शहडोल : महापंचायत में भेजी बसों में श्रम विभाग का महाघोटाला

शहडोल, मध्य प्रदेश : सम्मेलन में भेजी बसों से श्रम-परिवहन व बस मालिक ने बनाया लाखों का जुगाड़। भेजी 21 बसें, बिल निकाला 30 बसों का। बसें किसी की, भुगतान कर दिया किसी को।
महापंचायत में भेजी बसों में श्रम विभाग का महाघोटाला
महापंचायत में भेजी बसों में श्रम विभाग का महाघोटालाAfsar Khan

शहडोल, मध्य प्रदेश। दो से ढ़ाई साल पहले प्रदेश भाजपा सरकार के तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावों को लेकर तैयारी में लगे हुए थे। जबलपुर के पनागर को विंध्य व महाकौशल का केन्द्र बनाकर वहां हजारों असंगठित मजदूरों का कार्यक्रम किया गया। श्रम विभाग को भीड़ लाने का जिम्मा सौंपा गया था। शहडोल जिले से 30 बसे अधिग्रहित कर परिवहन विभाग ने बसें श्रम विभाग को सौंपी। मजदूरों को लेकर बसें मानपुर में इकट्ठी हुई, मजदूर कम थे, इसलिए 9 बसें अधिग्रहण के बाद भी वापस कर दी गई। लेकिन जब 20 मार्च को बिल बनकर परिवहन कार्यालय से होता हुआ, श्रम कार्यालय पहुंचा तो, उसमें 9 बस मालिकों की जगह सिर्फ दो बस मालिकों के बिल और 21 की जगह 30 बसों का भुगतान श्रम निरीक्षक मोहन दुबे के मार्गदर्शन में श्रम अधिकारी श्रीमती संध्या सिंह ने अपनी मोहर लगाकर 7 लाख 46 हजार 80 रूपये का भुगतान कर दिया।

शिव की साख पर बट्टा :

डेढ़ से दो वर्षाे तक सत्ता से बाहर रहने के बाद जनप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पुन: वापसी हुई। आने वाले कुछ माहों में संभाग की अनूपपुर विधान सभा सहित 27 सीटों पर उपचुनाव है, ऐसे समय में शिवराज के सम्मेलन के नाम पर निकला भ्रष्टाचार का जिन्न जिले की अनूपपुर सीट के साथ ही पूर्व परिवहन मंत्री के जिले व वर्तमान परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की सुरखी सीट पर भी उपचुनाव है। घोटाले का जिन्न बाहर आने के बाद खासकर इन दो सीटों पर भाजपा और शिव की साख को कटघरे में खड़ा कर सकता है।

रईस-मोहन का खेल :

लाखों के जुगाड़ में श्रम निरीक्षक मोहन दुबे ने अनूपपुर में पदस्थापना के बाद भी तीनों जिलों में यह खेल-खेल डाला। शहडोल में तो यह मामला सामने आ गया, जहां इसने नफीस ट्रांसपोर्ट व नावेद बस सर्विस के संयुक्त कर्ता-धर्ता रईस अहमद के साथ मिलकर रहीसी से रहीस बनने का खेल-खेल डाला।

लगे सिर्फ दो बिल :

23 से 24 फरवरी को भेजी गई 21 बसों के बिल सभी 9 बस मालिकों से न लेकर श्रम विभाग ने सिर्फ नफीस ट्रांसपोर्ट के बिल क्रमांक 005 व 006 व नावेद बस सर्विस के दो बिल क्रमांक 006 व 007 पर क्रमश: 1 लाख 76 हजार 600, 2 लाख 4800 तथा 2 लाख 48 हजार 960 व 1 लाख 15 हजार 720 रूपये कुल 7 लाख 46 हजार 80 रूपये का भुगतान कर दिया। नियमत: जिन बस मालिकों को बसों के अधिग्रहण का पत्र देकर बसें ली गई थी, उनसे बिल लिये जाने चाहिए थे। यही नहीं यदि बिल लगाये भी गये तो, बाकी के 7 बस मालिकों से सहमति पत्र लेकर उसे बिल में संलग्न करना चाहिए था। ऐसा न करने के कारण ही तथा कथित रईस अहमद ने 2 साल पहले भुगतान लेने के बाद भी आज तक सभी को रूपये नहीं दिये।

9 बसों का फर्जी भुगतान :

23 फरवरी को परिवहन विभाग ने जिन 30 बसों के मालिकों को अधिग्रहण के पत्र दिये थे, उनमें नावेद बस सर्विस, नफीस ट्रांसपोर्ट, वीरेन्द्र सिंह प्रयाग बस, पुणेन्द्र सिंह, संजय सिंह, मंगलानी बस सर्विस, महामाया बस सर्विस, मो. हसन खान, मो. आजाद नामक बस मालिक शामिल थे, इनकी कुल 30 बसों में से  वीरेन्द्र सिंह की एक, पुणेन्द्र सिंह की दो, संजय सिंह की एक, मंगलानी की दो व नफीस की तीन बसें मानपुर से वापस कर दी गई थी, लेकिन जब बिल लगाया गया तो, उनमें  एमपी 18 पी 0378, एमपी 18 पी 0242 बसे मानपुर से लौट आई थी, जबकि एमपी 18 पी 9786,एमपी 18 पी 2786, एमपी 18 एच 6401, एमपी 18 पी 5786 व 3 अन्य बसें जो गई ही नहीं और न ही इनका परिवहन विभाग ने अधिग्रहण किया था। इनके नाम पर लगभग ढ़ाई से तीन लाख रूपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया। 30 बसों के बिल दो वर्ष पहले ही 20 मार्च 2018 को कथित ट्रांसपोर्टर द्वारा बनाये गये, जिसे पहले तात्कालीन परिवहन अधिकारी एल.आर. सोनवानी ने अपने हस्ताक्षर करते हुए उन्हें सत्यापित किया, बिल 23 मार्च को श्रम कार्यालय पहुंचे, यहां 30 मार्च को भुगतान कर दिया गया।

इनका कहना है

शिकायत मिलने के बाद हमने परिवहन विभाग सहित भुगतान लेने वाले फर्म को पत्र लिखे हैं, बसें परिवहन विभाग ने अधिग्रहित की थी, उनके सत्यापित बिलों पर हमने सिर्फ भुगतान किया है, दोनों जगहों से जवाब आने के बाद आगे कार्यवाही की जायेगी।

श्रीमती संध्या सिंह, श्रम अधिकारी, शहडोल

श्रम विभाग से अभी ऐसा कोई पत्र नहीं आया है, मामला ढ़ाई साल पुराना है, उस समय परिवहन अधिकारी कोई अन्य थे, पत्र आ जाये, उसके बाद जांच कर जवाब दिया जायेगा। 

आशुतोष भदौरिया, परिवहन अधिकारी, शहडोल

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