मास ऑडिएंस के लिए फिल्में करना चाहता हूं -सिद्धार्थ मल्होत्रा
हाइलाइट्स :
मरजावां से हैं काफी उम्मीदें
स्क्रिप्ट ने मुझे काफी अट्रैक्ट किया
मास ऑडिएंस के लिए फिल्में करना चाहता हूं
फ़िल्म की हीरोइन बेजुबान है
वक्त के साथ आगे भी बढ़ते रहना चाहिए
राज एक्सप्रेस। भले ही एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा की पिछली रिलीज हुई फ़िल्म जबरिया जोड़ी बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल ना दिखा पाई हो, लेकिन सिद्धार्थ मल्होत्रा को अपनी अगली फिल्म मरजावां से काफी उम्मीदें हैं जो कि 15 नवंबर 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। हाल ही में हमने सिद्धार्थ मल्होत्रा से उनकी फिल्म मरजावां को लेकर बातचीत की। पेश हैं हमारी बातचीत के प्रमुख अंश।
इस फ़िल्म के लिए आपने हां क्यों कहा ?
मरजावां को हां कहने की काफी वजहें थी। मैं फ़िल्म के डायरेक्टर मिलाप जावेरी को काफी पहले से जानता हूं। सत्यमेव जयते के पहले से ही हम साथ में कोई फ़िल्म करना चाहते थे। जब मुझे मिलाप ने फ़िल्म की स्क्रिप्ट सुनाई तो मुझे फ़िल्म के स्क्रिप्ट की सबसे खास बात यह लगी कि पहली बार किसी फिल्म में कोई हीरो, हीरोइन को खुद गोली मार रहा है। मुझे स्क्रिप्ट की सबसे इंटरेस्टिंग बात यही लगी। इसके अलावा फ़िल्म की हीरोइन बेजुबान है, इस बात ने भी मुझे काफी अट्रैक्ट किया।
फ़िल्म में अपने किरदार के बारे में बताइए ?
फ़िल्म में मेरे किरदार का नाम रघु है। मैं पहली बार अपने कॅरियर में लार्जर देन लाइफ किरदार निभा रहा हूं। यह फ़िल्म सेवेंटीज़ और एटीज के एक्शन से इंस्पायर्ड है। इस फ़िल्म में आपको मेरा किरदार अमिताभ बच्चन और सनी देओल के किरदारों जैसा लगेगा। मैं खुद बचपन से ही इस तरह की फिल्में करना चाहता था और मुझे खुशी है कि फाइनली आज मैं एंग्री यंग मैन जैसा कोई किरदार बड़े पर्दे पर प्ले कर रहा हूं।
फ़िल्म की हीरोइन तारा सुतारिया के बारे में क्या बोलेंगे ?
तारा एक बहुत अच्छी और मेहनती एक्ट्रेस हैं। सब कुछ सीखकर आई हैं। मैं उनकी तारीफ इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अपनी दूसरी ही फ़िल्म में वो एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही हैं जो कि बोल नहीं सकती। इस तरह के किरदार निभाना काफी डिफिकल्ट होते हैं लेकिन उन्होंने इस बारे में सोचे बिना ही यह फ़िल्म कर ली है और बड़ी ही अच्छी तरह अपने किरदार को निभाया है।
आपकी पिछली कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली, इस बारे में क्या कहना है आपका ?
देखिए, फ़िल्म चलना या नहीं चलना किसी के हाथ में नहीं होता और यह भी जरूरी नहीं है कि ऑडिएंस को आपकी हर फिल्म पसंद आए। मेरा मानना है कि फेलियर को हमेशा स्वीकार करना चाहिए और उससे कुछ सीखना चाहिए। इसके अलावा वक्त के साथ-साथ आपको आगे भी बढ़ते रहना चाहिए। ऐसा नहीं है कि आपकी कोई फ़िल्म नहीं चली तो आपको दु:खी होना चाहिए। आपकी हर फ़िल्म फिर चाहे वो हिट हो या फ्लॉप, हर फिल्म कुछ न कुछ आपको सिखा जाती है और फिर उसी सीख के अनुसार खुद पर मेहनत करनी चाहिए।
आपकी पिछली फिल्म जबरिया जोड़ी एक मास ऑडिएंस फ़िल्म थी और अब मरजावां भी उसी तरह की फ़िल्म है तो क्या हम कह सकते हैं कि अब सिद्धार्थ मल्होत्रा मास ऑडिएंस को टारगेट कर रहे हैं ?
हां, आप कह सकते हैं क्योंकि हर एक्टर की तरह मैं भी मास ऑडिएंस के लिए फिल्में करना चाहता हूं। मास ऑडिएंस काफी इमोशनल और लॉयल होती है, उस ऑडियंस को अगर आपकी कोई भी क्वालिटी पसंद आ गयी तो वो ऑडिएंस उस क्वालिटी से जल्दी बोर नहीं होती। मास ऑडिएंस एक लार्ज ऑडिएंस है, अगर इस ऑडिएंस का साथ आपको मिल गया तो फिर आपकी फ़िल्म चलने से कोई नहीं रोक सकता।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।