वर्मा का खेल और हो गया शौचालय फेल
वर्मा का खेल और हो गया शौचालय फेलSitaram Patel

Anuppur : वर्मा का खेल और हो गया शौचालय फेल

स्वच्छ भारत मिशन को ही अस्वच्छ कर दिया जिला समन्वयक ने। जिलेभर में हजारो शौचालय अनुपयोगी, 10 वर्षो से जिपं में वर्मा का कब्जा। व्यक्तिगत शौचालय, स्वच्छता परिसर, लीज पिट व सामुदायिक में भ्रष्टाचार।
Summary

खुले में शौच मुक्त बनाना स्वच्छ भारत की मिशन थी, लेकिन जब जिम्मेदार ही गांवों और ग्राम पंचायतों की दशा न समझे तो निश्चित ही योजनाएं और मिशन जमीन में ही दफन हो जाते हैं। रामनरेश वर्मा जैसे संविदा कर्मचारी स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक जो 10 वर्षो से जिंप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, शायद ही गावों की तरफ रूख करते होंगे, महज कमीशन के फेर में शौचालय की राशि का भुगतान कर दिया जाता है, भले ही वह अनुपयोगी हो।

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। जिला पंचायत के दस्तावेजों में भले ही ग्राम पंचायत खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गये हो, लेकिन कहीकत गांवों में बने शौचालय की तस्वीर और निर्माण स्थल ही बयां कर रही है। जिले में बैठे आलाधिकारी कलेक्टर सुश्री सोनिया मीणा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हर्षल पंचोली, चारो जनपद में बैठे मुख्य कार्यपालन अधिकारी को शायद गांवों में बने शौचालय की स्थितियों का आकलन नही है। इसलिए स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक रामनरेश वर्मा जैसे लोग 10 वर्षो से कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम देकर मलाई छान रहे है। इनके द्वारा कई पंचायतों में तो बिना शौचालय बनाये ही राशि का आहरण करा दिया जाता है, सचिवों के साथ करीबी संबंध रखकर कमीशन के फेर में ग्राम पंचायतों में अनुपयोगी शौचालय निर्माण करा दिया जाता है।

भ्रष्टाचार का बड़ा खेल :

जिले के अंदर व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण और भुगतान को संभाल रहे संविदा के पद पर बैठे रामनरेश वर्मा भ्रष्टाचार बड़ा खेल खेल रहे है। लगातार कई वर्षों से एक ही पद पर बना हुआ है और पूरे जिले में बनाए जा रहे व्यक्तिगत शौचालय पर व्यक्तिगत रूप से प्रति शौचालय कमीशन खोरी करते है। इनके कार्यकाल में ग्राम पंचायत बरगवां में लगभग फर्जी तरीके से 14 लाख रुपए का भुगतान किया गया था, उसके बाद भी व्यक्तिगत शौचालय के प्रमुख अधिकारी होने के बाद भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, बल्कि ग्राम पंचायत में पदस्थ सरपंच और सचिव के ऊपर लगभग 7 से 8 की रिकवरी की कार्यवाही और कुछ दिनों के लिए पद से पृथक की भी गई थी।

कमीशन के बल पर भुगतान :

जहां से मूल रूप से भुगतान होता है वही संविदा कर्मी रामनरेश वर्मा पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई, जानकारी के अनुसार लेनदेन में माहिर हैं और जिले की कमान संभालते हुए व्यक्तिगत शौचालय की राशि में गाते लगा रहे है। पुष्पराजगढ़ ब्लाक और जैतहरी ब्लॉक के अलावा कोतमा और स्वयं अनूपपुर ब्लॉक पर सैकड़ों गांव है, यहां पर प्रति ग्राम पंचायत में आए दिन दर्जनों व्यक्तिगत शौचालय बनते रहते हैं, इस में पर बैठकर व्यक्तिगत शौचालय पर एक शौचालय पर अगर 1000 कमीशन मिलता है तो पूरे जिले की कमान संभाल रहे राम नरेश वर्मा संविदा कर्मी को कितने करोड़ों रुपए अर्जित कर अपने न्यू को मजबूत कर चुके हैं। शायद इसीलिए आज तक इनका स्थानांतरण अन्यत्र नहीं हो रहा है।

