मध्य प्रदेश की धरती से जन्मे 'सूरमा भोपाली' कह गए दुनिया को अलविदा

'सूरमा भोपाली' नाम से अपनी पहचान बनाने वाले कॉमेडी एक्टर जगदीप का 81 वर्ष की आयु में बुधवार को निधन हो गया। बताते चलें, जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था।
Surma Bhopali dies
Surma Bhopali diesSocial Media

राज एक्सप्रेस। 'सूरमा भोपाली' यह नाम 80 के दशक के सभी लोगों के इर्द गिर्द घूमता था। दरअसल, 'सूरमा भोपाली' के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले कॉमेडी एक्टर जगदीप का 81 वर्ष की आयु में बुधवार को निधन हो गया। बताते चलें, जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। जो कि, एक्टर जावेद और नावेद जाफरी के पिता थे। उन्हें गुरुवार की सुबह मुंबई के मुस्तफा बाजार मझगांव शिया कब्रिस्तान में सभी रीती रिवाजों के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

घर में ही ली आखिरी सांस :

जगदीप के निधन की खबर उनके दोस्त और जाने माने प्रोड्यूसर महमूद अली द्वारा सामने आई है। उन्होंने बताया कि, उन्होंने अपने बांद्रा स्थित घर पर रात करीब 8.30 बजे अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हालांकि, उनकी मृत्यु 81 साल की आयु में बुढापे के चलते हुई है। उन्हें लंबे समय से कई छोटी-मोटी बीमारियों ने घेर रखा था और इन्हीं बीमारियों के चलते उनकी मृत्यु हो गई।

मध्य प्रदेश की धरती जन्में थे जगदीप :

जब भी 'सूरमा भोपाली' नाम याद किया जाता है चेहरे पर मुस्कराहट अपने आप ही आ जाती है। बताते चलें, मशहूर कॉमेडी एक्टर जगदीप का जन्म 29 मार्च, 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया में हुआ था। उनके पिता एक वकील थे। हालांकि, उनकी माता ने ही उनका पालन-पोषण किया है क्योंकि, उनके पिता की मृत्यु बहुत कम उम्र में ही हो गई थी। उनकी मां एक यतीम खाने में काम करके उनका पालन पोषण करती थी जो, बात उन्हें बहुत खटकती थी, इसलिए उन्होंने पढाई छोड़ कर काम करना शुरू कर दिया। वह पतंग, साबुन जैसी छोटे-मोटी चीजें बेचकर अपनी माँ का हाथ बताने लगे। एक वह विभाजन के समय मुंबई आ गये थे और तब से लेकर अब तक वह मुंबई में ही रहे।

सूरमा भोपाली का करियर :

एक बार जिस सड़क पर वह काम करते थे उस सड़क पर एक आदमी ऐसे बच्चों को ढूंढने आया जो फिल्मो में काम कर सके। बस फिर क्या था उसकी नजर पड़ी जगदीप पर पड़ी। उनसे पूछा गया फिम में काम करोगे तो उन्होंने पूछा कि, इसके लिए पैसे कितने मिलेंगे। वह 3 रूपये सुनते ही तुरंत तैयार हो गए जब वह अगले दिन शूटिंग के लिए पहुंचे तब वहां उन्होंने एक दूसरे ही लड़के का रोल किया जिसे 6 रूपये मिलना था और इस तरह मात्र 6 या 7 साल की उम्र में ही उसके फिल्म इंडस्ट्री के करियर की शुरुआत हो गई थी। उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'अफसाना' में एक बाल कलाकार 'मास्टर मुन्ना' के रूप में काम किया था। इस फिल्म के डॉयरेक्टर बी आर चोपड़ा थे।

सूरमा भोपाली नाम की पहचान :

जगदीप ने अपने कॉमिक रोल की शुरुआत बिमल रॉय की फिल्म 'दो बीघा जमीन' से शुरू की थी। उन्हें साल 1974 में आई फिल्म 'शोले' से 'सूरमा भोपाली' नाम की पहचान मिली। उसके बाद से ज्यादातर लोग उन्हें सूरमा भोपाली नाम से ही जानते है। उन्होंने लगभग 400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया। वह साल 2012 में आई 'गली गली चोर' फिल्म दिखाई दिए थे और यही उनकी आखिरी फिल्म बनी इसमें उन्होंने एक पुलिस कांस्टेबल का रोल किया था। उन्होंने कई फिल्मों में काम किया जिनमे 'लैला मजनूं, ब्रह्मचारी, नागिन और अंदाज अपना-अपना फ्लिमें शामिल हैं।

सूरमा भोपाली का रोल :

आपको जानकार हैरानी होगी कि, जगदीप फिल्म शोले में सूरमा भोपाली का किरदार नहीं करना चाहते थे। लेकिन बड़ी ही मुश्किल से उन्होंने यह किरदार करने का मन बनाया और यह फैसला उनके जीवन के लिए बहुत ही सही साबित हुआ। उन्हें इस नाम से कई पहचान भी मिली साथ ही इस नाम से साल 1988 में भी फिल्म भी बनाई गई जिसमें मुख्य भूमिका जगदीप ने ही निभाई थी। जगदीप को एक कमेडी एक्टर के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उनका एक बड़ा ही फैंस डायलॉग था-

"आओ हंसते-हंसते और जाओ हंसते-हंसते"

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