शरद पवार ने भतीजे अजित को बताया अपना नेता, सुप्रिया सुले बोलीं राकांपा में कोई टूट नहीं
हाईलाइट्स
क्या सियासी हानि-लाभ को ध्यान में रखते हुए शरद पवार यह स्वीकार करने से बच रहे हैं कि उनकी सहमति से ही अजित पवार ने भाजपा रा रुख किया है
यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि राष्ट्रवादी पार्टी में कोई फूट नहीं हुई। जो विद्रोह देखने में आया वह महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य शरद पवार की सहमति से ही हुआ है
पार्टी छोड़ने के बाद से अजित पवार चार बार अपने चाचा से मुलाकात कर चुके हैं। पार्टी तोड़ने को लेकर उनके भीतर कोई मतभेद नहीं है। क्या यह सोची समझी योजना है ?
राज एक्सप्रेस । राजनीतिक पंड़ितों के लिए यह अनुमान लगाना बेहद कठिन हो गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में आखिर चल क्या रहा है। शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार को अपना नेता बताया है। उन्होंने कहा एनसीपी में कोई विभाजन नहीं हुआ है। एनसीपी सुप्रीमो ने अपने भतीजे अजित पवार के साथ किसी भी मतभेद की बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा ये सब फिजूल की बातें हैं। राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने कहा किसी पार्टी में फूट कैसे पड़ती है? ऐसा तब होता है जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा समूह पार्टी से अलग हो जाए, लेकिन राकांपा में तो ऐसा हुआ नहीं। जब कोई टूट नहीं हुई तो पार्टी में टूट होने की बात कैसे कही जा सकती है।
कुछ नेताओं का रुख अलग, यह फूट नहीं
हां, कुछ नेताओं ने जरूर अलग रुख अपना रखा है, लेकिन इसे फूट नहीं बताया जा सकता। लोकतंत्र किसी को भी इतने अधिकार देता है। अगर उन्होंने कोई फैसला लिया है, तो ‘फूट पड़ गई’ ऐसा कहने की कोई वजह नहीं है। उधर, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा एनसीपी में कोई टूट नहीं है। अजित पवार ने बस अलग कदम उठाया है। सुप्रिया सुले ने कहा डिप्टी सीएम अजित पवार एनसीपी के वरिष्ठ नेता हैं। सुप्रिया सुले ने यह भी कहा कि शरद पवार राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जबकि, जयंत पटेल एनसीपी के महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हैं। सुप्रिया सुले ने टूट की बात को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि एनसीपी में कोई टूट नहीं हुई है, बस हमारी पार्टी के कुछ नेताओं ने अलग स्टैंड लिया है। हमने इस बारे में शिकायत की है।
जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे अजित पवार
जुलाई 2023 में अपने चाचा शरद पवार से अलग होकर अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे और डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी। उनके साथ 8 और विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी। तब अजित पवार ने दावा किया था कि उनके पास एनसीपी के 40 विधायकों का समर्थन है। पार्टी छोड़ने के बाद भी शरद पवार ने कभी अजित पवार की आलोचना नहीं की है। पार्टी से अलग होने के बाद अजित पवार उनसे चार बार मुलाकात भी कर चुके हैं। क्या इसका मतलब यह है कि शरद पवार, शिवसेना का सत्तासीन विद्रोही गुट और भाजपा अब एक मंच पर आ गए हैं। हालांकि वह प्रकट तौर पर इसकी घोषणा नहीं करना चाहते, क्योंकि वह जानते हैं कि लोकसभा चुनाव के पहले ऐसा करने पर उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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