Bhopal : फर्जी बही छापने वाला प्रिंटिंग प्रेस संचालक समेत दो गिरफ्तार
भोपाल, मध्यप्रदेश। फर्जी बही बनाने वाले शातिर जालसाज की निशानदेही पर अयोध्या नगर पुलिस ने फर्जी बही छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस संचालक और आला अधिकारियों की नकली सील बनाने वाले दुकानदार को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी फर्जी बही बनाने वाले जालसाज के कहने पर फर्जी बही छापने और नकली सील बनाने का काम करते थे। पुलिस ने आरोपियों की दुकानों से फर्जी बही के करीब दो दर्जन ब्लू प्रिंट, फर्जी बही छापने की मशीन व नकली सील बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस को आरोपियों से अन्य सनसनीखेज खुलासे होने की उम्मीद है। पुलिस नकली बही के आधार पर एक ही जमीन कई लोगों को बेचकर व अनुबंध कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले अब तक कुल छह आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस के मुताबिक दो दिन पहले महोली गांव गुनगा निवासी हसीब खां (61) को गिरफ्तार कर उसके मकान से करीब 450 फर्जी बही व आला अफसरों के नाम की 18 नकली सीलें बरामद की थीं। आरोपी हसीब को रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। पूछताछ में उसने बताया कि जमीनों की फर्जी बही वह फ्रेंड कॉलोनी अशोका गार्डन निवासी अफसर खान (50) से छपवाता था। कोतवाली रोड पर अफसर की हर्फ ऑफसेट नाम से प्रिंटिंग प्रेस है। इसी प्रकार आरोपी हसीब की निशानदेही पर ही बुधवारा निवासी मसरूरउद्दीन (50) को भी गिरफ्तार किया गया है। मसरूरउद्दीन की इब्राहिमपुरा में टॉप आर्ट नाम से सील बनाने की दुकान है। आरोपी मसरूरउद्दीन नकली सील बनाकर आरोपी अफसर को देता था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे हसीब को बहुत दिनों से जानते हैं। उन्हें लगा था कि हसीब राजस्व विभाग का अधिकारी है। इसलिए जान-पहचान की वजह से उसके कहने पर सील व बही छापकर उपलब्ध कराते रहे। थाना प्रभारी पवन सेन ने बताया कि हेमसिंह उर्फ हेमराज, अजब सिंह, लीला बाई, हसीब, अफसर खान व मसरूद्दीन समेत गिरोह में शामिल अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। तीन आरोपियों से अभी पूछताछ चल रही है। पूछताछ में और भी खुलासे हो सकते हैं। आरोपियों ने शहर की कई जमीनों के जाली दस्तावेज तैयार कर ठगी में उपयोग किया है।
जालसाज के पिता थे पटवारी :
पुलिस ने बताया कि आरोपी जालसाज हसीब के पिता पटवारी रहे हैं। तीन साल पहले उनकी मौत हो चुकी है। हसीब ने पुलिस को बताया कि वह पिता के साथ काम करता था। पिता से ही उसने राजस्व रिकार्ड तैयार करने का काम सीखा था। पिता की मृत्यु होने के बाद वह फर्जी बही बनाने का काम करने लगा। एक बही बनाने के वह पांच से 10 हजार रुपए तक लेता था।
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