इंदौर : नामी ज्वेलर्स के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाली गैंग का पर्दाफाश

इंदौर, मध्य प्रदेश : राजस्थान के गांव के रहने वाले हैं गैंग के सदस्य। मोबाइल ऐप के सहारे देते थे वारदात को अंजाम।
नामी ज्वेलर्स के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाली गैंग का पर्दाफाश
नामी ज्वेलर्स के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाली गैंग का पर्दाफाशSocial Media

इंदौर, मध्य प्रदेश। स्टेट सायबर सेल ने एक ऐसी गैंग का पर्दाफाश किया है जो मोबाईल ऐप पर भारत के नामी ज्वैलर्स के नाम व फोटो का दुरुपयोग कर कई शहरों के ज्वैलर्स के साथ करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है। गैंग के दो सदस्य रामकृष्ण पिता भोमाराम पुरोहित, जिला जालौर राजस्थान, शैतान सिंह राजपूत उर्फ प्रदीप राठौङ पिता सूरजपाल सिंह राठौड़, जालौर, राजस्थान को गिरफ्तार किया है। गैंग ने पंजाब ज्वेलर्स के मैनेजर को अपना शिकार बनाया था। गैंग के सभी सदस्य कम पढ़े-लिखे हैं लेकिन सोशल मीडिया के एक्सपर्ट्स हैं। गैंग के सदस्यों ने दर्जनों वारदातों के सुराग दिए हैं जिनके आधार पर छानबीन की जा रही हैं। गैंग का सरगना एवं अन्य सदस्य फरार हैं, उनकी तलाश की जा रही है।

कैसे हुआ खुलासा :

स्टेट सायबर सेल एसपी जितेन्द्र सिंह ने बताया कि 4 दिसंबर 2020 को पंजाबी सर्राफ ज्वैलर्स के मैनेजर द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा मुंबई के नामी ज्वैलर्स के मालिक के नाम से काल किया, डिसप्ले पर उसका फोटो भी दिखाई दे रहा था, उक्त अज्ञात व्यक्ति द्वारा इंदौर में उसका चार लाख रुपया अटका होने तथा उक्त रुपयों को किसी तरह दिल्ली में पेमेंट की व्यवस्था करने के सहयोग की गुजारिश की। मैनेजर ने डिसप्ले में फोटो देखकर विश्वास कर लिया कि उक्त काल संबंधित ज्वैलर्स के मालिक का ही है और अपने रिश्तेदार के माध्यम से दिल्ली में रुपयों का पेमेंट करवा दिया जब कुछ घंटों तक उक्त पेमेंट मैनेजर को इंदौर में रिसीव नहीं हुआ तो उसे अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला।

धोखाधड़ी का शिकार हुए मैनेजर ने स्टेट सायबर सेल में जाकर शिकायत दर्ज करवाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिकायत जांच डीएसपी सृष्टि भार्गव को सौंपकर एक विशेष जांच दल का गठन किया गया । उपरोक्त शिकायत जांच में आए तथ्यों के आधार पर धारा 66 डी. आई.टी.एक्ट एवं 420 को केस दर्ज कर विवेचना में लिया गया, विवेचना में अलग-अलग टीमों को सूरत, जयपुर, दिल्ली, जालौर आदि स्थानों पर रवाना किया गया।

राजस्थान से दबौच कर लाए :

मुखबिर सूचना एवं प्राप्त तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर दिल्ली करोलबाग से आरोपी रामकृष्ण राजपुरोहित, जिला जालौर राजस्थान से पूछताछ शुरु की गई। पहले तो वह नानुकुर करता रहा उसके बाद टीम के सामने टूट गया। उसने बताया कि वह एवं उसका साथी शैतान सिंह उर्फ प्रदीप राठौड़ जालौर से जयपुर होते हुए दिल्ली एक पेमेंट उठाने आए थे। उक्त पेमेंट को उठाने के लिए उनके सरगना नरेन्द्र उर्फ दशरथ सिंह ने भेजा था। आरोपी रामकृष्ण की निशादेही से आरोपी शैतान सिंह उर्फ प्रदीप राठौड़ को ग्राम मौदरा जिला जालौर से स्टेट सायबर सेल इंदौर लाया गया। उसने ये वारदात तो कबूली उसके साथ ही गैंग के कई रहस्य उजागर किए।

देशभर के ज्वैलर्स रहते थे गैंग के टारगेट पर :

