भारतीय मानवता विकास पुरस्कार से देश की 9 हस्तियां सम्मानित

भारतीय मानवता विकास पुरस्कार देश भर के सबसे शक्तिशाली और मानवीय व्यक्तित्वों का एक अनूठा मंच है। ये पुरस्कार बीएमवीपी राजनीति, व्यापार, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र से नेताओं के लिए बनाया गया है।
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राज एक्सप्रेस। भारतीय मानवता विकास पुरस्कार एक विशिष्ट पहल है, जो देश भर के कुछ सबसे शक्तिशाली और मानवीय व्यक्तित्वों का एक अनूठा मंच है। यह पुरस्कार बीएमवीपी राजनीति, व्यापार, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र से नेताओं के लिए बनाया गया एक मंच है, जिन्होंने भारत में मानव विकास को बढ़ाने में अहम योगदान दिया है। डॉ. जेके मित्रा, पूर्व डीन, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस), दिल्ली विश्वविद्यालय, के नेतृत्व में 24 (चौबीस) ज्यूरी सदस्यों की समिति द्वारा चयनित अलग-अलग क्षेत्रों के 09 राष्ट्रीय नेताओं को पुरस्कार देने का गवाह बना, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और कार्यों के जरिए विश्वास और उम्मीद के ब्रांड को विकसित किया है और समाज में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए समानता, मानवता, सामाजिक न्याय और मानव कल्याण के लिए काम किया है।

पुरस्कार के लिए ये हस्तियां शामिल हैं :

देश में बदलाव की आवश्यकताओं को पूरा करने, उनमें भरोसा करने और इस काम में लगे इसके प्रमुख एजेंट्स ने कार्यक्रम में सहभागिता की। इनमें उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, सीईओ, राजनेता, शिक्षाविद, मीडिया दिग्गज और फिल्मी हस्तियों जैसे देश के चमकदार व्यक्तित्व शामिल हैं।

भारत रत्न श्री मुखर्जी ने हमारे देश की सच्ची प्रगति में :

'मानवता' के महत्व को बताते हुए महात्मा गांधी का हवाला दिया और कहा कि, गांधीजी ने भारत को आजादी दिलाने के अपने संघर्षों में किस तरह 'इंसानियत' के दर्शन को प्राथमिकता दी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान निर्माताओं ने मानवीय और धर्मनिरपेक्ष संविधान की आवश्यकता को समझा। उन्होंने एक नए और दयालु भारत के निर्माण में अपने योगदान के लिए देश के सबसे बड़े मानवतावादियों में से एक रबीन्द्रनाथ टैगोर का भी उल्लेख किया।

प्रणब मुखर्जी को पुस्तक भेंट की :

बीएमवीपी 2019 के दौरान डॉ. अरिंदम चैधरी की नई किताब -“बियॉन्ड गॉड एंड कैपिटलिज्म“ का विमोचन किया गया और पहली आधिकारिक कॉपी मुख्य अतिथि श्री प्रणब मुखर्जी को भेंट की। यह पुस्तक वैश्विक मानवतावाद को प्राप्त करने के लिए अपेक्षित रूपरेखा तैयार करने की कोशिश करती है। इस किताब को लंदन में इस साल की शुरुआत में विज्ञान और तर्क के सबसे बड़े प्रचारक रिचर्ड डॉकिन्स और लातविया और हैती के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने लॉन्च किया था।

पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए दिया धन्यवाद :

