इंदौर : बैंक मैनेजर की मिलीभगत कर लिया फर्जी दस्तावेज से 1.70 करोड़ का लोन

इंदौर, मध्य प्रदेश : बैंक मैनेजर, कर्मचारियों से मिली भगत कर फर्जी दस्तावेज के आधार पर 1.70 करोड़ रुपए का लोन लेने का मामला सामने आया है। ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद किया 6 के खिलाफ केस दर्ज।
बैंक मैनेजर की मिलीभगत कर लिया फर्जी दस्तावेज से 1.70 करोड़ का लोन
बैंक मैनेजर की मिलीभगत कर लिया फर्जी दस्तावेज से 1.70 करोड़ का लोनSocial Media

इंदौर, मध्य प्रदेश। बैंक मैनेजर, कर्मचारियों से मिली भगत कर फर्जी दस्तावेज के आधार पर 1.70 करोड़ रुपए का लोन लेने का मामला सामने आया है। ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच के बाद आधा दर्जन आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। ऑटोपार्टस और टायर के बिजनेस के नाम पर बैंक ऑफ बड़ौदा से आरोपियों ने 1 करोड़ 70 लाख रूपए का लोन फर्जी दस्तावेज के आधार पर ले लिया। मामले में बैंक ऑफ बडौदा मुख्य प्रबंधक और वरिष्ठ प्रबंधक (ऋण) सहित 6 लोगों के खिलाफ ईओडब्लू ने केस दर्ज किया है।

कैसे हो गया लोन पास :

ईओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह ने बताया कि पंजाब नेशनल बैंक शाखा जवाहर मार्ग इन्दौर के बैंक मैनेजर नंदकिशोर पिता प्रेमसिंह द्वारा दी गई लिखित शिकायत के बाद जाँच इकाई के सब इंस्पेक्टर के. सी. पाटीदार से कराई गई। जांच में ये पता चला कि मेसर्स श्री राम इंटरप्राईजेस के प्रोप्राईटर शिलादित्य सिंह चौहान पिता जयप्रकाश सिंह, एरोड्रम रोड द्वारा ऑटो पार्टस एवं टायर के व्यवसाय के लिए नगद शाखा ऋण प्राप्त करने बाबत् आवेदन प्रस्तुत किया था। साथ में बंधक के रूप में अपने प्लॉट जो भैरव लाल पिता महादेव प्रसाद प्रजापती, सावेर रोड से ग्राम कुमेडी तहसील सांवेर जिला इन्दौर में स्थित सर्वे नं 25-2-5-1 पैकी रकबा 0.051 आरए (5500 वर्गफीट)की कृषि भूमि को डायवर्टेट भूमी के रूप मे भैरवलाल प्रजापति से 63,25000 रुपए में क्रय की जाकर लोन प्राप्त करने के उद्देश्य से ही डायवर्टेट भूमि की 2,00,00000 रुपए की रजिस्ट्री 22 नवंबर 2017 को कराई गई है। फर्जी दस्तावेज होने के बावजूद बैंक के प्रोसेसिंग अधिकारी बृजेश पुलैया, वरिष्ठ प्रबंधक (ऋण) द्वारा की जाकर 1.70 करोड़ रूपये के ऋण देने की सिफारिश की गई। सम्पत्ति का मूल्यांकन व्हीएस मेहता, आर्किटेक्ट, इंदौर के द्वारा गाईडलाईन के हिसाब से कीमत 29,64,682 रुपए होने के बाद भी 2,30,58,200 रुपए की मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है । मनोहर वाधवानी, मुख्य प्रबंधक द्वारा स्वीकृत किया गया तथा 24 नवंबर 17 को खाता क्रमांक 1936008700001898 में राशि 1.70 करोड का अंतरण ऋणी के खाते में किया गया ।

जांच में मिली कौन-कौन सी गड़बड़ियां :

बंधक सम्पत्ति का पुन: मुल्यांकन कराया गया तब बंधक सम्पत्ति की कीमत 11259000 रुपए होना पाया गया। बंधक रखी गई सम्पत्ति के दस्तावेज कृषि भूमि के एसडीएम सांवेर से डायवर्टेट आदेश पत्र क्र. 2202-अ-2-री-12-13 सांवेर 18 जून 2013 का पत्र फर्जी होकर कूटरचित होना पाया गया है । संयुक्त संचालक , ग्राम एवं निवेश कार्यालय इन्दौर से आदेश पत्र कमांक -4152 एसपी 407 - 12 - नग्रानि - 2013, इन्दौर 29 अप्रैल 13 से नक्शा पास होने के संबंध में तस्दीक करते वह भी कूटरचित होना पाया गया। भूअर्जन अधिकारी इन्दौर विकास प्राधिकरण जिला इन्दौर से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र भी फर्जी होकर कूटरचित होना पाया गया। उक्त बंधक सम्पत्ति राजस्व रिकार्ड में वर्तमान खसरा नकल अनुसार आज भी कृषि भूमि होकर भैरवलाल के ही नाम पर दर्ज है। बैंक अधिकारी बृजेश पूलैया व तत्कालीन बैंक मैनेजर मनोहर वाधवानी द्वारा बंधक सम्पति की सार्वजनिक सूचना जारी किये बगैर ही तथा राजस्व प्राधिकरण मे प्रस्तावित बंधक व्यक्ति के नाम पर सम्पति अंतरित नहीं होने के बावजूद भी कृषि भूमी की सम्पति को डायवर्टेट के रूप में बंधक रखकर आरोपीयो ने डायवर्टेट के जाली दस्तावेज तैयार कर स्वयं को सदोष लाभ पहुंचाने एवं बैंक को सदोष हानि पहुंचाने के आशय से षडयंत्र पूर्वक छल कपट बईमानी से कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बैंक से 1.70 करोड़ रुपए प्राप्त कर ब्याज सहित 1,83,56,465 वापस जमा न कर धोखाधड़ी की जाना पाया जाने से आरोपीगण मेसर्स श्रीराम इंटरप्राईजेस प्रोप्रा. शीलादित्य सिंह चौहान, भैरव लाल प्रजापती, मनोहर बाधवानी, तत्कालीन शाखा प्रबन्धक, बृजेश पुलैया, व्ही एस मेहता आर्किटेक्ट व अन्य के विरूद्ध अपराध धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं लोकसेवकों के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा के तहक केस दर्ज किया है।

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