राज एक्सप्रेस। हिंदी फिल्म जगत के महान संगीतकार मुहम्मद ज़हूर ख़्य्याम (ख़्य्याम साहब) का निधन 19-08-2019 रात 9 बजे हो गया। यूँ तो इन्होने कई प्रसिद्ध फिल्मों के गांव के लिए काम किया है परन्तु इन्हे रेखा और अमिताभ बच्चन की फिल्मों के गाने से कामयाबी मिली। इनके गाने हर पीढ़ी के लोग पसंद करते है और आज भी सुनते है इतना ही नहीं इनके गाए गाने रिमिक बन कर आज भी आते है। उनकी कोई औलाद न होने के कारण उन्होंने अपनी पूरी सम्पत्ति अपनी पत्नी और अपने नाम से एक ट्रस्ट बना कर उनके नाम कर दी। अपने प्रसिद्ध गानों के कारण ही यह मर कर भी अमर रहेंगे और इनके गानों के की गुनगुनाहट के साथ ही इन्हे हमेशा याद किया जाएगा।
शुरूआती जीवन और संगीत शिक्षा :
मुहम्मद ज़हूर खय्याम का जन्म ब्रिटिश इंडिया में हुआ था। यह वही पीला और बड़े हुए। यह वहां से भाग कर नई दिल्ली में अपने चाचा के घर आकर रहने लगे। उन्होंने शास्त्रीय गायक और संगीतकार पंडित अमरनाथ से संगीत की शिक्षा प्राप्त की। इन्होने अपने गायकी के करीरर में तब कदम रखा जब यह मात्र 17 साल के थे।
ख़्य्याम साहब का करियर:
ख़्य्याम साहब फिल्मों में रोल की तलाश करते हुए लाहौर आगये थे। वह उनकी मुलाकात प्रसिद्ध पंजाबी संगीत निर्देशक बाबा चिश्ती से हुई। उन्होंने उनकी सहायता से अपने करियर की शुरुआत की और संगीत भी सीखा। चिश्ती ने अपनी एक रचना को सुनाई जिसको सुनने के बाद उन्होंने इसका पहला भाग गाया। उनकी गायकी से प्रभावित होकर, चिश्ती ने उन्हें एक सहायक के रूप में अपने साथ रख लिया। छह महीने उनके साथ काम करने के बाद ख़्य्याम साहब 1943 में लुधियाना आ गए। यहाँ इन्होने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेना में भी कार्य किया है। इसके बाद वह अपने सपने पुरे करने के लिए मुंबई आ गये थे।
शर्माजी-वर्माजी संगीतकार जोड़ी :
ख़्य्याम साहब ने शुरुआत में अपने एक भी गीत को अपना नाम नहीं दिया था। वह शर्माजी-वर्माजी संगीतकार जोड़ी के शर्माजी के रूप में काम करते थे। उन्होंने 1948 में फिल्म हीर रांझा में संगीत दिया। इसके बाद तो उन्होंने लगातार कई हिट सांग्स दिए। संगीत जगत में 3 साल इसी नाम से कार्य करने के बाद उन्होंने अपने संगीत को अपने नाम देना शुरू किया था। खय्याम ने 1970-1980 के दशक में त्रिशूल, थोडी सी बेवफाई, बाजार, डार्ड, नूरी, नखुडा, सावल, बेपनाह जैसी फिल्मों में बहुत ही यादगार गानों को संगीत दिया। फिर वो समय आया जब 1981 में मुजफ्फर अली के उमराव जान में उन्होंने संगीत दिया और फिर क्या था सबके दिलो पर बस इनका ही राज हो गया। उन्होंने तब से लगातार ही एक से एक हिट सांग्स दिए।
ख़्य्याम साहब का निधन :
मुहम्मद ख़्य्याम 92 साल की उम्र के थे उन्हें उम्र के साथ कई छोटी-बड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। 28 जुलाई 2019 को उन्हें लंग्स इन्फेक्शन की बीमारी का पता चला और वह जुहू, मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती हो गए। कुछ दिन पश्चात 19 अगस्त 2019 को रात 9:30 (PM) को उन्हें कार्डियक अरेस्ट अटैक आया। उन्होंने उसी छड़ अपनी अंतिम साल ली और दुनिया को अलविदा कह दिया।
फिल्म जगत में शोक की लहर :
ख़य्याम साहब की मृत्यु की खबर से पूरा फिल्म जगत दुःख में है। उन्हें कई लोगो ने अपने ट्विटर हेंडल पर ट्वीट करके श्रद्धांजलि अर्पित की। जावेद अख्तर, सोनू निगम ने भी भी उनकी तारीफ में कुछ शब्द कहे। सोनू निगम ने तो मौके पर पहुंच कर कन्धा देकर उन्हें अंतिम बिदाई दी। फिल्म जगत के साथ ही देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्विटर हेंडल पर ट्वीट कर ख़य्याम साहब को श्रद्धांजलि दी। लताजी ने भी ट्विटर पर ख़य्याम साहब से जुडी यादो के साथ अपना दुःख वयां किया।
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