स्वच्छ भारत मिशन पर खेल :

जिले को संभाल रहे जिला समन्वयक राम नरेश वर्मा स्वच्छ भारत मिशन जो प्रधानमंत्री के सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में प्रमुख माना जा रहा है जिस पर अरबों रुपए खर्च करके लोगों को घर-घर में व्यक्तिगत शौचालय बनवाने एवं उसके उपयोग पर कार्य करने के लिए ऐसे अधिकारियों को बैठाया गया है, वह अपनी जिम्मेदारी भूल कर व्यक्तिगत शौचालय को लाभ का धंधा बना कर रखे हैं। 12000 की कीमत वाले शौचालय पर 1000 कमीशन लेकर भुगतान करना अपना प्रमुख कार्य समझ रखे हैं, चाहे वह फिर निर्माण कार्य अधूरा हो इससे उनको कोई लेना देना नहीं है।

10 वर्षों से काबिज संविदा कर्मी :

जिला पंचायत में जिला समन्वयक पद पर रामनरेश वर्मा नामक संविदा कर्मी लगभग 10 वर्षों से काबिज है और निरंतर स्वच्छ भारत मिशन के कार्यक्रम से लेकर व्यक्तिगत शौचालय के उपयोग आने तक का काम बखूबी देख रहे हैं और अब तो इनके द्वारा ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायतों में वाहन भी उपलब्ध कराए जाने हैं ऐसे जगह को देखने वाले संविदा कर्मी स्वच्छ भारत मिशन के कार्य को जिम्मेदारी न समझते हुए लाभ समझकर सभी ग्राम पंचायत के सरपंच सचिवों को सिर्फ आदेश देते हैं और कागजों में काम करके वारा न्यारा करते रहते हैं।

कमीशन का चल रहा खेल :

व्यक्तिगत शौचालय पर विशेष रूप से अपनी दृष्टि बनाए रखने वाले संविदा कर्मी रामनरेश वर्मा के टेबल भुगतान के लिए जब फाइल पहुंचती थी तो एक शौचालय पर 500-1000 का कमीशन इन का तय रहता है और लाखों शौचालय का निर्माण जिले में हुआ होगा, भले ही उपयोग में आज हजारों की संख्या की ना बची हो, लेकिन शौचालय के भुगतान होते रहते हैं। इतना ही नही परिवारों की समग्र आईडी अलग-अलग बनाकर व्यक्तिगत शौचालय का खेल भी खेल रहे हैं यह भी अपने आप में जांच का विषय है।

14 लाख का प्रमाणित भ्रष्टाचार पर कार्यवाही नहीं :

जिला समन्वयक के पद पर रहते हुए, इन्हीं के कार्यकाल में ग्राम पंचायत बरगवां में 14 लाख रुपए का प्रमाणित भ्रष्टाचार सिद्ध हुआ था, जिसे हाईकोर्ट के द्वारा मुहर लगाते हुए सरपंच और सचिव पर 14 लाख रुपए की भरपाई सुनिश्चित की गई थी लेकिन इस मामले पर ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव पर कार्यवाही तो की गई थी लेकिन प्रमुख सूत्रधार जो व्यक्तिगत शौचालय का भुगतान करते हैं ऐसे अधिकारी रामनरेश वर्मा पर कोई कार्यवाही की गाज नहीं गिरी, जबकि सरपंच सचिव अगर बिना बनाएं भुगतान ले रहे थे तो उन्हें भुगतान करने से पहले जांचने का काम तो जिला समन्वयक अधिकारी का है।

इनका कहना है :

पूरे मामले की जानकारी लेकर मैं जांच के आदेश देता हूं, अगर गडबडियां पाई जाती है तो निश्चित ही दोषियों पर कार्यवाही होगी।

हर्षल पंचोली, सीईओ, जिला पंचायत अनूपपुर

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