इंदौर : अब स्टाफ नर्स की भी किल कोरोना में लगाई ड्यूटी

इंदौर, मध्य प्रदेश : किल कोरोना अभियान में अब तक आशा कार्यकर्ता के साथ आगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक लगे हुए थे। अब अभियान को और ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगाई गई है।
किल कोरोना अभियान
किल कोरोना अभियानRaj Express

इंदौर, मध्य प्रदेश। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग की टीम इन दिनों शहर मेंं किल करोना के तहत सर्वे अभियान में जुटी हुई है। अब तक सर्वे में स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ नर्स को दूर रखा गया था, लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अस्पतालों में तैनात स्टाफ नर्स की ड्यूटी भी सर्वे में लगा दी गई है। इससे अस्पतालों में दिक्कत बढ़ गई है।

किल करोना अभियान के तहत पूरे शहर में सर्वे किया जा रहा है और कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों को घर-घर जाकर तलाशा जा रहा है। अभियान में अब तक आशा कार्यकर्ता के साथ आगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक लगे हुए थे। अब अभियान को और ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगाई गई है।

अस्पतालों में प्रसूताओं की बढ़ी परेशानी :

स्टाफ नर्स की ड्यटी लगाने पर सबसे ज्यादा दिक्कत संयोगितागंज स्थित पीसी सेठी अस्पताल में होने की बात सामने आई है। यहां स्री एवं प्रसूति रोग के साथ ही एसएनसीयू में काफी रस रहता है। मौजूदा स्टाफ के पहले ही ज्यादा काम करना पड़ रहा था, लेकिन अब यहां से भी स्टाफ नर्स की ड्यूटी सर्वे में लगा दी गई है। इस कारण यहां जो स्टाफ अस्पताल में ड्यूटी कर रहा है, उन पर काम का दबाव पहले से ज्यादा बढ़ गया है, वहीं यहां भर्ती होने वाली गर्भवती और प्रसूताओं की परेशानी बढ़ गई है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि जहां अतिरिक्त स्टाफ था, वहां से स्टाफ नर्स को निकलकर सर्वे में ड्यूटी लगाई गई है, जबकि हकीकत यह है कि विभाग के किसी भी अस्पताल में स्टाफ नर्स ज्यादा नहीं है और तीनों शिफ्ट में ड्यूटी लगाने में परेशानी आ रही है।

बाहर से पूछकर, हो जाता है सर्वे :

जहां एक और जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग शहर से कोरोना को जड़ से खत्म करने में जुटा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर शहर में जो सर्वे चल रहा है, उसमें भी कुछ खामियां सामने आई हैं। मिली जानकारी के मुताबिक घनी बस्तियों में लोग अभी भी सर्दी-खांसी, बुखार होने पर फीवर क्लीनिक जाने से डर रहे हैं कि कहीं उन्हें क्वारेंटाइन नहीं कर दिया जाए। इसलिए वह बीमार होने के बाद भी दवा लेने से डर रहे हैं, क्योंकि निजी क्लीनिक और दवा दुकान पर भी मोबाइल नंबर के साथ ही उनकी जानकारी मांगी जाती है, जिसके डर के कारण इलाज नहीं करवा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जो सर्वे हो रहा है, उसमें कई स्थानों पर केवल औपचारिकता निभाकर घर के बाहर आवाज लगाकर पूछ लिया जाता है कि घर में किसी को सर्दी-खांसी तो नहीं है, ऐसे में अक्सर लोग गलत जानकारी देकर बाहर से सर्वे करने वालों को टरका देते हैं।

लगाया जाए शिविर, रेंडम सेंपल हो :

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को यदि वास्तव में कोविड-19 के मरीज ढूंढना हों, तो जानकारों का कहना है कि विभाग को घनी बस्तियों के साथ हर क्षेत्र में नियमित रूप से शिविर लगाए जाएं। लोगों को डराने के बजाए, समझाया जाए और 'यादा लिखा-पड़ी न करते हुए उन्हें सर्दी-खांसी की दवा दी जाए और लगातार उनसे सपर्क कर उनकी जानकारी ली जाए। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अचानक किसी भी बाजार में पहुंचकर दुकानदार, आम लोगों और समान खरीदने वालों के साथ ही अन्य लोगों के रेंडम सेंपल समय-समय पर लिए जाएं, तो इससे लोगों में जागरुकता भी आएगी और अनावश्यक बाहर निकलने से भी डरेंगे। इसी तरह जो लोग रात में और रविवार को बेवजह इधर-उधर घूमते मिले, उनका भी सेंपल लेकर जांच की जाए।

यह कहना है इनका :

स्टाफ नर्स की सर्वे में ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन इससे अस्पतालों की व्यवस्था प्रभावित नहीं होंगी, क्योंकि जहां अतिरिक्त स्टाफ है, वहीं से स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगाई गई है।

डॉ. प्रवीण जडिय़ा, सीएमएचओ, इंदौर

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