शहडोल : ढ़ाई साल में एक कायमी, दर्जन भर कर्मचारी, लाखों का वेतन

शहडोल, मध्य प्रदेश : कप्तान की पहल से हटी रोजनामचों पर पड़ी धूल की परतें। करीब ढ़ाई से तीन साल बाद थाने में यह मौका आया जब किसी फरियादी की जांच एफआईआर तक पहुंची।
ढ़ाई साल में एक कायमी
ढ़ाई साल में एक कायमीAfsar Khan

शहडोल, मध्य प्रदेश। शनिवार, 1 अगस्त का दिन जिले के इकलौते अजाक थाने के लिए ऐतिहासिक दिन था। करीब ढ़ाई से तीन साल बाद थाने में यह मौका आया जब किसी फरियादी की जांच एफआईआर तक पहुंची, इन ढ़ाई से तीन सालों में कोई भी शिकायत न आई हो, यह कहना अतिश्योक्ति होगी। बहरहाल थाने में नई महिला प्रभारी की नियुक्ति और जिले में नये कप्तान के आने के कुछ माहों बाद रोजनामचे में जमीं गर्द मिट गई और इतिहास के इस दिन में ढ़ाई से तीन सालों बाद यहां मिली शिकायत, जांच के बाद प्राथमिक सूचना रिपोर्ट अर्थात एफआईआर तक पहुंची।

इसलिए बना इतिहास :

शनिवार को थाना अजाक के अपराध क्रमांक 01/20 धारा 447, 294, 506 ताहि 3(1)च, 3(2) व्हीए एसटीएसी एक्ट के तहत अपराध कायम किया गया तथा इस मामले में तीन आरोपियों जिसमें मूलचन्द पिता मन्नूलाल यादव 55 वर्ष, कमलेश यादव पिता गोबिंद यादव 45 वर्ष, प्रकाश यादव पिता गोबिंद यादव 42 वर्ष सभी निवासी हर्री को गिरप्तार किया गया। जिसमें निरीक्षक अनुसुइया उइके, प्रधान आरक्षक 215 नर्मदा साहू, प्रधान आरक्षक चालक मुमताज कुरैशी, राजेन्द सिंह परिहार की सराहनीय भूमिका रही। शिकायतकर्ता की शिकायत आरोपियों के नाम तथा कार्यवाही करने वाले अधिकारियों के नाम इतिहास में दर्ज हो गये।

यह था मामला :

अजाक थाने में ढ़ाई से तीन वर्षाे बाद दर्ज हुई पहली एफआईआर के संदर्भ में प्रभारी निरीक्षक अनसुईया उइके ने बताया कि बीते 7 से 8 वर्ष से आरोपी, फरियादी कैमला पनिका की जमीन पर अवैध रूप से मकान बनाकर खेत मे फसल लगाकर खेती कर रहे थे। मामले की जांच की गई और अपराध कायम कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

तीन वर्षाे से शांति ही शांति :

ढ़ाई से तीन वर्षाे के बाद शनिवार को जब यहां अपराध कायम किया गया तो, थाने में हर्ष का माहौल था। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि वर्ष 2018 व 2019 में एफआईआर निल थी। 2020 के आठवें माह के पहले दिन अपराध कायम हुआ, यही नहीं वर्ष 2017 में भी इक्का-दुक्का मामले ही कायम हुए। हालाकि प्रभारी सहित लगभग स्टॉफ की पदस्थापना बीते माहों में होने के कारण उनके पास इन ढ़ाई से तीन सालों में थाने में कितनी शिकायतें आई और उनकी जांच का क्या हुआ तथा यदि शिकायतें झूठी थी तो, शिकायतकर्ताओं के खिलाफ क्या कार्यवाही हुई, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। कुल मिलाकर देखा जाये तो, संभागीय मुख्यालय जहां की 8 में से 7 विधानसभा सीटों सहित लोकसभा सीट भी आरक्षित है, लगभग विकास खण्डों के अंतर्गत करीब 2000 ग्राम पंचायतों के अलावा सभी जनपदों के साथ जिंप अध्यक्ष का पद भी आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, ऐसी स्थिति में एक भी अपराध कायम न होना या तो, पूरी तरह शांति या फिर जुगाड़ ही जुगाड़ की ओर इशारा करता है।

लाखों का वेतन व अन्य बजट :

अजाक थाने में कार्यरत पुलिसकर्मियों के मासिक वेतन पर नजर डाली जाये तो, वह लाखों में होता है, यही नहीं उन कर्मचारियों के भत्ते, कार्यालय का रख-रखाव व अन्य खर्चे भी प्रतिमाह लाखों पार कर जाते हैं, नये कप्तान सतेन्द्र शुक्ला ने यहां की सुध लेकर आदिवासियों व हरिजनों के लिए न्याय का नया रास्ता खोल दिया है, जो ढ़ाई से तीन सालों तक बंद पड़ा था।

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