अग्नीपथ योजना को लेकर एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने दिया आज यह बयान
अग्नीपथ योजना को लेकर एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने दिया आज यह बयानSocial Media

अग्नीपथ योजना को लेकर एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने दिया आज यह बयान

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा, नई भर्ती प्रणाली वायुसेना की संचालन क्षमता को किसी भी तरह से कम नहीं करेगी।

दिल्ली, भारत। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा भारतीय सेना में लाई गई नई योजना 'अग्निपथ' को लेकर आज रविवार को भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी का रिएक्शन आया है।

अग्निपथ योजना भारतीय वायुसेना के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के तहत लाई गई है :

इस दौरान एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने साफ कहा है कि, "अग्निपथ योजना भारतीय वायुसेना के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के तहत लाई गई है। नई भर्ती प्रणाली वायुसेना की संचालन क्षमता को किसी भी तरह से कम नहीं करेगी।'' वायुसेना प्रमुख की ओर से आगे यह भी बताया गया है कि, "चार साल की नियुक्ति अवधि में 13 टीमें 'अग्निवीरों' के नामांकन, रोजगार, मूल्यांकन और प्रशिक्षण का जिम्मा संभालेंगी। योजना के क्रियान्वयन से पेंशन और अन्य खर्चों में होने वाली कोई भी कमी महज आकस्मिक है और इसे सुधार लागू करने की वजह नहीं मानना चाहिए।"

अग्निपथ योजना भारतीय वायुसेना के श्रमशक्ति के बेहतर दोहन के अभियान को आगे बढ़ाने के लिये लाई गई है। यह काम एक दशक से चल रहा है और जिसके तहत हमने कई मानव संसाधन नीतियों और संगठनात्मक संरचनाओं की समीक्षा की है। यह योजना सबसे अच्छे मानव संसाधन के साथ-साथछोटे और घातक बल होने के भारतीय वायुसेना के दीर्घकालिक दृष्टिकोण की पूरक भी है, क्योंकि हम दृढ़ता से मानते हैं कि जरूरत के समय में किसी भी बल में शामिल पुरुष और महिलाएं उसकी ताकत को साबित करते हैं।

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने आगे यह भी कहा- लगातार बदलती और विकसित होती तकनीक के साथ एक वायु योद्धा से अपेक्षित बुनियादी कौशल में भी गुणात्मक बदलाव आया है। हमें लगता है कि, आज के युवा न सिर्फ अलग और आवश्यक कौशल रखते हैं, बल्कि प्रौद्योगिकी के मामले में भी बेहद दक्ष हैं। एक पुनर्गठित प्रशिक्षण प्रणाली, जो हमारी परिचालन प्रतिबद्धताओं के लिए समकालीन, प्रौद्योगिकी-आधारित और विशेष रूप से निर्मित है, उसके साथ हम योजना के कार्यान्वयन को निर्बाध बनाने की परिकल्पना करते हैं। सशस्त्र बलों में मानव संसाधन में बदलाव की आवश्यकता पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया है और करगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों पर धीरे-धीरे ध्यान केंद्रित करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं।

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