अनूपपुर: डीएमएफ योजना में टूटे अधिसूचना के कायदे

जनप्रतिनिधियों ने सारे नियमों को शिथिल करते हुए पुलिया निर्माण के लिए अधिकारियों ने किया भ्रष्टाचार- डीएम, जिपं सीईओ के आदेश कटघरे में।
डीएमएफ योजना
डीएमएफ योजनाSitaram Patel

राज एक्सप्रेस। प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना वर्ष 2016 में लागू की गई थी, जिसमें साठ और चालीस प्रतिशत के कार्यो के संचालन को राजपत्र के माध्यम से प्रदेश शासन द्वारा लागू किया गया था। 28 जुलाई 2016 को असाधारण राजपत्र खनिज संसाधन विभाग के माध्यम से जारी किया गया था, जिसमें 60 प्रतिशत राशि जो कि पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, वृद्व एवं निशक्त जन कल्याण, कौशल विकस और स्वच्छता के लिए खर्च की जानी थी।

40 प्रतिशत की राशि भौतिक अवसंरचना, सिंचाई, ऊर्जा एवं वाटरशेड के कार्य में की जानी थी। जिला प्रशासन में बैठे नौकरशाहों और जनप्रतिनिधियों ने सारे नियमों को शिथिल करते हुए करोड़ों रूपए की राशि पुलिया निर्माण के लिए स्वीकृत करा दी, जो कि नियमों के विपरीत है। अचरज की बात यह है कि उक्त कार्य के लिए जिले के मुखिया ने भी 50 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान ग्राम पंचायतों को कर दिया।

स्वार्थ के लिए किया चयन

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा जनपद पंचायत जैतहरी के ग्राम पंचायत लखनपुर, ताराडांड, ठोडीपानी, पडरी, दुधमनिया, केकरपानी के अंतर्गत आने वाले ग्रामों में 160.91 लाख रूपए के निर्माण कार्य स्वीकृत कर दिये और इसकी एवज में 50 प्रतिशत की राशि अग्रिम भुगतान भी कर दी, जबकि अधिसूचना के मुताबिक यह राशि कोयले से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले ग्रामों के लिए कोल इंडिया के द्वारा राज्य सरकार को प्रदान की जाती है। ये वह ग्राम है न तो कोयले से सीधे तौर पर प्रभावित है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित है, नौकरशाहों ने अपने निजी स्वार्थ के चलते करोड़ो रूपए का बंदरबांट करके इन निर्माण कार्य को हरी झंडी देते हुए अपने आर्थिक स्वार्थ को सिद्ध किया, जिसमें जनप्रतिनिधियों का भी अहम योगदान है।

तो क्या पुलिया से चलेगी योजना

जिला पंचायत द्वारा जारी किये गये जैतहरी के ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यो की सूची पर नजर डाली जाये तो आरसीसी पुलिया निर्माण को मंजूरी 7 ग्राम पंचायतों के विभिन्न ग्रामों में 160.91 हजार रूपए मंजूर किये गये हैं, जबकि भौतिक अवसंरचना, सिंचाई एवं वाटरशेड में 40 प्रतिशत की राशि ही मंजूर की जा सकती है। आरसीसी पुलिया निर्माण से राजपत्र के माध्यम से जारी की गई अधिसूचना का खुले तौर पर उल्लघंन किया गया, जबकि 60 प्रतिशत राशि उन अमुख योजना में खर्च की जानी थी, जिसमें प्रभावित और अप्रभावित क्षेत्रों के लोगों का कल्याण हो सके, लेकिन जनप्रतिनिधियों के चलते अधिकारियों ने अधिसूचना को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया।

