Ramanand Sagar Birth Anniversary
Ramanand Sagar Birth AnniversarySyed Dabeer Hussain - RE

Ramanand Sagar : रामायण से बदली थी रामानंद सागर की किस्मत, हर जगह होने लगे थे उनके चर्चे

रामानंद सागर का नाम सामने आते ही दिमाग में रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक सीरियल्स के नाम घूमने लगते हैं। उन्होंने पर्दे पर ऐसी खूबसूरत कहानियां रची जिनको आज भी देखना पसंद किया जाता है।

राज एक्सप्रेस। दर्शकों को कई बेमिसाल शोज देने वाले रामानंद सागर की आज जन्म जयंती है। उनका जन्म आज ही के दिन यानि 29 दिसम्बर 1917 को लाहौर (पाकिस्तान) में हुआ था। आज भी जब कभी उनका जिक्र किया जाता है, तो सबसे पहले जेहन में रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक सीरियल्स के नाम घूमने लगते हैं। आज भले ही रामानंद सागर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके शोज के जरिए आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। इतने मशहूर शोज देने वाले रामानंद सागर की जिंदगी भी आसान नहीं रही। उन्हें भी अपने बचपन में कई संघषों का सामना करना पड़ा। चलिए जानते हैं इस बारे में।

चंद्रमौली से बने रामानंद :

जन्म के समय रामानंद सागर का नाम चंद्रमौली चोपड़ा रखा गया था। लेकिन इसके बाद वे अपने दादा के साथ आकर कश्मीर में बस गए और यहाँ नगर सेठ बन गए। जब रामानंद की उम्र महज 5 साल थी तब ही उन्होंने अपने माँ को खो दिया। जिसके उपरांत उनके मामा ने उन्हें गोद लिया। और यहीं से चंद्रमौली, रामानंद सागर बन गए।

पढ़ाई के लिए किया काम :

रामानंद सागर को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का काफी शौक रहा। इसी शौक की बदौलत ही उन्होने महज 16 साल की उम्र में ही अपनी पहली किताब प्रीतम समीक्षा लिख दी थी। इस दौरान अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए वे पियून से लेकर साबुन बेचना, दुकान में हेल्पर, ट्रक क्लीनर आदि काम भी कर लेते थे। इससे उन्हें जितना पैसा मिलता उसे अपनी पढ़ाई में लगा देते थे। इसी तरह से उन्होंने डिग्री भी हासिल की थी।

फिर हुआ रामायण का निर्माण :

सबसे पहले एक्टिंग की दुनिया में रामानंद सागर की शुरुआत क्लैपर बॉय के काम से हुई। इसके अलावा उन्होने बतौर अस‍िस्टेंट स्टेज मैनेजर भी काम किया। इसके अलावा उन्हें साल 1968 की फिल्म आंखें के लिए बेस्ट डायरेक्टर के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। साल 1987 में रामानंद ने 'रामायण' शो बनाया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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