मुआवजा वितरण में भारी विसंगतियों के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन

छतरपुर, मध्य प्रदेश : छतरपुर के राजनगर तहसील अंतर्गत कई गांवों के किसानों को सही मुआवजा नहीं मिला इसलिए वे लगातार विरोध कर रहे हैं।
किसानों ने किया प्रदर्शन
किसानों ने किया प्रदर्शनPankaj Yadav

हाइलाइट्स :

  • किसानों को सही मुआवजा नहीं मिलने पर लगातार विरोध

  • पांच दिन का अल्टीमेटम, होगा बड़ा आंदोलन

  • मुआवजा वितरण में घोर विसंगतियां आयी सामने

  • किसानों ने किया प्रशासन को आगाह, न्याय नहीं मिला तो होगी बड़ी लड़ाई

राज एक्सप्रेस। छतरपुर के राजनगर तहसील अंतर्गत कई गांवों के किसानों को सही मुआवजा नहीं मिला इसलिए वे लगातार विरोध कर रहे हैं। झांसी से खजुराहो तक बनाई जा रही फोरलेन सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया लेकिन मुआवजा वितरण में घोर विसंगतियां सामने आयी हैं क्योंकि एक किसान को एक करोड़ का मुआवजा मिल गया तो वहीं उसके भाई को दो लाख रूपए दिए गए हैं।

भाजपा और अन्य दलों के नेताओं ने किसानों की आवाज बुलंद करते हुए प्रशासन को पांच दिन का अल्टीमेटम दिया है यदि समिति बनाकर गड़बड़ी की जांच नहीं की जाती तो विशाल आंदोलन करने के लिए वे मजबूर होंगे। भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष, वरिष्ठ भाजपा नेता, बसपा नेता के साथ जिला मुख्यालय आए सैकड़ों किसानों का दर्द है कि उन्हें वाजिब मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। कलेक्ट्रेट के सामने एसडीएम मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। गंज, बसारी, देवगांव, टुरया के किसानों का कहना है कि उनकी जमीन तो ले ली गई मगर मुआवजा वितरण का जो आधार बनाया गया है वह घोर विसंगतियों वाला है।

किसानों ने बताया-

कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें एक किसान को यदि उसकी जमीन के बदले एक करोड़ दिए गए हैं तो उसके भाई को ही सिर्फ दो लाख रूपए दिए गए। आखिर यह कहां का इंसाफ है कि दो सगे भाईयों की अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा अलग-अलग है। वरिष्ठ भाजपा नेता घासीराम पटेल ने कहा कि उन्होंने जांच समिति बनाने की मांग की है यदि समिति द्वारा यह सिद्ध कर दिया जाए कि मुआवजा सही बनाया गया तो पूरे मामले का पटाक्षेप हो जाएगा।

किसानों की आवाज दबाने एसडीएम ने लगाई 144 धारा

किसानों का कहना है कि राजनगर एसडीएम आईएएस स्वप्निल वानखेड़े किसानों की आवाज दबाना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने धारा 144 लगाई है ताकि किसान ठेकेदार की मनमानी पर अड़ंगा न लगा सकें, लेकिन किसानों का कहना है कि, वे अपनी जमीन की रक्षा करने और अपना हक हासिल करने के लिए किसी भी हद तक चले जाएंगे। किसानों ने प्रशासन को आगाह किया है कि यदि उन्हें अब भी न्याय नहीं मिला तो फिर वे बड़ी लड़ाई के लिए तैयार हो जाएं।

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