इंदौर : आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले दंपत्ति की अग्रिम जमानत खारिज

इंदौर, मध्यप्रदेश : आय से अधिक अनुपातहीन संपति अर्जित करने के मामले में विशेष अदालत ने आर्य दंपति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले दंपत्ति की अग्रिम जमानत खारिज
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले दंपत्ति की अग्रिम जमानत खारिजसांकेतिक चित्र

इंदौर, मध्यप्रदेश। आय से अधिक अनुपातहीन संपति अर्जित करने के मामले में विशेष अदालत ने आर्य दंपति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। विशेष लोक अभियोजक महेन्द्र कुमार चतुर्वेदी द्वारा बताया गया कि 1 अप्रैल 2021 को विशेष न्यायाधीश एवं प्राधिकृत अधिकारी आलोक मिश्रा जिला इंदौर के न्यायालय में आरोपीगण संतोष आर्य एवं अर्चना आर्य द्वारा अपनी ओर से अग्रिम जमानत का आवेदन अपराध क्रमांक 21/2011 में पेश किया गया । अग्रिम जमानत का लाभ दिये जाने का निवेदन किया गया। अभियोजन की ओर विशेष लोक अभियोजक महेंद्र कुमार चतुर्वेदी द्वारा आरोपीगण की जमानत का इस आधार पर विरोध किया गया कि उक्त अपराध गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। आरोपीगण को यदि जमानत का लाभ दिया गया तो पुन: अपराध करेंगे और आरोपीगण के फरार होने की भी संभावना है तथा प्रकरण के साक्ष्य एवं साक्षियों को भी प्रभावित कर सकते हैं तथा प्रकरण के न्यायोचित निराकरण में विलंब कारित करेंगे। अत: आरोपीगण को जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने सुनवाी के बाद आरोपीगण की अग्रिम जमानत को खारिज करने का आदेश दिया गया व सभी आरोपीगण के विरूद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।

यह था मामला :

अभियोजन की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो इकाई इंदौर में आरोपी संतोषकुमार आर्या के विरूद्ध सूत्रों से सूचना प्राप्त हुई थी कि यह लोक सेवक ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग में दिनांक 07.09.1995 से उपयंत्री के पद पर कार्यरत होकर अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर अवैध लाभ अर्जित कर धन कमा रहा है। जिसने अवैध कमाई से अपनी पत्नी, पुत्र,साले, माता- पिता एवं अपने ड्राइवर के नाम बेनामी चल अचल संपत्ति इंदौर व आसपास जमीन, मकान, वाहन आदि के रूप में खरीदी है। उक्त व्यक्ति ग्रामीण यांत्रिकी सेवाओं से संबंधित योजनाओं में लगातार भ्रष्टाचार कर शासन को लगातार राजस्व की हानि पहुंचा रहा है। उक्त व्यक्ति के विरूद्ध प्रथम दृष्टया सूचना की तस्दीक पश्चात धारा 13(1डी), 13(1ई) 13(2) भ्र.न. अधि. 1988 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान में लिया गया। अनुसंधान उपरांत आरोपी एवं परिजनों एवं अन्य के नाम से धारित चल अचल संपत्ति 2,27,33,883/- रूपए अधिक अर्जित करना पाया गया इस प्रकार आरोपी के विरूद्ध अनुसंधान उपरांत चालान पेश किया गया था। जिस पर आरोपीगण द्वारा अग्रिम जमानत दिये जाने का आवेदन पेश किया गया था।

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