क्या एक बार फिर से बदले जा सकते हैं 500-1000 के पुराने नोट
क्या एक बार फिर से बदले जा सकते हैं 500-1000 के पुराने नोटSyed Dabeer Hussain - RE

क्या एक बार फिर से बदले जा सकते हैं 500-1000 के पुराने नोट? जानिए क्या है मामला?

नोटबंदी को भले ही 6 साल बीत चुके हैं, लेकिन खबर है कि एक बार फिर से 500 और 1000 के पुरानों नोटों को नए नोटों से बदला जा सकता है।

राज एक्सप्रेस। 8 नवंबर साल 2016 को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक घोषणा करके बताया था कि आज रात 12 बजे के बाद 500 और 1000 रुपए के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे। हालांकि सरकार ने पुराने नोटों को बदलवाने के लिए लोगों को कुछ समय दिया था, जिसके बाद पूरे देश में बैंकों के बाहर बड़ी-बड़ी लाइन नजर आई थी। उस समय कई लोग ऐसे थे जो समय पर 500 और 1000 के नोटों को नहीं बदल पाए थे। आज उस बात को भले ही 6 साल बीत चुके हैं, लेकिन खबर है कि एक बार फिर से 500 और 1000 रुपए के पुरानों नोटों को नए नोटों से बदला जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट कर रहा है सुनवाई :

दरअसल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि पुराने नोटों को बदलने के लिए एक व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। साथ ही कुछ विशेष मामलों में इसकी अनुमति भी दी जा सकती है।

अटॉर्नी जनरल ने किया विरोध :

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने कहा कि कोर्ट इस तरह का आदेश नहीं दे सकता है। नोटबंदी काले धन की समस्या की वजह से लागू की गई थी। यह रिजर्व बैंक कानून 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी। लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। ऐसे में नोटबंदी के 6 साल बाद इस पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं रह गया है।

याचिकाकर्ताओं की दलील :

इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है। एक याचिकाकर्ता का कहना है कि, ‘मेरे पास एक करोड़ रूपए के पुराने नोट पड़े हैं। ऐसे में मैं इसका क्या करू।‘ इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नोट संभालकर रखने के लिए कहा। वहीं एक याचिकाकर्ता ने कहा कि, ‘मेरी जब्त की गई लाखों रूपए की रकम अदालत में पड़ी हैं, लेकिन नोटबंदी के चलते अब वह मेरे किसी काम की नहीं रही।’ इसी तरह एक अन्य याचिकाकर्ता का कहना है कि, ‘नोटबंदी के समय हम विदेश में थे। पहले कहा गया था कि नोट मार्च के अंत तक बदल सकेंगे, लेकिन मार्च के पहले ही इसे बंद कर दिया गया था।’

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