सुश्री मेनका संजय गांधी ने जानवरों के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी समान और अहिंसक दुनिया सुनिश्चित करने के लिए अहिंसा के महत्व पर बात की। सुश्री गांधी ने इस साल के बीएमवीपी पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए पावर ब्रांड्स बीएमवीपी टीम और ज्यूरी सदस्यों को भी धन्यवाद दिया। इस वर्ष के बीएमवीपी के एक अन्य प्राप्तकर्ता और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ. संदीप पांडे ने बीएमवीपी-2019 की चयन समिति को धन्यवाद दिया और डॉ. अरिंदम चैधरी को उनकी नई पुस्तक के लिए बधाई दी। उन मुददों की प्रासंगिकता को दोहराया जो पुस्तक में उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि, डॉ. चैधरी की पुस्तक आज के समय के दो सबसे महत्वपूर्ण मुददों का जवाब देती है। डॉ. पांडे ने धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत के लिए अपने विजन को रेखांकित किया। साथ ही अपने विजन की वास्तविकता बनाने के लिए किए गए अपने संघर्षों का भी जिक्र किया। बीएमवीपी-2019 के एक अन्य प्राप्तकर्ता तथा दुनिया के सबसे प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमियों में से एक पद्मश्री अरुणाचलम मुरुगनांथम ने किसी भी देश की प्रगति में महिलाओं की मजबूत और सक्षम जनसंख्या की आवश्यकता की बात की। उन्होंने ‘पैड मैन’ बनने की अपनी अब तक की ज्ञात अविश्वसनीय कहानी को संक्षेप में बताया साथ ही यह भी कहा कि, वह भारत की महिलाओं को सबसे मजबूत पाते हैं।

जिन्हें मिला सम्मान-

1. सुश्री अनु आगा :

तीन दशक से अधिक समय पहले अनु आगा ने थर्मैक्स से अपना उद्योग करियर शुरू किया, जो 27 देशों में ऊर्जा कुशल और पर्यावरण-अनुकूल व्यापार समाधान प्रदान करता है। चेयरपर्सन के रूप में सुश्री आगा ने थर्मैक्स समूह में बदलाव को आगे बढ़ाया। अपनी आधिकारिक जिम्मेदारियों से निवृत्त होने के बाद श्रीमती आगा अब सामाजिक कार्यों और यात्रा को अधिक समय देती हैं। उनकी रुचि का क्षेत्र विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का रहा है। वह आकांक्षा फाउंडेशन और टीच फॉर इंडिया से जुड़ी हैं और उनके बोर्ड में सदस्य भी हैं। हमारी बीएमवीपी अवार्डी सुश्री आगा ने कभी नहीं माना कि परोपकार सिर्फ ’चेक पर हस्ताक्षर’ करना या अपना धन देना है। उनके लिए, यह एक ऐसी चीज है, जिसमें निरंतर और भावुक भागीदारी की आवश्यकता है और यह जीवन जीने का एक तरीका है।

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2. पद्मश्री अरुणाचलम मुरुगनाथम :

वह दुनिया के सबसे प्रतिबद्ध सामाजिक उद्यमियों में से एक हैं, जिन्होंने भारत में मुख्य रूप से निम्न आय वर्ग के लोगों में व्यापक बदलाव लाया है, एक ऐसा बदलाव जो महिलाओं को गरिमा और स्वच्छता से परिपूर्ण जीवन देता है। खास तौर पर उन महिलाओं के लिए जो गरीब हैं और सेनेटरी नैपकिन नहीं खरीद सकती थी। एक ही समय में उन्हें सेनेटरी टॉवेल खरीदने योग्य बनाया और आय का अवसर भी प्रदान किया। उन्होंने भारत के सभी राज्यों में और अन्य विकासशील देशों में अपनी कम लागत वाली सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली मशीन स्थापित की है और उन्हें इस वर्ष तक अपना आधार 70 से अधिक देशों में फैलाने की उम्मीद है। मुरुगनाथम का आविष्कार एक गेम चेंजर है, जिसने उन्हें वर्ष 2014 में टाइम की दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में स्थान दिलाया। उन्हें एमआईटी, हार्वर्ड, आईआईटी और आईआईएम जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थानों से आमंत्रण भी मिला है।

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3. सुश्री बेलिंडा राइट :

