केंद्र सरकार ने जताया समलैंगिक विवाह पर विरोध, जानिए क्यों सही नहीं है यह विवाह?
राज एक्सप्रेस। देश में काफी लंबे समय से समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने की मांग पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन अब इस मामले में केंद्र सरकार के द्वारा इस मांग का विरोध किया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि देश में समलैंगिक विवाह को मान्यता दिया जाना सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ होगा, और साथ ही इससे पारिवारिक व्यवस्था भी भंग होगी। गौरतलब है कि इसी साल में जनवरी माह के दौरान समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस दिया था, जिसपर अब केंद्र का जवाब आया है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे कारण बताने जा रहे हैं जो समलैंगिक विवाह को घातक साबित करते हैं।
सामाजिक नियमों का उल्लंघन :
हमेशा से यही माना जाता है कि शादी एक पुरुष और महिला के बीच होती है। जबकि समलैंगिक शादी का मतलब दो समान लिंग वाले लोगों के बीच शादी होना है। ऐसी शादी को सामाजिक नियमों का उल्लंघन माना जाता है। इसके साथ ही यह प्रकृति के नियमों को भी तोड़ने जैसा है। क्योंकि प्रकृति के अनुसार पुरुष और महिला की शादी होकर मानव श्रृंखला को आगे बढ़ाना है।
नई पीढ़ी के भविष्य पर खतरा :
आमतौर पर यही देखा जाता है कि नई पीढ़ी यानि बच्चे सामाजिक रूप से अपने पिता और माता दोनों के साथ से आगे बढ़ते हैं। जबकि समलैंगिक विवाह में उनपर माँ या पिता में से किसी एक का ही साथ मिल पाता है। जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।
बांझपन और सरोगेसी को बढ़ावा :
समलैंगिक विवाह में उक्त दंपत्ति प्राकृतिक रूप से बाँझपन का शिकार हो जाता है। उनका समान लिंग के चलते बच्चे को जन्म देना मुमकिन नहीं होता। इस स्थिति से निपटने के लिए वे सेरोगेसी के जरिए बच्चे की ख्वाहिश को पूरा करते हैं।
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