मप्र में जेल बंदियों के प्रशिक्षण के लिए होगा 5 करोड़ का स्थाई फंड

मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री ने जेलों में संचालित उद्योग, कौशल विकास एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालन के लिये 5 करोड़ का स्थाई फंड बनाने के निर्देश दिये हैं।
मप्र में जेल बंदियों के प्रशिक्षण के लिए होगा 5 करोड़ का स्थाई फंड
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राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री बाला बच्चन ने जेलों में संचालित उद्योग, कौशल विकास एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालन के लिये 5 करोड़ का स्थाई फंड बनाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने तकनीकी शिक्षा विभाग के समन्वय से बंदियों को वोकेशनल ट्रेनिंग उपलब्ध कराने को भी कहा। मंत्री बच्चन ने जेलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए गठित 'मध्यप्रदेश कौशल विकास एवं व्यावसायिक बोर्ड' की प्रथम उच्च स्तरीय बैठक में यह जानकारी दी।

जेल मंत्री बच्चन ने केन्द्रीय जेल भोपाल, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और सागर को विशेष उत्पादों के लिये हब के रूप में विकसित करने को कहा है। उन्होंने इन जेलों में उत्पादित सामग्री के विक्रय के लिये आउटलेट स्थापित करने पर बल दिया। बैठक में इन जेलों में उत्पादन एवं वित्तीय प्रबंधन के लिये योजना का अनुमोदन भी किया गया।

बता दें, मध्य प्रदेश में कुल 11 सेंट्रल जेल हैं। इनके अलावा 41 जिला जेल, 73 सब जेल और 5 खुली जेल हैं। इनमें क़ैदियों की तादाद साल दर साल बढ़ती जा रही है। जेल विभाग की रिपोर्ट वर्ष 2018 के अनुसार प्रदेश की जेलों में कुल 42,057 कैदी बंद थे, जबकि क्षमता सिर्फ 28,601 कैदियों की है। सेंट्रल जेलों में सभी तरह के बंदियों के रखे जाने का सीधा असर सुरक्षा पर पड़ता है। क्षमता से ज्यादा बंदी के अनुपात में जेलों में प्रहरियों की संख्या कम है। लापरवाही का नतीजा है कि पिछले चार साल में 300 से ज्यादा कैदी जेल से फरार चुके हैं। बड़े मामलों में सबसे पहले सिमी कैदी खंडवा से फरार हुए और बाद में फिर भोपाल जेल ब्रेक हुई। जेल ब्रेक का एक बड़ा कारण क्षमता से अधिक कैदी भी माना जाता है।

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