घंटों ड्यूटी करने के बाद एडीओ भोपाल जाने को तैयार
घंटों ड्यूटी करने के बाद एडीओ भोपाल जाने को तैयारSocial Media

घंटों ड्यूटी करने के बाद एडीओ भोपाल जाने को तैयार

बालाघाट में अधिकारी ने कोरोना काल में कटवा दिया वेतन। घंटों ड्यूटी करने के बाद भी एडीओ भोपाल जाने को थे तैयार। डीओ ने कलेक्टर को किया गुमराह। जानें क्या हैं मामला...

राज एक्सप्रेस। बालाघाट में आबकारी अधिकारी ने अपने दामन को साफ-पाक दिखाने के लिए मेहनतकश अधिकारियों की ऐसी तस्वीर कलेक्टर के सामने पेश की। जिससे कलेक्टर ने उन्हें दोषी मानकर एक माह का वेतन काटने का आदेश कोरोना काल में जारी कर दिया। जिन्होंने न तो दिन देखा न ही रात, ताबडतोड़ कार्यवाहियां की, पीडितों की मदद में अपनी जान भी जोखिम में डाली, उसके बावजूद वह भोपाल जाने को तैयार भी थे, लेकिन परिवहन अधिकारी ने कोई जानकारी नहीं दी, खामियाजा निर्दोष कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है।

आबकारी विभाग में पदस्थ एक जिला आबकारी अधिकारी का विवादों और भ्रष्टाचार से पुराना नाता रहा है। विंध्य के उमरिया और अनूपपुर में तैनातगी के दौरान इनके ऊपर कई गंभीर आरोप लगने के साथ कार्यवाहियां भी हुई हैं। कलेक्टर ने 21 मई की रात्रि मणिपुर के तीन बच्चो को बालाघाट से भोपाल के हबीबगंज स्टेशन भेजने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग को सौपी थी, कथित अधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी निचले कर्मचारियों को सौंप कर अपनी जिम्मेदारियों से नाता तोड़ लिया, जबकि विभाग प्रमुख होने के नाते कलेक्टर के द्वारा सौपे गये दायित्व का निर्वहन करने का पहला अधिकारी विभाग प्रमुख का होता है, लेकिन ऐसा न करके कथित अधिकारी ने कलेक्टर तक को गुमराह करने में कोई कसर नही छोड़ी हैं।

कलेक्टर दीपक आर्य ने 21 मई को तीन बच्चो को भोपाल भेजने के संबंध में आबाकारी विभाग को जिम्मेदारी सौपी थी। जिसमें डीओ धुर्वे ने बताया कि प्राथमिकता के तौर पर नोडल अधिकारी, सहायक जिला आबकारी अधिकारी एस.डी. सूर्यवंशी को बनाया गया है और उनके प्रस्ताव पर सहायक जिला आबकारी अधिकारी एमआर उइके को तीनों बच्चों को भोपाल ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन उइके का फोन नहीं उठा, जिसके बाद एडीओ सूर्यवंशी तीनो बच्चो को भोपाल ले जाने की जिम्मेदारी सौपी गई, लेकिन उनके द्वारा परिवहन अधिकारी से संपर्क नही किया गया, चालक के द्वारा तीनों बच्चो को अकेले भोपाल ले जाया गया, अगर उसे नींद आ जाती या कोई अप्रिय घटना घट जाती तो राज्य के साथ ही राष्ट्रीय स्तर की छवि भी धूमिल होती। जिसके चलते कलेक्टर ने दोनो एडीओ के मई माह के वेतन आहरण पर रोक लगा दी।

इस पूरे मामले में सच यह है कि जिला आबकारी अधिकारी धुर्वे को कलेक्टर ने जिम्मेदारी सौंपी थी, न कि अधीनस्थ अधिकारियों को, जब उनके ऊपर आन पड़ी तो कलेक्टर को गुमराह करते हुए यह बता दिया कि उन्होंने सहायक जिला आबकारी अधिकारी एसडीओ सूर्यवंशी को नोडल अधिकारी बनाया था, जबकि न तो किसी प्रकार का कोई आदेश प्राप्त हुआ और न ही उन्हे किसी प्रकार की जिम्मेदारी जिला आबकारी अधिकारी के द्वारा सौंपी गई। कुल मिलाकर इस मामले में अपने आप को साफ साबित करने के फेर में अधिकारी धुर्वे ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को फसाया था।

