ग्वालियर, मध्य प्रदेश। शहर में कोरोना से पीड़ित एक नहीं बल्कि 79 मरीजों ने घर बैठे ही कोरोना संक्रमण को हरा कर मात दे डाली है। शासन द्वारा जारी कोविड-19 की होम आइसोलेशन की गाइड लाइन के तहत एक पखवाड़े में शहर में कुल 318 कोरोना संक्रमित मरीज होम आइसोलेशन में रखे गए हैं। होम आइसोलेशन में मरीज के ठीक होने के परिणाम नब्बे फीसदी सामने आ रहे हैं।
आईसीएमआर की नई गाइड लाइन के अनुसार अब बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजीटिव मरीज को होम आइसोलेशन में रखा जा रहा है। अभी तक शहर में कुल 318 मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया है जिनमें से दर्जन भर मरीज ऐसे रहे जिन्हें बुखार अथवा सांस लेने में तकलीफ होने के कारण आइसोलेशन से इलाज के लिए मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भेजना पड़ा है।
इन मरीजों को दी होम आइसोलेशन की अनुमति :
सीएचएमओ डॉ.वीके गुप्ता ने बताया कि 65 साल से कम उम्र वाले ऐसे कोरोना संक्रमित मरीज जिसे पूर्व में कोई गंभीर बीमारी न हो उसे होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाती है। ऐसे मरीजों को नॉन कांटेक्ट थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर स्वयं ही खरीदना पड़ता है। होम आइसोलेशन वाले मरीज वीडियो कॉलिंग कर डॉक्टर से इलाज संबंधी परामर्श ले सकते हैं। वहीं मरीज से बातचीत के दौरान डॉक्टर मरीज के शरीर का तापमान व ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा पर ऑनलाइन नजर बनाए रखते हैं।
परिवार से बढ़ा हौसला :
होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना से जंग जीतने वालों ने बातचीत के दौरान अनुभव साझा किए। कोरोना को मात देने वाले इन सभी ने कहा कि होम आइसोलेशन के दौरान पूरा परिवार उनकी आंखों के सामने होने से बढ़े हौसले ने भी कोरोना से जीत पाने में अहम भूमिका निभाई है। हौसला व होम आइसोलेशन के दौरान इम्यूनिटी मेंटेंन व तनावमुक्त रहना भी कोरोना से जंग जीतने में अहम भूमिका रही है।
होम आइसोलेशन होने के लिए कोरोना पॉजीटिव मरीज के घर पर परिजनों से अलग कमरा व अलग लेटबॉथ होना जरुरी है। साथ ही मरीज को आइसोलेशन के दौरान खानपान के लिए डिस्पोजेबल बर्तन के साथ ही उपयोग किया जाने वाला सामान भी कमरे में सेपरेट होना अनिवार्य है।
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