जिला सहकारी बैंक घोटाला
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जिला सहकारी बैंक घोटाला : जांच में मैनेजर, सुपरवाईजर सहित दो कर्मचारी पाए गए दोषी

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश : मैनेजर की मिलीभगत से किया गया 40 लाख का घोटाला, दोषियों को एफआईआर से बचाने की जुगत में लगा बैंक प्रबंधन।

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। जिला सहकारी बैंक की शिवपुर ब्रांच में एक किसान परिवार के तीन लोगों के खातों से करीब 40 लाख रुपए फर्जी तरीके से निकाले जाने के मामले की जांच के लिए गठित टीम ने शिवपुर ब्रांच पहुंचकर जांच-पड़ताल कर ली है और जांच प्रतिवेदन तैयार कर लिया है, जो शीघ्र ही प्रशासक एवं कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को प्रस्तुत किया जाएगा। जांच टीम ने पाया कि बैंक में जमा किसान परिवार के खाते की राशि एनईएफटी के माध्यम से दूसरे खातों में अंतरित की गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे घोटाले में बैंक मैनेजर, सुपरवाईजर सहित दो अन्य कर्मचारी शामिल पाये गये हैं। घोटाले को अंजाम बैंक के कर्मचारियों ने दिया, इसका मास्टर माइंड बैंक मैनेजर ही बताया जा रहा है। जिसकी आईडी, हस्ताक्षर और जानकारी में यह सब खेल हुआ है। इधर उपर तक पहुंच रखने वाले ब्रांच मैनेजर को बचाए जाने की भी चर्चाए हैं। इन चर्चाओं को इसलिए भी बल मिला है क्योंकि लाखों रुपए के घोटाले के बाद भी जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक ने ब्राच मैनेजर के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज नहीं करवाई है।

घोटाले की जांच के लिए गए दल ने इस मामले में लेन-देन की बात पाई है। जिसमें ब्रांच मैनेजर को बचाया जा रहा है। जबकि ब्रांच मैनेजर इस पूरे मामले में दोषी हैं इनके ही हस्ताक्षर से पूरा कार्य हुआ है, इसके बाद भी इन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है। मालूम हो कि किसान के खाते से लगभग 40 लाख रूपये एनईएफटी कर अन्य खातों में डाले गए हैं। किसान को पता तब चला जब वह राशि निकालने के लिए बैंक गया। शिकायतकर्ता ने अधिकारियों से मांग की है कि बैंक के मैनेजर की पूरी तरह दोषी है इनके हस्ताक्षर से पूरा खेल हुआ है । केंद्रीय बैंक नर्मदापुरम से गई जांच टीम में कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी स्वयं जांच चल रही है और वह खुद घपले घोटाले में लिप्त रहे हैं ऐसे कर्मचारियों को जांच करने के लिए शिवपुर ब्रांच भेजा था, जो स्वयं घपले घोटाले में शामिल हैं। बताया जाता है कि इन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में भी ऐसे प्रमुख बिंदु जोड़े हैं जो कि छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अब देखना यह है कि जिला सहकारी बैंक के प्रशासक कलेक्टर इस मामले में निष्पक्षता से इस पूरे मामले में हुए घोटाले और किसान के साथ हुई हेरा फेरी क्या कार्रवाई करते हैं। बताया जाता है कि अभी तक 40 घोटाले में बैंक महाप्रबंधक के द्वारा अनियमितता की गई बैंक के ब्रांच मैनेजर पर एफ आई आर दर्ज नहीं कराई गई इस मामले में किसान अपनी फरियाद कलेक्टर और पुलिस को शिकायत कर चुके हैं लेकिन जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक ने अपने अधीनस्थ ब्रांच मैनेजर के खिलाफ अभी तक पुलिस में एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।

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चार अधिकारी-कर्मचारी पाये गये दोषी :

शिवपुर ब्रांच में किसानों के खातों से करीब 40 लाख रूपये फर्जी तरीके से निकालने के मामले में जांच के बाद सुपरवाइजर पीएन तिवारी जिनकी आईडी से पैसे ट्रांसफर किये गये, ब्रांच मैनेजर सुरेन्द्र पटेल की आईडी से विड्राल पास किया गया है, जबकि अन्य कर्मचारी बदामीलाल एवं एक अन्य अनुकंपा कर्मचारी गगन यादव को दोषी पाया गया है। इस घोटाले में दोषी चारों को बचाने के प्रयास भी जमकर किये जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार बैंक कर्मचारियों को बचाने के लिये बैंक प्रबंधन द्वारा किसानों का पैसा वापिस करने की योजना तैयार की है। जबकि बिना ग्राहक की अनुमति के उसका पैसा किसी अन्य खातों में ट्रांसफर करना आपराधिक कृत्य है, जिसकी पुलिस में शिकायत होना चाहिये और दोषी कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिये। लेकिन बैंक प्रबंधन द्वारा अभी तक पुलिस को लिखित सूचना नहीं दी है, इससे स्पष्ट है कि दोषियों को बचाने की पूरी तैयारी है।

दोषी कर्मचारियों ने दिये चैक :

सूत्रों के अनुसार इस वृहद घोटाले की जांच में जिन चार अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आये हैं, उन्हें बचाने के लिये बैंक प्रबंधन जी-जान से जुटा हुआ है। बताया जाता है कि बैंक महाप्रबंधक के निर्देश पर जिन चार लोगों के सामने जांच में सामने आये हैं, उनके द्वारा गुपचुप तरीके से वसूली की जा रही है, जिस पर दोषी चार लोगों ने बैंक महाप्रबंधक को चैक दिये हैं। बताया जाता है कि सुपरवाइजर पीएन तिवारी ने तीन लाख का चैक दिया है, वहीं ब्रांच मैनेजर सुरेन्द्र पटेल ने 12 लाख का चैक दिया है, बदामीलाल ने 5 लाख का चैक दिया है, साथ ही अनुकंपा नियुक्ति में नियुक्त गगन यादव द्वारा भी चैक दिया गया है। ताकि किसान को उसका पैसा वापिस किया जाये। इस पूरे मामले में सबसे खास बात यह है कि यदि इन अधिकारियों ने चैक के माध्यम से पैसा दिया जा रहा है, तो स्पष्ट है कि इन्होंने किसानों का पैसा निकाला, जो आपराधिक कृत्य है, जिसकी एफआईआर दर्ज होना चाहिये।

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इनका कहना :

जांच दल शिवपुर ब्रांच पहुंचा था, मामले की जांच की गई और जांच प्रतिवेदन तैयार कर कलेक्टर एवं बैंक महाप्रबंधक को सौंपा जायेगा, इसके बाद ही आगे की कार्यवाही की जायेगी। मामला गंभीर है।

संतोष दीक्षित फील्ड आफिसर, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. नर्मदापुरम

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