साइबर हमलों से खुद बचें, पुलिस के पास नहीं तकनीकि तंत्र

छतरपुर, मध्य प्रदेश : हर महीने सामने आ रहे 20 से अधिक डिजिटल फ्रॉड के मामले, आरोपियों को पकड़ने में नाकाम पुलिस।
साइबर हमलों से खुद बचें
साइबर हमलों से खुद बचेंAnkur Yadav

राज एक्सप्रेस। देश में डिजिटल क्रांति के साथ डिजिटल फ्रॉड के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। लोगों के बैंक खातों से रुपए हड़पने के लगातार सामने आते मामलों ने पुलिस के सामने अपराधियों की एक नई जमात खड़ी कर दी है। हालांकि साइबर तकनीकि से सक्षम यह अपराधी पुलिस से 10 कदम आगे हैं। एटीएम का पिन चोरी कर, फ्रॉड कॉल से ओटीपी लेकर अथवा मैसेज पर दी गई लिंक से बैंक खाते का डिटेल चुराने जैसे कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं और पुलिस इन साइबर हमलों के अपराधियों को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है।

एक जानकारी के मुताबिक छतरपुर में हर महीने लगभग 20 से अधिक डिजिटल फ्रॉड सामने आ रहे हैं और इनके अपराधियों को पकड़ने के आंकड़े 5 प्रतिशत भी नहीं हैं। इस तरह से चोरी हो जाता है खातों में रखा पैसा साइबर अपराधियों ने बैठे तकनीकि के माध्यम से लोगों की गाढ़ी कमाई को चुराने का तरीका सीख लिया है। दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में बैठे साइबर अपराधियों का नेटवर्क देश के किसी भी कोने में मौजूद व्यक्ति के खातों से रकम उड़ा रहा है। यह सब तकनीकि के एक विशिष्ट प्रयोग के माध्यम से किया जाता है।

सबसे पहले साइबर अपराधी लोगों का डाटा हासिल करते हैं। डाटा मिलने के बाद वे संबंधित बैंक के उपभोक्ता को फोन लगाकर उनसे बैंक अधिकारी बनकर बात करते हैं। साइबर अपराधियों के द्वारा आमतौर पर भोले-भाले लोगों से यह कहा जाता है कि आपका एटीएम कार्ड बंद होने वाला है इसे बदलने के लिए कार्ड के नंबर और इसके पिन कोड को मांगा जाता है। यह काफी पुराना तरीका है। अब अपराधियों ने कुछ नए तरीके भी इजाद कर लिए हैं। अब लोगों के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा जाता है। मैसेज में किसी वेबसाईट की लिंक होती है। यदि उपभोक्ता ने इस लिंक पर क्लिक किया तो उसके बैंक से संबंधित डाटा वेबसाईट के पास चला जाता है।

एक अन्य तरीका एटीएम कार्ड की क्लोनिंग का है। इसमें बदमाश एटीएम के बाहर मौजूद भोले भाले लोगों की मदद करने की बहाने उनके कार्ड को बदल देते हैं और फिर खाते के पैसे उड़ा देते हैं। इंटरनेट पर ऐसी कई फ्रॉड वेबसाईट भी हैं जो ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी लोगों को खूब ठग रही हैं। दूर बैठे अपराधी, ट्रेनिंग के अभाव से जूझती पुलिस छतरपुर जिले में ही हर महीने डिजिटल फ्रॉड के लगभग 20 मामले सामने आ रहे हैं। ज्यादातर मामलों में पुलिस एफआईआर दर्ज करने की बजाय सिर्फ आवेदन ले रही है। इसका कारण यह है कि पुलिस ऐसे मामलों का खुलासा नहीं कर पाती।

दरअसल साइबर अपराध से जुड़े गिरोह अन्य राज्यों में बैठकर यह काम करते हैं। उन तक पहुंच पाना आसान नहीं होता। कई बार पुलिस को मोबाइल नंबर अथवा जिस खाते में पैसा गया है उसके आधार पर अपराधी की लोकेशन मिलती है लेकिन उनकी दूरी अधिक होने के कारण पुलिस उन्हें पकड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाती। साइबर हमलावरों से निपटने के लिए पुलिस के पास तकनीकि संसाधनों और साइबर जानकारियों की उच्च स्तरीय ट्रेनिंग का भी अभाव है।

पुलिस कंट्रोल रूम भोपाल के निर्देश पर कई बार एक दो दिन के ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित होते हैं लेकिन ये कार्यक्रम भी महज औपचारिकता बनकर रह जाते हैं। दूसरी ओर बैंक भी तमाम डिजिटल सुविधाएं तो देते हैं लेकिन डिजिटल फ्रॉड होने के बाद वे अपने हाथ खड़े कर देते हैं और पीड़ित को पुलिस के पास भेज देते हैं।

फैक्ट फाइल :

हर महीने सामने आ रहे 20 मामले

छतरपुर में सैकड़ों मामलों में नहीं पकड़े आरोपी

तकनीकि रूप से सक्षम नहीं पुलिस

बाहर से ऑपरेट हो रहे गिरोह।

हम डिजिटल फ्रॉड के मामलों को लेकर गंभीर हैं। इसका एक डाटा तैयार कराया जा रहा है। इस डाटा के आधार पर विशेषज्ञों से मदद लेकर ऐसे मामलों के अपराधी पकड़ने की कोशिश की जाएगी। लोगों को स्वयं सतर्क रहना भी जरूरी है।

जयराज कुबेर, एएसपी, छतरपुर

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