अप्रभावितों को मिल रहा लाभ

वैसे तो जिस स्थान पर योजना स्वीकृत की गई है, उसका लाभ निर्माण एजेंसी को मिलेगा, क्योंकि आरसीसी पुलिया निर्माण में मोटी रकम बचती है, जिसके चलते सभी उक्त कार्य को स्वीकृत कराने के लिए राजनेताओं और नौकरशाहों के पीछे सूटकेश लेकर दौड़ते हैं। जैतहरी जनपद के लिए जिन ग्राम पंचायतों का चयन किया गया न तो वह कोयले से प्रभावित हैं और न ही अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं, फिर भी करोड़ों रूपए स्वीकृत कर दिये गये, अगर यही राशि सही कार्यो में खर्च की जाती तो आज जिले की तस्वीर कुछ और बयां करती।

अधिसूचना में दिये गये

बिन्दुओं के तहत् स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वरोजगार, पेयजल, महिला, स्वच्छता, वृद्धजन के कल्याण के साथ ही सिंचाई, ऊर्जा और जल संरक्षण के कार्य होते और पर्यावरण भी संरक्षित होता, लेकिन इन कार्यो में कमीशन नही मिलता, जिसके चलते आरसीसी पुलिया का निर्माण स्वीकृत कर दिया गया।

पालक मंत्री को किया गुमराह

प्रदेश के खनिज संसाधन मंत्री प्रदीप जायसवाल जिले के प्रभारी मंत्री हैं, जिला पंचायत द्वारा जारी प्रशासकीय आदेश में जारी किया गया है कि प्रधानमंत्री खनिज कल्याण योजना अंतर्गत जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि अंतर्गत नियम 13 के अनुसार सरल क्रमांक-2 में अंकित कार्य का सहायक यंत्री जनपद पंचायत है। तकनीकी स्वीकृति एवं प्रभारी मंत्री से प्राप्त अनुमोदन उपरांत 160.91 लाख रूपए की राशि प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाती है।

जबकि अधिसूचना में आरसीसी पुलिया निर्माण के लिए अप्रभावित ग्रामों के लिए राशि जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि अगर यह ग्राम प्रभावित या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते भी तो उक्त कार्य के लिए यह राशि जारी नहीं हो सकती, कुल मिलाकर नौकरशाहों ने प्रभारी मंत्री को भी धोखे में रख कर अपने निजी स्वार्थ के चलते मोटी रकम जारी करा दी। सूत्र बताते हैं कि, उक्त कार्य के आवंटन में पूर्व में दस प्रतिशत की राशि बतौर कमीशन जिला पंचायत के एक अधिकारी ने ली।

छीन लिये मुख्यमंत्री के अधिकार

28 जुलाई 2016 को जारी किये गये राजपत्र की अधिसूचना 5 वर्षो के लिए अमल में लाई गई थी, जो कि वर्तमान में भी प्रभावशील है, उसमें उल्लेख किया गया है कि योजना में अगर कोई संशोधन किया जाना है तो उसके लिए सिर्फ अधिकार सूबे के मुख्यमंत्री को है, न कि प्रभारी मंत्री, विभागीय मंत्री, कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ या कि कोई जनप्रतिनिधि। अधिसूचना की बिन्दु क्रमांक-23 संशोधन में वर्णित है कि इन नियमों में जब भी कीई संसाधन अपेक्षित हो, प्रशासकीय विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के समन्वय में आदेश प्राप्त कर किया जा सकेगा। क्या जिला प्रशासन ने इस मामले में मुख्यमंत्री से अनुमोदन लिया। गणमान्य नागरिकों ने दोषी अधिकारियों के विरूद्ध न्यायिक एवं दण्डित कार्यवाही की मांग मुख्यमंत्री कमलनाथ से की है।

मैंने सभी फाइलों में लिख दिया है कि 60-40 के नियम का पालन किया जाये, मंत्री जी और विधायक जी के अधिकार क्षेत्र में दखल नही दे सकता हूूं, फिर भी मैं पुन: कलेक्टर सर को इस विषय में अवगत करा देता हूं।

सरोधन सिंह, सीईओ जिला पंचायत अनूपपुर

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