बाघ संरक्षणवादी और वन्यजीव प्रचारक बेलिंडा राइट वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक हैं। कलकत्ता (कोलकाता) में जन्मी बेलिंडा ने अपना पूरा जीवन भारत में वन्यजीवों के साथ काम करने में बिताया है। 1994 से पूर्णकालिक संरक्षण के काम की ओर रुख करने से पहले बेलिंडा एक वन्यजीव फोटोग्राफर और एमी पुरस्कार विजेता वृत्तचित्र निर्माता थी, जिन्होंने नेशनल जियोग्राफिक के साथ कई वर्षों तक काम किया। तब से उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में अवैध वन्यजीव कारोबार की जांच का बीड़ा उठाया और बाघ के अंगों के व्यापार का भंडाफोड़ करने में मदद की। बेलिंडा और उनके डब्ल्यूपीएसआई सहयोगियों ने सैकड़ों वन्यजीव अपराधियों की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक अशोका फैलो होने के साथ ही वह कई केंद्रीय और राज्य सरकार की समितियों की सदस्य हैं, जिसमें राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन्यजीव सलाहकार बोर्ड शामिल हैं।

Belinda Wright
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4. श्रीमती लक्ष्मी अग्रवाल :

वह सहनशीलता, धैर्य, दृढ़ता और इच्छा शक्ति की प्रतीक हैं। वह एक एसिड अटैक सर्वाइवर है और एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों के लिए बोलती है। वह स्टॉप सेल एसिड की संस्थापक हैं, जो एसिड हिंसा और एसिड की बिक्री के खिलाफ एक कैम्पेन है। उन्होंने हाल ही में आईडब्ल्यूईएस, महिला और बाल विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय और यूनिसेफ से अपने अभियान- स्टॉप सेल एसिड के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2019 प्राप्त किया। वह भारत में एसिड हमलों से बचे लोगों की मदद के लिए समर्पित एक एनजीओ छांव फाउंडेशन की पूर्व निदेशक भी हैं।

Laxmi Agarwal
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5. श्रीमती मानसी प्रधान :

श्रीमती मानसी प्रधान विश्व स्तर की प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता और लेखक और भारत के राष्ट्रपति से प्रतिष्ठित रानी लक्ष्मीबाई स्त्री शक्ति पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं। वह भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन, ऑनर फॉर वूमेन नेशनल कैंपेन की संस्थापक हैं। वह ओवायएसएस वुमन और निर्भया वाहिनी की संस्थापक-प्रमुख भी हैं। श्रीमती प्रधान ने कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों और संगठनों में दुनिया के शीर्ष कार्यकर्ताओं और लेखकों के साथ-साथ नोबेल पुरस्कार विजेताओं शिरीन एबादी, मलाला यूसुफजई सहित कई अन्य लोगों के साथ काम किया है। श्रीमती प्रधान की प्रेरक जीवन कहानी को कई देशों में वृत्तचित्र के रूप में अपनाया गया है।

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6. श्रीमती मेनका संजय गांधी :

हमारी अगली बीएमवीपी अवार्डी श्रीमती मेनका संजय गांधी भारत की सबसे सम्मानित और प्रिय राजनेता, लेखक, सार्वजनिक वक्ता, प्रशासक और कार्यकर्ता हैं, जो जानवरों, गरीबों और पर्यावरण के लिए काम करती हैं। उन्होंने अकेले अपने स्तर पर भारत में पशु कल्याण के लिए एक ढांचा बनाया है। 1980 में देश में अपना पहला पशु आश्रय बनाने से लेकर हजारों अन्य पशु आश्रयों को स्थापित करने में सहायता करने से श्रीमती गांधी ने लाखों पशुओं के जीवन को बदल दिया है। उनकी एंबुलेंस और अस्पताल प्रत्येक दिन 5000 से अधिक जानवरों को बचाते हैं। वह पीपुल फॉर एनिमल्स (पीएफए) की संस्थापक और चेयरपर्सन हैं, जो 250,000 सदस्यों के साथ भारत का सबसे बड़ा पशु कल्याण संगठन है। यह पूरे भारत में 34 धर्मार्थ पशु चिकित्सा अस्पताल और 60 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस चलाता है। वह रूथ कॉवेल फाउंडेशन की मैनेजिंग ट्रस्टी भी हैं, जो नई दिल्ली में संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर चलाता है, जो एशिया में सबसे बड़ी धर्मार्थ पशु कल्याण सुविधा है।

