अच्छा मैसेज देती है फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ
अच्छा मैसेज देती है फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथSocial Media

रिव्यू : अच्छा मैसेज देती है फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ

सुपरस्टार सलमान खान और आयुष शर्मा स्टारर फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह मराठी फिल्म मुलशी पैटर्न की ऑफिशियल हिंदी रीमेक है। चलिए आपको बताते हैं कैसी है फिल्म।

फिल्म - अंतिम द फाइनल ट्रुथ

स्टारकास्ट - सलमान खान, आयुष शर्मा, महिमा मकवाना

डायरेक्टर - महेश मांजरेकर

प्रोड्यूसर - सलमान खान

रेटिंग - 3.5 स्टार

स्टोरी :

फिल्म की कहानी राहुल्या (आयुष शर्मा) की है जो कि दत्ता पहलवान (सचिन खेड़ेकर) का बेटा है। दत्ता पहलवान की जमीन शिंदे नाम के बिजनेसमैन ने हड़प ली है। अब दत्ता पहलवान उसके घर की चौकीदारी करता है। एक दिन शिंदे दत्ता पहलवान पर चोरी का आरोप लगाकर उसे नौकरी से निकाल देता है। दत्ता चुपचाप यह आरोप अपने ऊपर लेकर बेटे राहुल्या को लेकर पुणे चला जाता है। यहां पहुंचकर दत्ता हमाली का काम करना शुरू कर देता है लेकिन राहुल्या यह सब कुछ नहीं करना चाहता। इसी बीच एक दिन राहुल्या के हाथ से नगरसेवक साल्वी का मर्डर हो जाता है। यहीं से राहुल्या की कहानी शुरू होती है। वहीं दूसरी तरफ राजवीर सिंह ( सलमान खान) पुणे शहर को अपराधमुक्त बनाना चाहता है। अब राजवीर सिंह कैसे पुणे शहर को अपराधमुक्त बनायेगा और क्या राहुल्या पूरे शहर पर अपना वर्चस्व कायम कर पाएगा। इन सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेंगे।

डायरेक्शन :

फिल्म को डायरेक्ट महेश मांजरेकर ने किया है और उनका डायरेक्शन बढ़िया है। फिल्म का फर्स्ट पार्ट सेकंड पार्ट की अपेक्षा बढ़िया है। फिल्म का स्क्रीनप्ले ठीक है और सिनेमेटोग्राफी भी अच्छी है। फिल्म का क्लाइमैक्स बढ़िया है क्योंकि प्रिडिक्टेबल नहीं है।

परफॉर्मेंस :

परफॉर्मेंस की बात करें तो सलमान खान ने फिल्म में एकदम नपी तुली परफॉर्मेंस दी है। सलमान खान के फैंस को उनका यह अवतार जरूर पसंद आएगा। आयुष शर्मा ने भी फिल्म में दमदार परफॉर्मेंस दी है। उनकी पिछली फिल्म के तुलना में उन्होंने इस फिल्म में बढ़िया काम किया है। महिमा मकवाना ने भी अपने किरदार मंदा को बखूबी निभाया है। महेश मांजरेकर, सचिन खेड़ेकर और निकेतन धीर ने भी लाजवाब अभिनय किया है। फिल्म के बाकी कलाकारों का भी अभिनय बढ़िया है।

क्यों देखें :

अंतिम द फाइनल ट्रुथ एक अच्छी फिल्म है और फिल्म में दिखाया गया है कि बच्चे जब जवानी की दहलीज पर रहते हैं तो उनमें समझ ज्यादा नहीं होती और वो जल्दबाजी में गलत फैसले लेकर उस रास्ते पर निकल जाते हैं जिस रास्ते का भविष्य कुछ नहीं होता। जब उन्हें यह अहसास होता है कि वो गलत रास्ते पर आ गए हैं तब तक बहुत देर हो जाती है। फिल्म यह भी बताती है कि अपने मां-बाप की बातें हमेशा सुननी चाहिए इसलिए खासतौर पर युवा वर्ग के लोगों को यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

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