‘नमामि गंगे’ से नदी में जैवविधिता सुधर रही है: नरेंद्र मोदी
‘नमामि गंगे’ से नदी में जैवविधिता सुधर रही है: नरेंद्र मोदीSocial Media

‘नमामि गंगे’ से नदी में जैवविधिता सुधर रही है: नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नमामि गंगे’ अभियान को विश्व के शीर्ष 10 अभियानों के रूप में स्वीकार करने की संयुक्त राष्ट्र की घोषणा का स्वागत करते हुए रविवार को कहा कि इससे जैवविधिता सुधर रही है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नमामि गंगे’ अभियान को विश्व के शीर्ष 10 अभियानों के रूप में स्वीकार करने की संयुक्त राष्ट्र की घोषणा का स्वागत करते हुए रविवार को कहा कि इससे जैवविधिता सुधर रही है और इसका अन्य क्षेत्रों में लाभ मिल रहा है। श्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम‘मन की बात’ की ताजा कड़ी में माँ गंगा के साथ भारत की परंपरा और संस्कृति के अटूट नाते का उल्लेख किया और कहा कि ‘नमामि गंगे’ पहल के बाद हिमालय से निकलने वाले देश की इस प्रमुख नदी में जल-जीव और मछलियों की संख्या बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा,“सदियों से कल-कल बहती माँ गंगा को स्वच्छ रखना हम सबकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य के साथ, आठ साल पहले, हमने, ‘नमामि गंगे’ अभियान की शुरुआत की थी। इस पहल को दुनियाभर ने सराहा है तथा संयुक्त राष्ट्र ने इस मिशन को पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करने के दुनिया के शीर्ष 10 प्रयासों में शामिल किया है। इस अभियान में जनभागीदारी है और इससे गंगा नदी में जैवविविधता सुधरी है।” श्री मोदी ने कहा, ‘ ‘नमामि गंगे’ अभियान की सबसे बड़ी ऊर्जा, लोगों की निरंतर सहभागिता है। इस अभियान में, गंगा प्रहरियों और गंगा दूतों की भी बड़ी भूमिका है। वे पेड़ लगाने, घाटों की सफाई, गंगा आरती, नुक्कड़ नाटक, पेंटिंग और कविताओं के जरिए जागरूकता फैलाने में जुटे हैं। इस अभियान से जैवविधितामें भी काफी सुधार देखा जा रहा है। हिल्सा मछली, गंगा डॉल्फिन और कछुवों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे’ मिशन का विस्तार, उसका दायरा, नदी की सफाई से कहीं ज्यादा बढ़ा है। गंगा का पारिस्थिती तंत्र स्वच्छ होने से, आजीविका के अन्य अवसर भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “यहां मैं, ‘जलज आजीविका मॉडल’ की चर्चा करना चाहूंगा, जो कि जैव विविधता को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। नदी में पर्यटन आधारित बोट सफारी को 26 जगहों पर शुरू किया गया है। जाहिर है, ‘नमामि गंगे’ मिशन का विस्तार, उसका दायरा, नदी की सफाई से कहीं ज्यादा बढ़ा है। ये, जहाँ, हमारी इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है, वहीं, ये, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्व को भी एक नया रास्ता दिखाने वाला है।”

प्रधानमंत्री कहा, ‘ हम सभी के लिए यह गौरव की बात है, कि, भारत की इस पहल को, आज, दुनियाभर की सराहना मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र ने ‘नमामि गंगे’ मिशन को पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 प्रयासों में शामिल किया है। ये और भी खुशी की बात है कि पूरे विश्व के 160 ऐसे पहल में ‘नमामि गंगे’ को यह सम्मान मिला है।” उन्होंने श्लोक ‘नमामि गंगे तव पाद पंकजं,सुर असुरै: वन्दित दिव्य रूपम्। भुक्तिम् च मुक्तिम् च ददासि नित्यम्,भाव अनुसारेण सदा नराणाम्।’(अर्थात् हे माँ गंगा! आप, अपने भक्तों को, उनके भाव के अनुरूप - सांसारिक सुख, आनंद और मोक्ष प्रदान करती हैं। सभी आपके पवित्र चरणों का वंदन करते हैं। मैं भी आपके पवित्र चरणों में अपना प्रणाम अर्पित करता हूं। ) का उल्लेख करते हुए कहा कि कहा,“ हमारी परंपरा और संस्कृति का माँ गंगा से अटूट नाता है। गंगा जल हमारी जीवनधारा का अभिन्न हिस्सा रहा है।”

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