CM केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी की दाखिल
CM केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी की दाखिलSocial Media

मुफ्त वाली योजनाओं के बचाव में AAP ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी की दाखिल

आम आदमी पार्टी (AAP) मुफ्त वाली योजनाओं के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने पहुंची है और याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाए...

दिल्ली, भारत। दिल्ली की केजरीवाल सरकार की पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) मुफ्त वाली योजनाओं के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने पहुंची है और पार्टी की तरफ से दाखिल अर्जी में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

राजनीतिक दलों के खिलाफ एक जनहित याचिका का किया विरोध :

दरअसल, आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त की योजनाओं का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ एक जनहित याचिका का विरोध कर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि, ''मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे मुफ्त नहीं हैं, क्योंकि ये योजनाएं असमान समाज में बेहद जरूरी हैं।'' इस दौरान AAP पार्टी की ओर से इस मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने की भी मांग करते हुए इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है।

योजनाओं की घोषणा को मतदाताओं को रिश्वत देने की तरह देखा जाए :

तो वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अश्विनी उपाध्याय की याचिका में यह मांग की गई है कि, चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा को मतदाताओं को रिश्वत देने की तरह देखा जा रहा है। चुनाव आयोग अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऐसी घोषणा करने वाली पार्टी की मान्यता रद्द करे, लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि, संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है। संविधान में इस अधिकार की कुछ सीमाएं ज़रूर दी गई हैं, लेकिन नेताओं का अपने मंच से लोगों के कल्याण के लिए किसी योजना का वादा करना इस किसी सीमा का उल्लंघन नहीं करता, इसलिए उनके भाषण को इस तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना के अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच की ओर से पिछले हफ्ते गैरजरूरी मुफ्त योजनाओं से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर चिंता जाहिर कर राज्यों पर बकाया लाखों करोड़ों रुपए के कर्ज का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले के समाधान के लिए एक कमेटी बनाने के संकेत दिए थे।

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