदारी मिल जाती है।

IPO के इशू :

  • फिक्स्ड प्राइस इशू (Fixed Price Issue)

  • बुक बिल्डिंग इशू (Book building Issues)

  • फिक्स्ड प्राइस इशू (Fixed Price Issue) :

इस तरह के IPO में कंपनी इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर एक प्राइस डिसाइड करती है। जिस पर कम्पनी अपने शेयर्स इन्वेस्टर्स को ऑफर करती है। फिर इन्वेस्टर्स उसी फिक्स्ड प्राइस में शेयर्स खरीदते हैं। इस तरह के आईपीओ में आपको डायरेक्ट फिक्ड प्राइस में शेयर्स मिल जाते हैं।

  • बुक बिल्डिंगइशू (Book building Issues) :

इस तरह के IPO में कंपनी इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर एक प्राइस बैंड डिसाइड करती है। उस प्राइस बैंड (कीमत का दायरा) में इन्वेस्टर्स को अपनी BID सम्बिट (बोली लगानी) करना होता है। इस प्राइस बैंड में सबसे लोअर कॉस्ट को फ्लोर प्राइस कहते ह इसके अलावा सबसे हाई कॉस्ट को कैप प्राइस कहते हैंं। इन दोनों प्राइस के बीच में 20% का डिफ्रेंस रखा जाता है। इस तरह की प्रोसेस में आपको प्राइस बैंड में से कोई भी एक प्राइस चुन कर अलॉटमेंट प्रोसेस पूरी करनी पड़ती है। तब ही उन्हें शेयर्स मिलते हैं।

कौनसी कंपनियां जारी करती हैं IPO:

ज्यादातर ऐसा होता है जब कोई नई कंपनी शुरू होती है, तब उसे अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए कुछ पैसों की जरूरत होती है। ऐसे में वह कंपनी IPO की मदद लेती है। इसके अलावा कुछ कंपनियां नुकसान से निकलने या कर्ज चुकाने के लिए भी IPO की मदद लेती हैं। वहीं, छोटी कंपनियां भी अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए IPO की मदद लेती है। कभी-कभी प्राइवेट कंपनियां भी IPO जारी करती है। यह बड़ी कंपनियां सार्वजनिक बाज़ार में कारोबार करने के लिए IPO की मदद लेती हैं। जिस भी कंपनी को IPO जारी करना होता है, वह किसी बीमा कराने वाली कंपनी से मदद ले सकती है। जो उसकी मदद करने के लिए तैयार हो। यह कंपनियां उन्हें मुख्य ज़मानत जारी करे इसके लिए मदद करती है। इसके अलावा IPO की सबसे सही और उचित कीमत का ज्ञान देती है इतना ही नहीं यह उसे बाज़ार में जारी करने का सबसे उचित समय क्या होगा इसका ज्ञान भी देती है।

IPO खरीदने समय ध्यान रखने योग्य बिंदु:

  • किसी भी कंपनी का IPO खरीदने से पहले सही ब्रोकर का चुनाव करना अनिवार्य है।

  • सभी कंपनी के फंडामेंटल देखकर कंपनियों की रेटिंग की जाँच जरूर करे।

  • कंपनी के बिजनेस के साथ IPO की कीमत की जानकारी अवश्य ले।

  • आप अन्य निवेशकों से कंपनी के IPO की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  • निवेश करने से पहले अन्य कंपनियों से तुलना करना न भूले।

  • बाजार में प्रोमोटर्स की जानकारी भी रखें।

  • पुराने निवेशकों से शेयर खरीदने से पहले खरीदने के पीछे का कारण जरूर समझें।

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