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7. सुश्री नफीसा अली सोढ़ी :

एक कार्यकर्ता के रूप में वह हमेशा वंचित तबके के लिए काम करती रही हैं, उनके जीवन में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने 'जूनून', 'मेजर साब' और 'लाइफ इन ए मेट्रो' जैसी फिल्मों में अपने दमदार प्रदर्शन से प्रशंसकों और आलोचकों का दिल जीता है। उन्होंने पंद्रह वर्षों तक सेना के जवानों के कल्याण के लिए सक्रिय रूप से काम किया है। वह ‘उमंग चैरिटेबल सोसाइटी’ की कार्यकारी सदस्य और गैर सरकारी संगठन -‘एक्शन इंडिया’ की अध्यक्ष भी हैं। ओडिशा में चक्रवात की वजह से होने वाला विनाश हो या 2001 में गुजरात में आए भूकंप से हुआ विध्वंस- वह हमेशा पीड़ितों के साथ खड़ी रही हैं। सात साल पहले उन्होंने एचआईवी/एड्स से संक्रमित और प्रभावित लोगों के लिए एक केयर होम- 'आश्रय' शुरू किया था, जो एचआईवी पॉजिटिव लोगों को समग्र देखभाल और सहायता प्रदान कर रहा है।

Nafisa Ali
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8. डॉ. संदीप पांडेय :

आईआईएम अहमदाबाद, आईआईटी गांधीनगर, एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, बीएचयू जैसेी संस्थाओं के पूर्व विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पांडेय भारत के प्रमुख सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक हैं। उनके हितों के क्षेत्र के वंचित तबके के बच्चों के लिए शिक्षा, मानव अधिकार, हाशिए के समुदायों का सशक्तिकरण, परमाणु निरस्त्रीकरण और शांति उनमें से कुछ ही हैं। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से पीएचडी की पढ़ाई के दौरान आशा फॉर एजुकेशन की सह-स्थापना की। अन्य पुरस्कारों में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं, वह नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स (एनएपीएम) का नेतृत्व करते हैं, जो भारत में लोगों के आंदोलनों का सबसे बड़ा नेटवर्क है। कई पुस्तकों के संपादक और लेखक, डॉ. पांडे दिल से बहादुर और डटकर संघर्ष करने वाले सेनानी हैं, जिन्होंने अपने मिशनों के लिए जेल जाना भी स्वीकार किया है।

Dr. Sandeep Pandey
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9. स्माइल फाउंडेशन/शांतनु मिश्रा :

अगला बीएमवीपी प्राप्तकर्ता है स्माइल फाउंडेशन। यह वंचित तबके के बच्चे, युवाओं और महिलाओं को प्रासंगिक शिक्षा, नवीन स्वास्थ्य देखभाल और बाजार केंद्रित आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाता है। केवल एक दशक में संगठन ने भारत के 29 राज्यों में 1.5 मिलियन से अधिक वंचित बच्चों और उनके परिवारों के जीवन को प्रभावित करते हुए जमीन पर विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाओं में 400 करोड़ से अधिक जुटाए और निवेश किए हैं।

Santanu Mishra
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शांतनु मिश्रा, संस्थापक और सीईओ, पेशे से मैनेजमेंट कंसल्टेंट और जुनून से एक सामाजिक उद्यमी हैं। आईआईएम, अहमदाबाद के एक पूर्व छात्र, शांतनु ने स्माइल फाउंडेशन के प्रमुख की जिम्मेदारी लेने के लिए अपने कॉर्पोरेट कैरियर को अपने चरम पर छोड़ दिया। कम ही लोग जानते हैं कि, शांतनु फिल्म 'आई एम कलाम' के निर्माता हैं, जिसने दुनियाभर में 60 से अधिक फिल्म समारोहों की यात्रा की है और 30 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं।

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