ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाई जाएगी सैंपलिंग, 612 हुए स्वस्थ, 586 मिले संक्रमित
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कोरोना की तीसरी लहर के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अभी राहत की स्थिति है। शहरी इलाकों की अपेक्षा गांवों में कम मरीज निकल रहे हैं। इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का अनुमान है कि गांवों में घनी आबादी और भीड़भाड़ कम होने के कारण संक्रमण का उतना असर नहीं है। वहीं यह भी संभव है कि लक्षण दिखने पर मरीज भी सैंपल देने कम आ रहे हैं। इसको देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग के अफसर ग्रामीण क्षेत्रों में भी सैंपलिंग बढ़ाने जा रहे हैं। इसके लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) का सहारा लिया जाएगा। अगले सप्ताह की शुरुआत से एमएमयू को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा। वहीं शुक्रवार को 612 मरीज स्वस्थ हुए हैं और 586 संक्रमित निकले हैं।
कोरोना की पिछली दो लहरों के दौरान देखने में आया है कि शहरी क्षेत्र में फैलने के बाद कोरोना संक्रमण ने गांवों में पैर पसारे थे। दूसरी लहर के दौरान ग्रामीण इलाकों पर खासा प्रभाव पड़ा था। हालांकि इस बार संक्रमण का गांवों में उतना असर नहीं है। फिर भी सावधानी बरतते हुए अफसर अब ग्रामीण क्षेत्रों में सैंपलों की सं या में बढ़ोतरी करने जा रहे हैं। इसके लिए डबरा, भितरवार, घाटीगांव और मुरार ब्लाक के उन गांवों का पहले चयन किया जाएगा, जहां घनी आबादी और बाजार हैं। वहीं इंसीडेंट कमांडरों और जिला पंचायत के अफसरों से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है, ताकि ये पता चल सके कि किन गांवों में आबादी अधिक है। उन गांवों में प्राथमिकता के आधार पर एमएमयू भेजकर लक्षण वाले मरीजों के सैंपल इकठ्ठे किए जाएंगे, क्योंकि पिछली लहर के दौरान भितरवार के ईंटमा गांव में ऐसे लक्षण वाले 300 मरीजों के सैंपलों में से 40 मरीज पाजिटिव आए थे।
संक्रमितों मिले मरीजों से अधिक हुए स्वस्थ :
शुक्रवार को संक्रमित मिले मरीजों से अधिक संख्या स्वस्थ होने वाले मरीजों की रही। स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को 3606 कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच की। इसमें 586 को कोरोना होने की पुष्टि हुई। वहीं 612 मरीज स्वस्थ हुए हैं। जिले में एक्टिव केस मरीजों की संख्या 7190 है। अब राहत की बात यह है कि जो भी मरीज संक्रमित मिल रहे हैं उनमें से अधिकांश मरीज घर पर ठीक हो रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक माना जा रहा था, क्योंकि 1 से 17 साल तक के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी थी। इस कारण बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार, स्वास्थ्य विभाग व परिजन सभी चिंतित थे, लेकिन अभी तक 24 दिन में तीसरी लहर का जो ट्रेंड सामने आया है उसमें बच्चों ने कोरोना को मात दे दी है। 24 दिन में ग्वालियर में 1 से 17 साल के बीच के 561 बच्चे संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर 10 से 17 साल के बीच के हैं। यह वह हैं जो बच्चों से किशोर अवस्था में आ चुके हैं या आ रहे हैं। छोटे-छोटे कामों और स्कूल, कोचिंग के लिए इनका बाहर जाना पड़ता है। राहत की बात यह है कि एक भी बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करने की नौबत अभी तक नहीं आई है।
इनका कहना है :
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी कोविड संक्रमण का असर कम है, लेकिन अब सावधानी बरतते हुए जिले के चारों ब्लाक के गांवों में एमएमयू भेजना शुरू की जाएंगी। इसके लिए ड्राइवर और स्टाफ की भी व्यवस्था लगभग हो गई है। हम इंसीडेंट कमांडर और जिला पंचायत अफसरों के भी लगातार संपर्क में हैं।
डॉ. अमित रघुवंशी, नोडल अधिकारी, कोविड सैंपलिंग
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