Anuppur : शपथ-पत्र में महिला थाने की शिकायत

अनूपपुर, मध्यप्रदेश : अपने भाई को न्याय दिलाने के लिए एसपी से लेकर भोपाल तक जाएगा नितिन। मामला निखिल विश्वकर्मा की गिरफ्तारी व पैसो के लेन-देन का।
शपथ-पत्र में महिला थाने की शिकायत
शपथ-पत्र में महिला थाने की शिकायतShrisitaram Patel

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। बीते सप्ताह निखिल को उमरिया पुलिस ने पकड़ कर थाने में बैठाया था, जहां से अनूपपुर पुलिस उसे गाड़ी में बैठा कर कोतवाली ले आई, मामला महिला थाने में पहुंचा तो प्रभारी ने उच्चाधिकारियों से बात करते हुए फर्जी समझौता दस्तावेज तैयार करते हुए रिश्वत ले ली और निखिल को जेल भेज दिया गया, जिसकी शिकायत भाई ने शपथ-पत्र में पुलिस अधिक्षक से की है।

मुख्यालय में महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए नवीन महिला थाना का शुभारंभ किया गया है, लेकिन शुरूआत में ही महिला प्रभारी ने थाने को कटघरे में खड़ा कर दिया है। निखिल का भाई नितिन विश्वकर्मा ने पुलिस अधिक्षक से शिकायत करते हुए जांच अधिकारी बदलने की मांग व शपथ-पत्र के माध्यम से 35 हजार रिश्वत लेने की बात कही है। नितिन ने इस पूरे घटना क्रम को कटघरे में खड़ा करते हुए उमरिया पुलिस, कोतवाली अनूपपुर व महिला थाना पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

यह है मामला :

कोतवाली अनूपपुर में एक महिला द्वारा उमरिया निवासी निखिल विश्वकर्मा पर एफआईआर दर्ज करवाती है, पुलिस धारा 354, 354 सी, 354 डी, 384 आईपीसी 67 आईटी एक्ट 2000 के तहत मामले को दर्ज कर लिया है, उमरिया पुलिस निखिल को पकड़ कर थाने में बैठा लेती है और स्पाइडर मैन की तरह अनूपपुर कोतवाली पुलिस जिला उमरिया पहुंचती है और उमरिया पुलिस के सहयोग से निखिल को गिरफ्तार कर लेती है, यह बात जब उसके परिजनो को पता लगी तो भाई विपिन थाने पहुंचा और देखा की निखिल के हाथो में हथकड़ी लगी हुई है, तो उमरिया थाना प्रभारी से पूछने पर उन्होने बताया कि अनूपपुर में निखिल के विरूद्ध एफआईआर दर्ज है और अनूपपुर पुलिस आ रही है इसे लेकर जाएगी।

महिला थाने पहुंचा निखिल :

निखिल का भाई नितिन ने शिकायत पत्र में उल्लेख किया कि मेरे भाई को महिला थाने में 3 जुलाई की शाम लगभग 5 बजे के आस-पास ले जाया गया, जहां प्रभारी ज्योति शुक्ला के द्वारा एक लाख की मांग करते हुए कहा गया कि पैसे दे दो तो मैं निखिल को मुचलका जमानत दे दूंगी और मामले को कमजोर बना दूंगी। जिसके बाद मेरे द्वारा 35 हजार रूपए होने की बात कह कर उन्हे पैसे दे दिए गए और छोड़ने हेतु दस्तावेज भी तैयार कर दिया गया और कहा गया कि एक घंटे बाद आपके भाई को छोड़ दिया जाएगा व उसकी हथकड़ी को खोलकर कुर्सी में बैठा दिया गया।

फिर आया नया मोड़ :

निखिल विश्वकर्मा को एक घंटे बाद जब नहीं छोड़ा गया तो नितिन ने महिला प्रभारी से चर्चा कि तो उन्होंने कहा कि हम आपके भाई को नहीं छोड़ेंगे, ऊपर के अधिकारियों ने मना किया है, फिर उसे हथकड़ी लगा कर लॉकअप में भेज दिया गया और पूरी रात रख कर मारपीट भी की गई। महिला थाने से नितिन के पास फोन भी आता है और उससे मुचलका जमानत के पेपर वापस करने की बात भी कही जाती है, नितिन के द्वारा पेपर को वापस नहीं किया गया तो 4 जुलाई की दोपहर 1:30 बजे के लगभग जब नितिन महिला थाने पहुंचता है तो वहां कहा जाता है कि पेपर वापस कर दो, अभी हम प्यार से बात कर रहे है वर्ना तुम्हारे साथ भी बहुत बुरा हो जाएगा।

