पोर्ट ब्लेयर में अमित शाह ने 'आइकोनिक इवेंट्स वीक' को किया संबोधित
पोर्ट ब्लेयर में अमित शाह ने 'आइकोनिक इवेंट्स वीक' को किया संबोधितSocial Media

पोर्ट ब्लेयर में अमित शाह ने 'आइकोनिक इवेंट्स वीक' को किया संबोधित

पोर्ट ब्लेयर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पर 'आइकोनिक इवेंट्स वीक' को संबोधित कर अपने संबोधन में कही ये बातें...

दिल्‍ली, भारत। पोर्ट ब्लेयर में आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित 'आइकोनिक इवेंट्स वीक' को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया।

जब भी हम नेताजी का नाम सुनते हैं रोंगटे खड़े हो जाते :

आइकोनिक इवेंट्स वीक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- यह दिन ऐतिहासिक है क्योंकि हम उन सभी की वीरता का जश्न मनाते हैं, जिन्होंने आजादी से पहले और बाद में भी मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया है। एक ओर हम सुभाष द्वीप को नेताजी की स्मृति में परिवर्तित कर रहे हैं और दूसरी ओर 21 द्वीपों का नाम उन लोगों के नाम पर रखा जा रहा है, जिन्होंने 1947 से इस भूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया है।

जब भी हम नेताजी का नाम सुनते हैं रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इतना साहस, पराक्रम और देशभक्ति शायद ही किसी में होती है। नेताजी के लिए देश का सम्मान, देश की जनता के प्रति ईमान और खुद के स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

  • इन 21 द्वीपों का नामकरण 'परमवीरों' के नाम पर करके पीएम मोदी जी ने न केवल रक्षा बलों का सम्मान किया है, बल्कि इस देश के युवाओं को हमारे वीरों के जीवन से जोड़ा है और देशभक्ति के बीज बोए हैं।

  • नेताजी ने कई टोपियां पहनी थीं। उन्होंने कांग्रेस का नेतृत्व किया, फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की और कोलकाता के मेयर भी बने। लेकिन जब उन्होंने महसूस किया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत को स्वतंत्रता मिल सकती है, तो वे ब्रिटिश कैद से छूट गए और भारत की स्वतंत्रता पर काम करने के लिए बर्लिन की यात्रा की।

  • अंडमान निकोबार का इतिहास कौन नहीं जानता? यहीं पर सेल्यूलर जेल है, जहां वीर सावरकर जी ने अपार यातनाओं को सहते हुए कभी न झुकने वाला जज्बा दिखाया था। 1857 से लेकर 1947 तक अनेक कैदियों ने यहां रहकर आजादी के आंदोलन की तपस्या की थी।

  • मैं जब भी द्वीप समूह की भूमि पर पैर रखता हूं रोमांचित हो जाता हूं। इस भूमि पर नेताजी ने ध्वज फहरा कर अंडमान को स्वतंत्र किया था और आज वहीं पर नेताजी की स्मृति में एक भव्य स्मारक बन रहा है। देश, नेताजी के उपकारों और ऋण को कभी चुका नहीं सकता है।

  • गांधी जी के साथ कार्यपद्धति के मतभेद के बाद नेताजी ने कांग्रेस छोड़ दी और खुद का बनाया हुआ रास्ता अख्तियार किया। फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की और फिर आईएनएस की स्थापना कर देश को आजाद करने का प्रयास किया।

  • पूरा देश आज नेताजी को अपना अभिमान मानता है और उनके साहस को सलाम करता है। मोदी जी ने नेताजी के इतिहास को सम्मान देने के लिए उसको संजोने के लिए कर्तव्य पथ पर भव्य प्रतिमा स्थापित की थी।

  • आजादी के बाद नेताजी को भुलाने और उनकी भूमिका को छोटा करने का बहुत प्रयास किया गया। लेकिन कहते है कि जो वीर और सच्चे होते हैं वो इतिहास में स्थान प्राप्त करने के लिए किसी के मोहताज नहीं होते। इतिहास ही उनको गोद में बैठाकर अपने बच्चे को बड़ा करता है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com