Sachin: The Ultimate Winner Review - हार नहीं मानना सिखाती है सचिन द अल्टीमेट विनर
सचिन : द अल्टीमेट विनर(3 / 5)
स्टार कास्ट - वेद थापर, शिवानी शर्मा, मुकुल चीरू
डायरेक्टर - द्वीप राज कोचर
प्रोड्यूसर - जे एस आर प्रोडक्शंस
स्टोरी :
फिल्म की कहानी सचिन (मुकुल चीरू) की है, जिसकी क्रिकेट में काफी रुचि है और वो बड़ा होकर सचिन तेंदुलकर बनना चाहता है। सचिन स्कूल में होने वाले सभी इंटर कंपटीशन जीतता है और जिसकी वजह से विरोधी टीम के मेंबर्स उससे जलते हैं। इसी बीच एक दिन स्कूल द्वारा आयोजित स्वच्छता प्रोग्राम में शामिल होने गए सचिन को उसके विरोधी लड़के पहाड़ से नीचे धकेल देते हैं। वहां मौजूद सचिन के कोच (वेद थापर) सचिन को हॉस्पिटल लेकर जाते हैं। शुरुआती जांच के बाद पता चलता है कि इस दुर्घटना के कारण सचिन का पैर पैरालाइज हो गया है। अब क्या सचिन इंटर क्रिकेट कंपटीशन में भाग ले पाएगा और क्या कभी सचिन खुद के पैरों पर खड़ा हो पाएगा। इन सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेंगे।
डायरेक्शन :
फिल्म को डायरेक्ट द्वीप राज कोचर ने किया है और उनका डायरेक्शन ठीक है। फिल्म का स्क्रीनप्ले कई जगहों पर स्लो है और सिनेमेटोग्राफी ठीक है। फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है, फिल्म की लंबाई है जो कि काफी कम है। फिल्म का सबसे बड़ा माइनस प्वाइंट क्लाइमैक्स का प्रिडिक्टेबल होना है। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड म्यूजिक औसत दर्जे का है।
परफॉर्मेंस :
परफॉर्मेंस की बात की जाए तो मुकुल चीरू ने ठीक काम किया है। शिवानी शर्मा ने भी सराहनीय काम किया है। नब्बे के दशक के एक्टर रह चुके वेद थापर इस फिल्म से दोबारा स्क्रीन पर वापसी कर रहे हैं और उनका काम भी ठीक है। द्वीप राज कोचर ने दूध वाले के किरदार निहाल सिंह को काफी अच्छे से निभाया है।
क्यों देखें :
सचिन द अल्टीमेट विनर एक ऐसे बच्चे की कहानी है, जो अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल करता है। यह फिल्म संदेश देती है कि कभी भी किसी भी तरह की परिस्थिति में हार नहीं मानना चाहिए। यह फिल्म खासतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए बनी है और उन्हें यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।
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