शहडोल: कोयले का काला खेल-खेल रही वाशरी

शहडोल जिले में एसईसीएल से संजय गांधी ताप विद्युत गृह मंगठार को कोयले की खेप पहुंचाने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ की कम्पनी आर्यन इस्पात एण्ड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड को मिला हुआ है।
कोयले का काला
कोयले का कालाShubham Tiwari

राज एक्सप्रेस। शहडोल जिले में एसईसीएल से संजय गांधी ताप विद्युत गृह मंगठार को कोयले की खेप पहुंचाने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ की कम्पनी आर्यन इस्पात एण्ड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड को मिला हुआ है, जो कि अनूपपुर जिले के धिरौल में स्थित कोल वाशरी में कोयले को वॉश करने के बाद अमलाई की साइडिंग से मंगठार पहुंचाने का काम लम्बे समय से करती चली आ रही हैं।

लेकिन इसकी आड़ में कम्पनी के नुमाइंदे कोयले में मिलावट करने के बाद पॉवर प्लांट पहुंचा रहे हैं, जबकि अच्छे ग्रेड का कोयला रोजाना छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में भेज दिया जाता है, इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ से ही घटिया कोयले को यहां पर बुलाया जाता है और फिर मिश्रित कर मंगठार के लिये रवाना किया जाता है।

कोयले की सप्लाई में मिलावट

एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों का कोयला धिरौल स्थित कोल वाशरी में पहुंचता है, जहां पर उसे वॉश करने के नाम पर मिलावट करने का खेल-खेला जाता है, जिस ग्रेड का कोयला संजय गांधी थार्मल पॉवर प्लांट को जाना चाहिए, वहां मिश्रित कोयले को भेजा जा रहा है, यह पूरा गोरखधंधा लम्बे अर्से से कथित व्यवसायी के द्वारा संचालित किया जा रहा है। एसईसीएल की विभिन्न माइंसों से कोयला निकलकर पहुंचता जरूर है, लेकिन अच्छी क्वालिटी के कोयले को छत्तीसगढ़ भेज दिया जाता है और मिलावटी कोयले को बिरसिंहपुर के लिये रवाना कर दिया जाता है।

छत्तीसगढ़ पहुंच रही खेप

बताया गया है कि, विभिन्न कोयला खदानों से संजय गांधी ताप विद्युत गृह भेजने के लिये कोयला आयरन इस्पात एण्ड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा उठाया जाता है और उसे वाशरी लाया जाता है, जिसके बाद कोयले में मिलावट की जाती है और अच्छे कोयले को रोजाना वाहनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में ऊंचे दामों पर बेच दिया जा रहा है, यह खेल अर्सों से कोयले की धुलाई के नाम पर कथित कम्पनी के कारिंदों के द्वारा संचालित किया जा रहा है।

निम्न क्वालिटी और पत्थर

संजय गांधी ताप विद्युत गृह परियोजना को रैक के माध्यम से जो कोयला भेजा जा रहा है वह निम्न क्वालिटी का है और उसमें पत्थर भी मिलाये जाते हैं, छत्तीसगढ़ से घटिया किस्म के कोयले को यहां पर बुलाया जाता है, फिर मिश्रण करके कोयले को पॉवर प्लांट के लिये रवाना करने के लिये अमलाई स्थित साइडिग लाया जाता है, जहां पर एक रैक में बकैट से कोयला डाला जाता है, जिसमें निम्न स्तर का कोयले और पत्थर की मात्रा अधिक होती है और ऊपर से थोड़ा-बहुत अच्छा कोयला डाल दिया जाता है।

अधिकारी भी काट रहे चांदी

इस पूरे गोरखधंधो में केवल आयरन इस्पात एवं पॉवर प्राइवेट लिमिटेड ही शामिल नहीं है, बल्कि संजय गांधी ताप विद्युत गृह प्रोजेक्ट के अधिकारी के साथ ही एसईसीएल के जिम्मेदार भी इस खेल में शामिल हैं, यह पूरा गोरखधंधा अर्सों से संचालित हो रहा है और सब मिलकर बंदरबाट कर रहे हैं, अगर इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के साथ ही पॉवर प्लांट को गये कोयले की सेम्पलिंग के साथ ही धिरौल और अमलाई साइडिंग में पड़े कोयले की जांच हुई तो कई पर कार्यवाही की गाज गिर सकती है।

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