विभागीय जानकारी के अनुसार 11 मई से आबकारी विभाग के द्वारा लगातार कार्यवाही की जा रही हैं। इसके अलावा 19 मई से प्रतिदिन सामूहिक गस्त भी लगाई गई है, जिसमें व्यापक मात्रा में अवैध शराब जब्त की गई है। 21 मई को सहायक जिला आबकारी अधिकारी सुबह 7:30 से लेकर रात्रि 9:30 तक अपनी ड्यूटी में तैनात थे। इस दौरान दल ने ग्राम धापेवाडा, सुरवाही व जोधीटोला के जंगल में चार किलोमीटर पैदल चलकर दस प्लास्टिक ड्रमों में महुआ लाहन, 2500 किलोग्राम जब्त करते हुए तीन प्रकरण भी पंजीबद्ध किये गये थे, जिसकी सूचना कन्ट्रोल रूम में दी गई थी, उसके बाद 9:30 बजे तक टीम के द्वारा गस्त की गई।

इस पूरे मामले में विभाग ने न तो सूर्यवंशी को कोई सूचना दी और न ही कोई नोडल अधिकारी बनाया, रात्रि 10:30 के आस-पास एडीएम कार्यालय में पदस्थ स्टेनो ने मोबाइल पर भोपाल जाने की सूचना दी, जिसके बाद सूर्यवंशी ने सहायक जिला आबकारी अधिकारी एमआर उइके को सूचित किया। उइके ने बताया कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है और वह भोपाल जाने में असमर्थ है।

अपने अधीनस्थ कर्मचारी का स्वास्थ्य खराब होने और 14 घंटे की ड्यूटी करने के बावजूद सूर्यवंशी भोपाल जाने को तैयार हो गये और उन्होने रात्रि में अपनी सहमति जिला परिवहन अधिकारी को दे दी, और उनसे वाहन के ड्रायवर का मोबाइल नंबर और गाडी नंबर की जानकारी मांगी और वह देर रात तक इंतजार करते रहे, लेकिन परिवहन अधिकारी के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नही दी गई और न ही कोई निर्देश दिये गये।

लॉकडाउन की अवधि में कलेक्टर दीपक आर्य के द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देशों पर दोनों ही सहायक जिला आबकारी अधिकारियों के द्वारा कार्यवाहियां की गई। जिसमें महुआ लाहन के साथ ही अवैध शराब, जंगल व नाले के किनारे से बरामद की गई, मेहनतकस कर्मचारियों ने कोरोना काल के इस कठिन दौर में भी अपने जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा, लेकिन विभाग प्रमुख को जब इस दौर में उनका साथ देना चाहिए था तो अपनी कुर्सी बचाने के फेर में अधीनस्थ कर्मचारियों को ही फसा दिया।

एडीओ को 23 मई को एडीएम कार्यालय से दोपहर 2:30 बजे आदेश प्राप्त हुआ था कि दो बसों से 86 लोगों को भोपाल ले जाना है जो कि बिहार के हैं और वहां पर उन्हे बिहार जाने वाली ट्रेन में सुरिक्षत रूप से रवाना करना है। इसके अलावा 24 मई को 17 लोगों को सुरक्षित रूप से भोपाल से लेकर जिले के कंजई लेकर आना है, दोनों ही कर्मचारियों ने 25 मई को अपने दायित्वों को निर्वहन करते हुए जिम्मेदारियों को पूरा किया, और वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा दिये गये निर्देशों का पूरा निष्ठा के साथ पालन भी किया। जबकि सूर्यवंशी को कोई नोडल अधिकारी नही बनाया गया था, अगर उनके साथ कोई घटना होती तो उसकी जिम्मेदारी राजस्व विभाग की होती या फिर आबकारी विभाग की।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.co