राजनीतिक उथल-पुथल के साल रहे 2018-19, भाजपा से छूटे कई बड़े राज्य

साल 2018-19 में कई राज्यों में चुनाव हुए। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्य भाजपा के हाथ से निकल गए तो वहीं कर्नाटक और तमिलनाडु में एनडीए की सरकार बनी। एक साल में कैसे बदली देश की राजनीति?
एक साल में कैसे बदली देश की राजनीति?
एक साल में कैसे बदली देश की राजनीति?नेहा श्रीवास्तव

राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ सालों में भारत की राजनीति काफी उथल-पुथल भरी रही। जहां एक ओर भाजपा केन्द्र के साथ-साथ कई राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो वहीं दूसरी ओर देश के सबसे पुराने राजनैतिक दल कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में 52 सीटों पर सिमटना पड़ा। साल 2018 से राजनीतिक समीकरण बदलते नज़र आए। मध्यप्रदेश और राजस्थान में जहां कांग्रेस ने बहुमत पाकर सरकार बनाई तो वहीं कर्नाटक में इसके लिए एक लंबा घमासान चला।

हाल ही में हुए महाराष्ट्र चुनाव में राजनीति ने हर पल नए मोड़ लिए। चुनाव से पहले गठबंधन कर भाजपा और शिवसेना ने साथ चुनाव लड़ा लेकिन परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के चलते दोनों अलग-अलग हो गए। एनसीपी के अजित पवार ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री बने तो वहीं अजित पवार उप-मुख्यमंत्री लेकिन दिनभर चले नाटक के बाद दोनों ने इस्तीफा दे दिया और शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस ने गठबंधन कर सरकार बनाई। इस सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बने।

कर्नाटक राज्य में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सबसे अधिक सीटें जीतीं। इससे पूर्व कांग्रेस शासित इस राज्य में भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई लेकिन बहुमत साबित करने के 10 मिनिट पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद कांग्रेस और जनता दल(सेक्युलर) के गठबंधन ने एच. डी. कुमारास्वामी के नेतृत्व में सरकार बनाई। जुलाई 2019 में यह गठबंधन सरकार गिर गई और येदियुरप्पा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पथ की शपथ ली।

तमिलनाडु में साल 2016 में हुए चुनावों में एआईएडीएमके ने सरकार बनाई लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उसने भाजपा से हाथ मिला लिया। इस कारण यह राज्य अब एनडीए (राषट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) के खाते में चला गया है।

उत्तर पूर्वी राज्यों के अरूणाचल प्रदेश में साल 2014 में हुए चुनावों में जीत कांग्रेस ने हासिल की लेकिन मुख्यमंत्री पेमा खांडू 33 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा के समर्थन में आ गए। वहीं मई 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को राज्य में बड़ी जीत हासिल हुई, जिससे अब यहां एनडीए की सरकार है।

हरियाणा में साल 2014 में हुए चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की। अबकी बार हुए चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनी लेकिन जेजेपी और अन्य विधायकों के साथ गठबंधन कर भाजपा ने यहां भी सरकार बना ली। फिलहाल, भाजपा के मनोहर लाल खट्टर यहां के मुख्यमंत्री और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला उप-मुख्यमंत्री हैं।

उत्तर पूर्व के ही मिज़ोरम राज्य में साल 2018 में चुनाव हुए। यहां की स्थानीय पार्टी मिज़ो नेशनल फ्रंट ने सबसे अधिक 26 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 5 जबकि पहले 34 सीटें जीतकर इनकी सरकार थी और भाजपा ने केवल एक सीट जीती लेकिन भाजपा ने एमएनएफ के साथ गठबंधन किया और इस तरह मिज़ोरम में भी अब एनडीए की सरकार है।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़, भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले इन दो राज्यों ने साल 2018 के आखिर में हुए चुनावों में अपना रुख बदल लिया। जहां मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी गंवानी पड़ी तो वहीं छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को भी मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।

मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो छत्तीसगढ़ में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया।

इन्हीं के साथ राजस्थान राज्य में भी चुनाव हुए और यहां भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भाजपा ने 73 सीटें जीतीं तो कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत पाया। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बने।

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