गिरफ्तारशुदा आरोपीगण ने बताया गया कि उनकी गैंग का सरगना नरेन्द्र सिंह देशभर के नामचीन ज्वैलर्स को किसी दूसरे नामी ज्वैलर्स के मालिक की हैसियत से काल कर उनके शहर में पेमेंट अटकने तथा किसी लोकेशन पर पेमेंट करवाने के सहयोग की गुजारिश करता था , सरगना नरेन्द्र सिंह के साथ बैठे अन्य सहयोगी (गैंग के अन्य सदस्य) अन्य मोबाईल नंबरों से पेमेंट लेकर के आने तथा कहीं अटक जाने की बातों का भ्रमजाल उत्पन्न करते थे इसी बीच पीङ़ित ज्वैलर्स से पेमेंट रिसीव करवाकर अपना मोबाईल बंद कर लेते थे। पकड़े गए आरोपीगण लोकेशन पर पहुंचकर पेमेंट रिसीव कर लेते थे।

देशभर के ज्वैलर्स गैंग के टारगेट पर रहते थे ये देश के नामी ज्वैलर्स के नाम व फोटो सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से प्राप्त कर अन्य ज्वैलर्स से सहयोग की मांग कर जाल में फंसाते थे। ज्वैलर्स के परिजनों की भी जानकारी सामाजिक पत्रिकाओं से प्राप्त कर लेते हैं। सहयोग के नाम पर पीड़ित ज्वैलर्स के शहर में अपने लाखों रुपये अटके होना बताकर अन्य स्थान पर रुपयों की व्यवस्था करने की मांग करते थे। नामचीन ज्वैलर्स द्वारा प्रथम बार सहयोग मांगने पर लोकल ज्वैलर्स व्यवहारिकता में मांग पूर्ण कर देते थे । मांग। बताया हुआ पेमेंट ङिलिवर हो जाने तथा कईं घंटों बाद भी रिसीव ना होने पर पता चलता था कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। पेमेंट कैश में लेन-देन होने तथा धोखाधङी के साक्ष्य उपलब्ध ना होने के कारण अनेकों ज्वैलर्स धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद भी पुलिस की शरण में नहीं जाते थे। गैंग उक्त धोखाधड़ी की वारदात को ङीजे बजाना के नाम से संबोधित करती है। राजस्थान के जालौर जिले के आसपास के गांव के रहने वाले हैं गैंग के सभी सदस्य। गैंग के तीन से चार सदस्य पीङित को फोन पर गुमराह करते थे जबकि दो से तीन सदस्य पेमेंट उठाने के लिए मौके पर मौजूद रहते थे। गैंग के सभी सदस्य कम पढ़े लिखे होकर भी सोशल इंजीनियरिंग में जबरदस्त पकड़ रखते हैं। ग्रामीण परिवेश के होने के बावजूद देश के बड़े-बड़े शहरों के नामचीन ज्वैलर्स को निशाना बना चुके हैं। गैंग का सरगना नरेन्द्र सिंह उर्फ दशरथ सिंह महंगी गाड़ियों जैसे बी.एम.डबल्यू का उपयोग करता है। वह अपने शरीर पर लाखों रुपए के सोने-चांदी के जेवर पहने रहता है। सरगना गांव में सरपंच का चुनाव भी हार चुका है। महंगी होटलों में रुकना, अय्याशी करना, हवाई यात्रा करने का शौकीन है। बैंगलूर, सूरत, बड़ोदा, मुंबई, जयपुर, दिल्ली जैसे बड़े शहर गैंग के प्रमुख ठिकाने हैं। गैंग के खिलाफ दिल्ली,जयपुर,एवं राजकोट में शिकायतें दर्ज हैं।

सरगना एवं साथियों की हो रही है तलाश :

करोड़ों रुपए की ठगी करने वाली गैंग के दो सदस्य रामकृष्ण पिता भोमाराम पुरोहित एवं शैतान सिंह राजपूत उर्फ प्रदीप राठौड़ पिता सूरजपाल सिंह राठौड़ को गिरफ्तार किया गया है। गैंग का सरगना नरेन्द्र उर्फ दशरथ सिंह, मौहर सिंह, विजय सिंह, रज्जाक खान, कमलेश राजपुरोहित एवं अन्य साथी फरार हैं इनकी तलाश की जा रही है। गैंग का पर्दाफाश करने में विशेष टीम का सहयोग उल्लेखनीय रहा। इसमें डीएसपी सृष्टि भार्गव, इंस्पेक्टर अंबरीश मिश्रा, सब इंस्पेक्टर आशुतोष मिठास, उप निरीक्षक अंबाराम बारुड़, प्रभाकर महाजन, मनोज राठौड़, राकेश बामनिया, आशीष शुक्ला, विक्रांत तिवारी, महावीर सिंह, विजय, गजेन्द्र सिंह, राहुल भौंसले शामिल हैं। अब ये टीम फरार आरोपियों की तलाश में जुट गई है।

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