कृषि से जुड़े 3 बिलों पर राज्यसभा में बहस- जानें किसने क्‍या कहा

कृषि बिल राज्यसभा में केंद्रीय कृषि नरेंद्र सिंह तोमर ने पेश करते हुए कहा- इस बिल से किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा। विपक्षी सांसदों के जोरदार हंगामे के बीच राज्‍यसभा से भी कृषि बिल पास हो गया।
कृषि से जुड़े 3 बिलों पर राज्यसभा में बहस- जानें किसने क्‍या कहा
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कृषि बिल: देशभर में विवादों के बीच कृषि सुधार से जुड़े तीन अहम विधेयक लोकसभा से पास हो जाने के बाद इस मुद्देे पर राज्यसभा में बहस जारी है, इस दौरान किसान के कृषि बिलों को लेकर जबरदस्‍त बवाल मचा हुआ हैं। विपक्षी सांसदों के जोरदार हंगामे के बीच आखिरकार राज्‍यसभा ने भी कृषि विधेयकों को पारित कर दिया है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना :

कृषि बिल 2020 आज रविवार को राज्यसभा में पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, ''इस बिल से किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा। फसलों के लिए MSP जारी रहेगा, कृषि बिल का एमएसपी से कोई मतलब नहीं है। यह दोनों अलग अलग है, एमएसपी आगे भी जारी रहेगी।''

किसान की भूमि के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, इसका भी प्रावधान बिल में किया गया है देश का किसान देश का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है, किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा।

नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री

बिल को लेकर विपक्षी पार्टियांं का जोरदार विरोध :

तो वहीं, इस बिल को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियांं जोरदार ढंग से विरोध कर रही हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, डीएमके, राजद समेत 12 पार्टियों ने इन तीनों विधेयकों को सिलेक्‍ट कमिटी के पास भेजने की मांग की गई है।

बिल पर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह का कहना :

इस दौरान बिल पर चर्चा के वक्‍त कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी अपनी प्रतिक्रिया में ये कहा कि, ''पंजाब और हरयाणा के किसान समझते हैं कि ये उनकी आत्मा पर बहुत बड़ा आघात है। कांग्रेस इसे खारिज करती है, किसान का बेटा होने के नाते किसानों के डेथ वारंट पर किसी तरह साइन करने को तैयार नहीं।''

मुझे हैरानी हुई कि इस वक्त इस बिल को लाने की जरूरत क्या है, जब कोरोना एक लाख केस निकल रहे हैं, जब चीन बॉर्डर पर बैठा है, तब इसकी जरूरत क्या है। एमएसपी को खत्म करने का तरीका है, यही हाल अमेरिका में हुआ है। किसानों की तीस प्रतिशत जमीने कॉरपरेट हाउस ले गए, किसान सड़कों पर हैं।

प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस नेता

बाजवा के बयान पर बीजेपी नेता का पलटवार :

राज्य सभा में बाजवा के बयान पर बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव ने कहा- 70 साल से किसान जिस न्याय की अपेक्षा कर रहा था। उसी के लिए ये बिल लाया गया है, सत्तर के दशक में पंजाब-हरियाणा एक था। देश आगे बढ़ गया है और आपके भाषण पुराने न रह जाए, आपने साठ साल शासन किया, आपकी पार्टी की नीतियां ले कर आईं, उसकी वजह से ग्रामीण आय कम क्यों है? किसान की आमदनी क्यों नहीं बढ़ी।

आज के दिन किसानों के न्याय का दिन है, अगर किसानों को बाहर की मंडी में ज्यादा पैसा मिलता है तो उन्हें बेचने का हक है। मैं आरपीआई की तरफ से इस बिल का सपोर्ट करता हूं।

राम दास अठावले, RPI

दिल्‍ली के CM केजरीवाल का बोले :

वहीं, दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा- आज पूरे देश के किसानों की नजर राज्य सभा पर है, राज्य सभा में बीजेपी अल्पमत में है. मेरी सभी गैर-बीजेपी पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हराएं, यही देश का किसान चाहता है।

टीएमसी सांसद ने उपसभापति पर फेंका रूल बुक :

राज्यसभा में पेश किए गए कृषि सुधार विधेयकों पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब और वोटिंग के समय तो बात इतनी आगे बढ़ गई कि, सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। टीएमसी सांसद डेरेक ओ' ब्रायन सहित विपक्ष के कई नेताओं ने बिल की कॉपी फाड़ी, उपसभापति पर रूल बुक फेंका तो आसन के माइक को भी तोड़ डाला।

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 तथा कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी मिली है। ध्‍वनिमत से पारित होने से पहले इन विधेयकों पर सदन में खूब हंगामा हुआ। नारेबाजी करते हुए सांसद वेल तक पहुंच गए। कोविड-19 के खतरे को भुलाते हुए धक्‍का-मुक्‍की भी हुई। विपक्ष ने इसे 'काला दिन' बताया है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि यह 'लोकतंत्र की हत्‍या' है।

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