भोपाल : करीब 10 करोड़ की ठगी करने वाले हाईटेक जालसाज गिरोह का भंडाफोड़

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्जीय हाईटेक जालसाज गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
ठगी करने वाले हाईटेक जालसाज गिरोह का भंडाफोड़
ठगी करने वाले हाईटेक जालसाज गिरोह का भंडाफोड़Social Media

भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी की साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्जीय हाईटेक जालसाज गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो लोन दिलाने के नाम पर फर्जी वेबसाइट के माध्यम से धोखाधड़ी की वारदातों को अंजाम दे रहा था। दो साल के अंतराल में यह गिरोह करीब 10 हज़ार लोगों से 10 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी कर चुका है। पुलिस ने दो युवतियों व सरगना समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि एक अन्य फरार आरोपी की तलाश की जा रही है। आरोपियों ने यूपी के नोएडा को अपना गढ़ बना रखा था। वहां पर उन्होंने दो कॉल सेंटर भी खोल रखे थे जहां दो दर्जन से अधिक लड़कियां नौकरियां कर रही थीं और ग्राहकों को कॉल लगाती थीं।

पुलिस के मुताबिक फरियादी पद्मेश सिंह ने जनवरी 2020 में शिकायती आवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि उसके साथ महा दिसंबर 2019 में वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू स्विफ्ट फाइनेंस डॉट इन ने पर्सनल लोन देने का झांसा देकर उनके साथ धोखाधड़ी की है। शिकायती आवेदन की जांच के बाद साइबर क्राइम ब्रांच पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी। विवेचना के दौरान चार आरोपियों डेविड कुमार जाटव, नेहा भट्ट, मनीषा भट्ट और कमल कश्यप के नाम उजागर हुए। साइबर क्राइम पुलिस ने तीन आरोपियों डेविड जाटव , नेहा भट्ट और मनीषा भट्ट को नोएडा दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया।

नोएडा में हैं कॉल सेन्टर

पुलिस ने बताया कि आरोपी डेविड कुमार जाटव इस गिरोह का सरगना है। वह एक आईटी कंपनी चलाता है। डेविड कुमार जाटव ने ऑनलाइन वेबसाइट डिजाइनिंग का कोर्स किया है। वह फर्जी वेबसाइट ग्राहकों को लोन देने के लिए बनाता था। फर्जी वेबसाइट का ऑनलाइन विज्ञापन गूगल ऐड में देता था। इस काम के लिए उसने नोयडा यूपी में कॉल सेन्टर खोल रखे हैं। इन कॉल सेंटरों में 25-30 लड़कियों को ऑनलाइन ग्राहकों को लोन लिए जाने के लिए फोन करने के लिये रखा गया है।

आरोपी बहनें देखती थीं प्रबन्धन

फरार आरोपी कमल कश्यप गिरोह के सरगना डेविड कुमार जाटव को ग्राहकों से पैसे लेने के लिए फर्जी बैंक एकाउंट व सिम कार्ड उपलब्ध कराता था। डेविड जाटव इस काम के लिए 50 हजार रुपए प्रति फर्जी बैंक एकाउंट के आधार पर पेमेंट करता था। आरोपी नेहा भट्ट सरगना डेविड कुमार जाटव की मंगेतर है और अगस्त 2018 से यह डेविड के साथ काम कर रही है। यह इसकी फर्जी कंपनियों के प्रबंधन का काम देखती है। आरोपी मनीषा भट्ट आरोपी नेहा भट्ट की बहन है और डेविड जाटव की कंपनियों से ग्राहकों को फोन करने वाले कॉल सेंटर प्रबंधन का काम देखती है।

ऐसे करते थे ठगी

पुलिस ने बताया कि गिरोह के सदस्य फर्जी वेबसाइट डेवलप कर इन फर्जी वेबसाइट का गूगल ऐड के माध्यम से विज्ञापन देते थे। जब ग्राहक लोन लेने के लिए अपनी पर्सनल जानकारी डालते थे, तब कंपनी के कॉल सेंटर से लडकियां कॉल करती थी तथा प्रोसेसिंग फीस, सिक्योरिटी डिपोजिट, जीएसटी व वनटाइम ट्रांजेक्शन व अलग-अलग चार्जजेस के नाम पर ग्राहको से 30-40 हजार रुपए ठग लेते थे। प्रत्येक फर्जी वेबसाइट का दो से ढाई माह उपयोग किया जाता था। उसके बाद फर्जी वेबसाइट को बंद कर देते थे। लोन के लिये बनाई गई हर फर्जी वेबसाइट से औसतन 1000-1200 ग्राहकों को विभिन्न स्तर पर ठगा गया है।

हर महीने बदलते थे सिम कार्ड

लोगों से पैसे लेने के लिए फर्जी बैंक खातों व कॉल करने के लिए जिन सिम कार्डो का यह उपयोग करते थे उन्हें प्रत्येक माह बदल देते थे। ग्राहको को फोन करने के लिए दो कॉल सेंटर नोएडा में किराए पर ले रखे थे। कॉल सेंटरों का किराया प्रतिमाह करीब डेढ़ लाख रुपए था। इनमें 25-30 लडकियों को 10-15 हज़ार रुपए की मासिक वेतन पर रखा गया था। फोन करने वाली लड़कियां प्रत्येक ग्राहक का रिकार्ड साफ्ट कॉपी में एक्सल में नोट करती थीं। इन एक्सल फाईलों का ऐनालाईसिस करने पर लगभग 8-10 हजार लोगों के साथ ठगी करना ज्ञात हुआ है। यह आरोपी अब तक लगभग 10 हजार लोगों से लगभग 10 करोड़ रुपए की ठगी कर चुके हैं।

नोडल अधिकारी नियुक्त ने 6 लेपटॉप, 25 मोबाईल फोन, 21 पेन ड्राइव, 8 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, 3 रेंट एग्रीमेंट संबंधी दस्तावेज, तीन वेबसाइट संबंधी दस्तावेज, एक रजिस्टर, एक राउटर मय मोडेम मय इंटरनेट कन्वेटर व एक बलेनो कार। फर्जी वेबसाइट के माध्यम से लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के खिलाफ कार्यवाही के लिए सायबर क्राइम भोपाल पुलिस ने उप निरीक्षक सुनील रघुवंशी मोबाइल नंबर- 8602744849 को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। इस गिरोह ने लोन के नाम पर यदि किसी के साथ धोखाधड़ी की है, तो वह व्यक्ति नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

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