कही अधिकारियों का तो हाथ नहीं :

सूत्रों की मानें तो इस तरह के निर्णय अकेले महिला थाना प्रभारी नहीं ले सकती, उच्चाधिकारियों को ऐसे मामलों में अवगत कराया जाता है और प्रभारी भी आरोपी पक्ष से उच्चाधिकारियों की हस्ताक्षेप व फोन आने की बात कहती रही है। कुल मिला कर यह पूरा घटनाक्रम ऐसा प्रतीत होता है कि उच्चाधिकारियों के इशारे पर महिला थाना प्रभारी के द्वारा किया गया है, निखिल ने महिला थाना प्रभारी व उनके मोबाइल पर संपर्क किए गए अधिकारी की काल की वाइस डिटेल निकाल कर जांच करने की मांग की है।

मोबाइल से छेड़छाड़ की आशंका :

नितिन ने पुलिस अधिक्षक को शिकायत पत्र देते हुए 9 बिंंदुओं में घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए लिखा की मेरे भाई के दोनो मोबाइल जप्त कर लिए गए है, प्रभारी के द्वारा कहा गया कि मोबाइल को सागर भेज के उसके डाटा को क्लीन कर दिया जाएगा, अगर ऐसा हुआ तो मेरे भाई निखिल के पास शिकायत कर्ता द्वारा लगाए गए आरोप को झूठा साबित करने के सारे सबूत मिट जाएंगे और खुद को सही साबित कर पाना असंभव हो जाएगा।

उमरिया पुलिस हुई किनारे :

लोकसूचना अधिकार अधिनियम के तहत चाही गई जानकारी पर कोतवाली उमरिया के द्वारा जवाब प्रस्तुत किया गया कि निखिल विश्वकर्मा पिता रामगोपाल विश्वकर्मा को 2 जुलाई को कोतवाली उमरिया के किसी अधिकारी कर्मचारी के द्वारा निखिल को गिरफ्तार नहीं किया गया है, जबकी शाम लगभग 5 बजे उमरिया पुलिस के सिपाही दिलीप गुप्ता एवं एक अन्य के द्वारा उसके आफिस के सामने से पकड़ कर उमरिया थाने ले गए, उस वक्त निखिल विश्वकर्मा के आफिस मित्र भी आफिस में मौजूद थे, उमरिया पुलिस द्वार मेरे भाई को पकड़ने के बाद उसके दोनो मोबाईल फोन को स्विचऑफ कर दिया गया था, जिससे की वह परिवार के सदस्यो से संपर्क नहीं कर सका, कुछ समय पश्चात मेरे दुसरे भाई विपिन विश्वकर्मा को यह बात पता चली की निखिल विश्वकर्मा को उमरिया पुलिस ने पकड़ लिया है। जब मेरा दूसरा भाई उमरिया थाने पहुंचा तब उसने वहा देखा कि निखिल विश्वकर्मा को हथकड़ी लगा कर बैठाया गया था।

इन्साफ के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहा भाई :

निखिल विश्वकर्मा को इंसाफ दिलाने के लिए भाई नितिन 2 जिलों के कार्यालयों के चक्कर काट रहा है, जिस तरह से घटनाक्रम को पुलिस दर्शा रही है उससे नितिन परेशान है कि भाई को न्याय कैसे मिलेगा। लगातार धमकिया व मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है और मोबाईल में मौजूद सबूतों को मिटाने का प्रयास किया जा रह है, इससे मेरे भाई को न्याय मिल पाना मुश्किल हो जाएगा। वही 2 जुलाई को उमरिया पुलिस निखिल को पकडती है और 12 दिन बाद पकड़ने से इनकार कर देती है, वहीं महिला प्रभारी द्वारा पैसे लेकर लिखित समझौता पत्र देने के बाद इनकार करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्रचिन्ह खड़ा करता है।

इनका कहना है :

मामला मेरे संज्ञान में है, मैंने जांच के लिए एसडीओपी को दे दिया है, जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर कार्यवाही की जाएगी।

एम.एल. सोलंकी, पुलिस अधीक्षक, अनूपपुर

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