सीबीएसई का नया प्रयोग: दो स्तर में होगी 10वीं की गणित परीक्षा

सीबीएसई कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए गणित की परीक्षा संरचना में बड़ा बदलाव कर रही है। 'बेसिक' और 'स्टेंडर्ड' स्तर की परीक्षा से विद्यार्थियों को होंगे क्या लाभ?
10वीं के छात्रों के लिए गणित की परीक्षा की संरचना में बड़ा बदलाव।
10वीं के छात्रों के लिए गणित की परीक्षा की संरचना में बड़ा बदलाव।CBSE

राज एक्सप्रेस। विद्यार्थियों में अक्सर गणित विषय को लेकर डर देखा गया है। कई विद्यार्थी ऐसा भी सोचते हैं कि भविष्य में गणित विषय नहीं लेना है तो वे इसे विषय को क्यों पढ़ें?

ऐसे विद्यार्थियों के मद्देनज़र केंद्रीय माध्यमिक बोर्ड (सीबीएसई) ने एक बड़ी घोषणा की है। सीबीएसई 2019-2020 सत्र में कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए गणित की परीक्षा संरचना में बड़ा बदलाव कर रही है। सीबीएसई अब दो स्तर पर दसवीं की गणित विषय का परीक्षा पत्र सेट करेगी 'बेसिक' और 'स्टेंडर्ड'।

क्या है बेसिक और स्टेंडर्ड के मायने

सीबीएसई, ऐसे विद्यार्थी जिन्हें भविष्य यानि कक्षा 11वीं में गणित विषय नहीं लेना है, उनके लिए बेसिक स्तर का पेपर सेट करेगी। ऐसा इसलिए ताकि ऐसे विद्यार्थी गणित से दूर नहीं भागें और सिर्फ एक विषय में कमजोर होने से उनके परीक्षा परिणाम पर प्रभाव न पड़े।

वहीं ऐसे विद्यार्थी जिन्हें भविष्य में गणित पढ़ना है उनके लिए सीबीएसई स्टेंडर्ड स्तर का पेपर सेट करेगी, ताकि विद्यार्थी उस विषय को गंभीरता से पढ़ें। ऐसे विद्यार्थियों का न सिर्फ उस विषय में ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि भविष्य में भी उन्हें फायदा होगा।

बेसिक का पेपर देने के बाद मन बदल जाय तो?

सीबीएसई ने सभी परिस्थितियों को मद्देनज़र रखते हुए इसके लिए नीति बनाई है। सभी छात्रों और अभिभावकों के ज़हन में यही सवाल उठा होगा कि क्या होगा जब बेसिक या स्टेंडर्ड का पेपर देने के बाद बच्चों का मन बदल जाए?

ऐसी स्थिति में सीबीएसई उन्हें दूसरा मौका देगी। यदि बच्चा गणित का बेसिक पेपर देता है लेकिन फिर उसे 11वीं में गणित विषय लेने का मन हो जाता है, ऐसी परिस्थति में वो कम्पार्टमेंट परीक्षा में स्टेंडर्ड गणित का पेपर दे सकता है। इस परीक्षा को पास करने के बाद उसे गणित विषय मिल जाएगा।

कम्पार्टमेंट आने पर छात्रों के पास क्या विकल्प होगा

गणित का स्टेंडर्ड पेपर देने वाले विद्यार्थी को यदि कम्पार्टमेंट लगता है तो उस छात्र के पास विकल्प है कि वो एक बार फिर स्टेंडर्ड का पेपर दे सकता है या फिर बेसिक पेपर देने के लिए भी वो योग्य है।

वहीं ऐसे छात्र जिन्हें बेसिक गणित के पेपर में कम्पार्टमेंट लगता है तो वो विद्यार्थी केवल बेसिक का ही पेपर दे सकते हैं।

रिपोर्ट कार्ड में लिखेगा बेसिक और स्टेंडर्ड

विद्यार्थी, गणित का पेपर जिस भी स्तर में देंगे उस स्तर का जिक्र उनके रिपोर्ट कार्ड में किया जाएगा। 10वीं कक्षा के बच्चों का पंजीकरण 9वीं क्लास में ही हो जाता है। सीबीएसई की इस घोषणा के बाद बच्चों द्वारा एक फॉर्म भराया गया है जिसमें उन्होंने बताया कि भविष्य में वो गणित विषय लेने वाले हैं या नहीं।

टीचरों के लिए होगी चुनौती-

इस घोषणा के बाद शिक्षकों के लिए एक चुनौती बढ़ गई है। शिक्षकों को क्या करना होगा, उसको जानने के लिए हमने कुछ शिक्षकों से बात की।

भोपाल के सेंट जोसफ हायर सेकेंडरी में कक्षा 10वीं को गणित पढ़ाने वाली शिक्षिका रचना शर्मा से हमारी बात हुई। सीबीएसई के फैसले की रचना ने प्रशंसा की। उनका कहना है कि जिन बच्चों को भविष्य में गणित विषय नहीं पढ़ना है उनके लिए ये निर्णय सही है।

चुनौती के संदर्भ में जब शिक्षिका से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया सीबीएसई ने अपनी घोषणा में इस बात का जिक्र नहीं किया कि गणित के परीक्षा पत्र का स्तर क्या होगा। इसलिए हमारी कोशिश है कि बच्चों को स्टेंडर्ड के हिसाब से तैयार किया जाए। यदि बच्चा स्टेंडर्ड के हिसाब से तैयार होता है तो बेसिक खुद ब खुद तैयार हो जाएगा। इस निर्णय से किसी भी टीचर की जिम्मेदारी बढ़ी या घटी नहीं है।

हमारी बात सेंट जोसेफ में वाले 10वीं छात्र आधेश से भी बात हुई। उन्होंने बताया कि टीचर्स वैसे स्टेंर्डड के हिसाब से ही पढ़ा रहे हैं। आधेश अगले साल गणित विषय लेने वाले हैं उन्होंने बताया कि एनसीआरटी के अलावा भी हमें दूसरे गणितज्ञ की किताबों से रिफ्रेंस लेना पड़ता है। मुझे मैथ्स पढ़ना अच्छा लगता है इसलिए मैं दूसरी बु्क्स से रिफ्रेंस ले सकता हूँ, लेकिन जिन्हें मैथ्स पढ़ना अच्छा नहीं लगता उनको थोड़ी प्रॉब्लम आती है। इसलिए भी ये निर्णय अच्छा है।

इसके बाद हमने शिक्षक आशीष त्रिपाठी से बात की। आशीष निजी कोचिंग में पढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि हर साल सीबीएसई एक थीम रखता है। इस बार की थीम है एक्सपेरिमेंटल लर्निंग। आशीष ने भी सीबीएसई के इस फैसले की प्रशंसा की, मगर उन्हें इस पूरी प्रक्रिया में एक त्रुटि दिखाई दी कि सीबीएसई को इस सत्र से पहले टीचर्स डेवलेपमेंट प्रोग्राम का आयोजन करना चाहिए था। जिसमें शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता तो शिक्षकों को पढ़ाने में आसानी होती।

आशीष ने हमें बताया कि इस फैसले से यह फायदा होगा कि ऐसे विद्यार्थी जिन्हें गणित नहीं लेना है उनकी तैयारी एनसीआरटी किताब से ही हो जाएगी।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com